
सर्दियों में मांसपेशियों में दर्द काफी ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर के किसी भी अंग में दर्द होने पर ज्यादातर लोग सबसे पहले एलोपैथी दवाइयों का सहारा लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि आयुर्वेदिक दवाइयों से भी मांसपेशियों के दर्द का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक, दर्द का सबसे बड़ा कारण शरीर में वात का असंतुलन होता है। वात बढ़ने से हमारा शरीर बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर के अंग को छूने से दर्द होता है। आयुर्वेद में किसी भी दर्द का इलाज वातदोष को खत्म करके किया जाता है। आइए जानते हैं आयुर्वेद में किन जड़ी-बूटियों की मदद से मांसपेशियों के दर्द को खत्म किया जाता है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत मददगार होता है। इसके सेवन से नसों को आराम मिलता है, जिसकी वजह से हमें नींद अच्छी आती है। इसके अलावा यह उर्जादायक है, इसलिए हमारे शरीर में शक्ति बढ़ाने का कार्य करता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो हमारी मांसपेशियों को मजबूत करने में हमारी मदद करती है। इसके अलावा यह मांसपेशियों में होने वाले दर्द और सूजन को भी दूर करने में हमारी मदद कर सकती है। अश्वगंधा के सेवन से अन्य बीमारियां जैसे- यौन संबंधी समस्याएं, लकवा, एनीमिया, शराब की लत को खत्म किया जा सकता है। अश्वगंधा का सेवन करने के लिए 1 चम्मच अश्वगंधा का पाउडर लें, इसमें हर्बल वाइन या देशी घी मिक्स करके सेवन करें। अश्वगंधा का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।
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यष्टिमधु
यष्टिमधु स्वाद में काफी मीठा होता है। इसके चेचक की समस्या को दूर किया जा सकता है। यह शरीर की शक्ति बढ़ाने और उर्जा प्रदान करने में हमारी मदद करता है। इसके साथ ही यह नसों को आराम, गले में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सर्दी-जुकाम, फ्लू, यूरिन में परेशानी जैसे अन्य वात के विकारों से छुटकारा दिलाने में हमारी मदद कर सकता है। इसके अलावा यष्टिमधु के सेवन से कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है। यष्टिमधु के सेवन से फाइब्रोमाएल्जिया (Fibromyalgia) के दर्द को कम करने में असरकारी होता है। यष्टिमधु का सेवन काढ़े, दूध के काढ़े के साथ किया जा सकता है। डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही इसका सेवन करें।
गुग्गुल
गुग्गुल के सेवन से पाचनशक्ति मजबूत होने के साथ-साथ श्वसन प्रणाली भी सुचारू रूप से कार्य करती है। यह शरीर को उर्जा देता है। इसके साथ ही यह कफ को दूर करने में हमारी मदद करता है। इसके सेवन से नसों को आराम मिलता है। अगर आप नियमित रूप से गुग्गुल का सेवन करते हैं, तो गले में सूजन, अल्सर, बवासीर, स्किन संबंधी समस्या, मांसपेशियों में दर्द जैसी अन्य समस्याओं से दूर रह सकेंगे। इसके अलावा यह मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करने में हमारी मदद कर सकता है। डॉक्टर के परामर्श अनुसार आप नियमित रूप से इसकी एक गोली खा सकते हैं।
त्रिफला गुग्गुल
तीन जड़ी-बूटियों से निर्मित यह मिश्रण सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी मानी जाती है। यह हरीतकी, आमलकी और विभीतकी का मिश्रण होता है। इसका सेवन आप त्रिकटु यानी पिप्पली, सौंठ और शुंथि से तैयार काढ़े के साथ कर सकते हैं। यह शरीर में यूरिन संबंधी विकारों को दूर करने में हमारी मदद कर सकता है। इसके सेवन से ऑस्टियोआर्थराइटिस, जांघों में दर्द, अकड़न, आमवात जैसी समस्या को दूर किया जा सकता है। इतना ही नहीं त्रिफला गुग्गुल का सेवन करने से रूमेटाइड अर्थराइटिस और वात की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
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आयुर्वेद की इन 4 जड़ी-बूटियों से आप मांशपेशियों में दर्द की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके अलावा कई अन्य ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिससे आप मांसपेशियों में होने वाली परेशानी हो दूर कर सकते हैं। किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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