
पीरियड्स महिलाओं को होने वाली एक ऐसी प्राकृतिक स्थिति है जिसे हमारे समाज में एक टैबू यानि कि धब्बा या शर्म के रूप में देखा जाता है। कई तरह के अभियानों और जागरुकता के बावजूद स्थिति यह है कि महिलाएं पीरियड्स के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं, डरती हैं। तो क्या हुआ अगर पीरियड्स में महिलाओं की ओवेरी से पांच दिन तक ब्लड निकलता है और वह थोड़ा अस्वस्थ महसूस करती है। पीरियड्स को रजोनवृत्ति, मासिक धर्म और महावारी के नाम से भी पुकारते हैं। इसमें सिर में दर्द होना, पेट और पीठ में दर्द होना, उल्टी करने का मन होना और चक्कर आना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। आज इस विषय में हम आपको कुछ ऐसे फैक्ट्स बता रहे हैं जिन्हें आपका जानना बहुत जरूरी है।
आसामान्य पीरियड्स से जुड़े ये 10 फैक्ट
अनियमित पीरियड्स की समस्या 18 साल की उम्र से लेकर 40 साल तक की उम्र की महिलाओं में देखी जाती है। इस उम्र में होने वाली अनियमितता का कारण हार्मोनल असंतुलन, जीवनशैली में परिवर्तन और दवाइयों का कुप्रभाव जैसी चीजें जिम्मेदार होती हैं। जबकि यदि यह समस्या 40 की उम्र के बाद होती है तो इसके पीछे प्रीमेनोपॉज हो सकता है। अधिक तनाव और बिजी शड्यूल के चलते भी पीरियड्स प्रभावित होते हैं।
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ये तीन हॉर्मोंस हैं जिम्मेदार
स्वस्थ महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन जैसे तीन हार्मोन्स मौजूद होते हैं। लेकिन जब इन तीनों हार्मोन्स में गड़बड़ हो जाती है तो सीधे तौर पर पीरियड्स प्रभावित होते हैं। जो महिलाएं अधिक बीमार रहती हैं या फिर थाइरॉयड का शिकार होती हैं उनमें पीरियड्स की अनियमितता देखी जाती है।
सिर में लगातार दर्द रहना
मासिक धर्म के दौरान अक्सर महिलाओं को गंभीर रूप से सिरदर्द की समस्या भी होती है। सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के एमडी और सिरदर्द विशेषज्ञ विंसेंट मार्टिन के अनुसार प्रोस्टाग्लैंडीन हार्मोंन ऐंठन का कारण बन सिर में नसों पर हमला करता हैं। यह इस हद तक होता है कि पीरियड्स में असंतुलन आ जाता है। ध्यान रहे इससे बचने के लिए एंटी इफ्लेमेंटरी दवाओं का सहारा न लें।
पीरियड्स न आने का मतलब सिर्फ प्रेग्नेंट होना नहीं
अगर किसी महिला के पीरियड्स में आसामान्यता आती है तो सबसे पहले इसके पीछे का कारण गर्भधारण होता है। अर्थात यदि किसी शादीशुदा महिला को पीरियड्स नहीं होते हैं तो इसका मतलब यह माना जाता है कि वह प्रेग्नेंट हो गई है। हालांकि इस चीज का प्रेग्नेंसी से बहुत गहरा संबंध है लेकिन हर स्थिति में ऐस नहीं होता है। यह शरीर में अन्य महत्वपूर्ण बदलावों का भी एक संकेत हो सकता है। यदि कोई महिला ज्यादा तनाव, जीवनशैली में बदलाव, खराब आहार आदि की आदि तो उसके पीरियड्स में आसामान्यता होना कोई बड़ी बात नहीं है।
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आसामान्य पीरियड्स और भावनात्मकता
भावनात्मक तनाव भी आपके शरीर में हार्मोन में परिवर्तन, आपकी माहवारी को अनियमित बनाने के लिए कारण हो सकता है। गंभीर भावनात्मक तनाव से बचने के लिए, मेडिटेशन या योगा या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से परामर्श करें। अत्यधिक शराब का सेवन भी आपके हार्मोन चयापचय को बिगाड़ता है, जिसके परिणास्वरूप अनियमित माहवारी का कारण बनता है।
अनियमित पीरियड्स के लिए आयुर्वेदिक उपचार
- रेवन्दचीनी 3 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय खाली पेट माहवारी शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार दूर हो जाते हैं।
- पुरानी किशमिश को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे लगभग 200 मिली पानी में रातभर भिगोयें, सुबह इसे उबालकर रख लें। जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए तो छानकर इसका सेवन कीजिए।
- आधा ग्राम कपूरचूरा में मैदा मिलाकर 4 गोलियां बनाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गोली का सेवन मासिक धर्म शुरू होने से लगभग 4 दिन पहले करें, मासिक-धर्म शुरू होने के बाद इसका सेवन बंद कर दीजिए, इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
- काला तिल 5 ग्राम लेकर गुड़ में मिलाकर माहवारी शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करें, जब मासिक धर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर दें, इससे माहवारी न तो देर से आयेगी और न ही अनियमित होगी।
- चौलाई की जड़ को छाया में सुखाकर बारीक पीस लीजिये, इसे लगभग 5 ग्राम मात्रा में सुबह के समय खाली पेट माहवारी शुरू होने से लगभग 7 दिनों पहले सेवन कीजिए। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर दीजिए, इससे मासिक धर्म समय पर होगा।
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