बच्चों को मोटापे के लिए चिढ़ाने और डांटने से और बढ़ता है उनका वजन: रिसर्च

बच्चों को मोटापे के बारे में चिढ़ाने या टोकने से उनका वजन और तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा मोटापे के कारण बच्चे तनाव का भी शिकार हो जाते हैं। जानें बच्चों से मोटापे जैसे सेंसिटिव मुद्दे पर कैसे बात करनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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बच्चों को मोटापे के लिए चिढ़ाने और डांटने से और बढ़ता है उनका वजन: रिसर्च

दुनियाभर में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। इस मोटापे का मुख्य कारण बच्चों का आधुनिक खानपान है। अक्सर देखा जाता है कि मोटे बच्चों को उनके मां-बाप, स्कूल के दोस्त या रिश्तेदार चिढ़ाते और डांटते हैं। हाल में हुई एक रिसर्च बताती है कि बच्चों को मोटापे के लिए डांटने और चिढ़ाने से उनका मोटापा और ज्यादा बढ़ता है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि मोटे बच्चों के साथ उनके मोटापे को लेकर आपका व्यवहार कैसा होना चाहिए।

बच्चों से बात करें

वाशिंगटन डी.सी. की यूनीफॉर्म्ड सर्विसेस यूनिवर्सिटी की मेडिकल एंड क्लीनिकल साइकोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता नताशा स्क्वे ने कहा, "अपने बच्चों से बात कीजिए और पूछिए, कि क्या उन्हें मोटापे के लिए चिढ़ाया या सताया तो नहीं जा रहा है? बच्चों से ये सवाल महत्वपूर्ण है। कई बार मां-बाप ऐसे मुद्दों पर अपने बच्चों से बात करने में असहज महसूस करते हैं मगर ये सही नहीं है।"

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चिढ़ाने से बच्चों में बढ़ता है तनाव

चिढ़ाने का बच्चों के वजन पर क्या और कितना प्रभाव पड़ता है, इस बात की जानकारी के लिए स्क्वे और उनकी टीम ने औसतन 12 साल की उम्र के कई बच्चों की लंबाई और वजन का रिकॉर्ड रखना शुरू किया। इन बच्चों से प्रश्न पूछकर यह भी नोट किया गया कि उन्हें दिन में कितनी बार उनके वजन के लिए चिढ़ाया गया है। रिसर्च से यह पता चला कि जिन बच्चों को ज्यादा चिढ़ाया गया, उनके वजन में 33% से ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई।

इसके अलावा शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि चिढ़ाने से बच्चों में तनाव और स्ट्रेस का खतरा बढ़ जाता है। तनाव के कारण बच्चे ज्यादा खाते हैं, जिससे उनका मोटापा और ज्यादा तेजी से बढ़ने लगता है।

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बच्चों से मोटापे के बारे में कैसे बात करें?

अगर आपका बच्चा मोटा है, तो उसे मोटापे के लिए बात-बात पर टोकें या चिढ़ाएं नहीं। मोटापा कई कारणों से हो सकता है, जरूरी नहीं कि बच्चा सिर्फ ज्यादा खाने के कारण मोटा हो रहा हो। कई बार अनुवांशिक कारणों और किसी रोग के कारण भी मोटापा हो सकता है। इसलिए अगर बच्चा मोटा है, तो उसे खाने से रोकने या चिढ़ाने के बजाय, एकसरसाइज और हेल्दी डाइट के लिए प्रेरित करें। शोधकर्ता स्क्वे कहती हैं कि बच्चों को फिटनेस के बारे में ज्ञान देने से बेहतर है कि आप खुद एक्सरसाइज करें और अपनी डाइट कंट्रोल करें। इससे बच्चे पर आपकी बात का असर जल्दी होगा।

मोटापा हर किसी के लिए संवेदनशील विषय है

मोटापा हर किसी के लिए एक सेंसिटिव मामला होता है। अगर कोई मोटा है और उसे बार-बार इस बात के लिए चिढ़ाया या टोका जाए, तो उसे बुरा लगता है। इसलिए बच्चों को ये कहने के बजाय कि उसे मोटापा घटाना चाहिए, आप ये कह सकते हैं कि उसे हेल्दी रहना चाहिए।

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