Men's Health: शरीर में हल्के-फुल्के दर्द पर पेनकिलर लेने से पुरुष हो सकते हैं 'नामर्द', जानें एक्सपर्ट की सलाह

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ऑफिस स्ट्रेस व तनाव के कारण लोगों के शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द हो जाता है और लोग बिना झिझके एंटी-बायोटिक और पेन किलर का इस्तेमाल कर लेते हैं, जिससे पुरुष नामर्दी का शिकार हो सकते हैं।
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Men's Health: शरीर में हल्के-फुल्के दर्द पर पेनकिलर लेने से पुरुष हो सकते हैं 'नामर्द', जानें एक्सपर्ट की सलाह

गर्भधारण में समस्या या बांझपन की शिकायत महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित कर सकती है। कभी-कभार यह प्राकृतिक होता है लेकिन कभी-कभी आप जो डाइट लेते हैं या फिर रूटीन के तौर पर दवाईयों का सेवन करते हैं उससे आपके प्रजनन अंग प्रभावित होते हैं। जीवनशैली, मानसिक तनाव और हमारे जीन जैसे कई कारक हैं, जो किसी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं। विशेषरूप से पुरुषों के लिए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि गलती से की जाने वाली एक आम आदत आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।  दरअसल जब भी हमें किसी प्रकार का दर्द होता है तो हमारे जहन में सबसे पहली चीज आती है पेनकिलर (दर्द निवारक दवाएं) लेना। हालांकि ये पेनकिलर हमें तुरंत राहत देने और ठीक करने में जरूर मदद करती है लेकिन इनके साथ एक जटिलता भी जुड़ी हुई है। कब्ज, मांसपेशियों में कमजोरी और स्ट्रोक के लक्षणों को बढ़ाने के चलते नियमित रूप से पेनकिलर नहीं लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा एक और चौंका देने वाला इसका साइड-इफेक्ट है पुरुषों में नामर्दी। 

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पेनकिलर पर निर्भर पुरुषों और कम प्रजनन क्षमता के बीच एक आश्चर्यजनक संबंध पाया गया है। यह खबर उन पुरुषों के लिए एक झटका साबित हो सकती है, जो बच्चे पैदा करने की योजना बना रहे हैं।

वहीं पेनकिलर के बढ़ते इस्तेमाल पर बोलते हुए श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट की इंटरनल  मेडिसिन की सीनियर  कंसलटेंट डॉ. मनीषा अरोड़ा ने बताया, ''आजकल लोगों में तेजी से एंटी-बायोटिक और पेनकिलर का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इसका मुख्य कारण ऑफिस स्ट्रेस, तनाव, बदलती जीनवशैली और खान-पान है। जिससे लोगों में सिर दर्द, कमर दर्द, पेट दर्द और तनाव की समस्या होना आम बात है। इससे बचने और दर्द से तुरन्त निजात पाने के लिए लोग पेन किलर का प्रयोग करने लगते है। इसके साथ ही केमिस्ट की दुकान पर किसी भी प्रकार के एंटी-बायोटिक और पेन किलर दवाओं का आसानी से मिलना भी इसके इस्तेमाल का तेजी से बढ़ने का मुख्य कारण है।''

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क्या कहता है अध्ययन

डेनमार्क और फ्रांस के 31 पुरुषों (18 से 35 साल की उम्र के बीच)  पर किए गए एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। इन पुरुषों को छह सप्ताह की अवधि के लिए 600 एमजी की तीन प्रसिद्ध पेन किलर लेने की सलाह दी गई। अन्य लोगों को अध्ययन की अवधि के दौरान सामान्य प्लेसेबो लेने की सलाह दी गई। इसके बाद अध्ययन के लिए दो और सप्ताह दिए गए। 

 

अध्ययन से निकली यह जानकारी

दो सप्ताह के समय के बाद, कई टेस्ट किए गए, जिनमें हार्मोन लेवल की तुलना की गई। इन टेस्ट में पाया कि पुरुषों के ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के उत्पादन स्तर के साथ-साथ पिटूइटेरी ग्लैंड के काम में वृद्धि दर्ज की गई। यह दोनों ही प्रजनन में अहम भूमिका निभाते हैं। दोनों के संयोजन के साथ ये कारक हमारे शरीर की कुछ कोशिकाओं को टेस्टोस्टेरोन का अधिक उत्पादन करने से रोकते हैं और बॉडी को क्रम से अलग-अलग करती है। जिसके कारण तनाव आम के मुकाबले ज्यादा हो जाता है और इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।

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स्पर्म सेल को करती है प्रभावित

ज्यादा पेनकिलर लेने से लोगों में 'हाइपोगोनैडिज्म' नाम की स्थिति होने का खतरा पैदा हो जाता है, जिसके कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और शरीर में स्पर्म सेल के उत्पादन में भी अस्थायी कमी आ जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी प्रकार की दवाएं ऐसी समस्या खड़ी करती है या इनका प्रयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए। पुरुष इसके डोज को समझे और पेनकिलर पर निर्भर न रहें।

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