
साइकोसिस एक किस्म मानसिक स्थिति है, जिसमें मरीज वास्तविक और काल्पनिकता के बीच भेदभाव नहीं कर पाता। इसे आप दूसरों शब्दों में इस तरह समझ सकते हैं कि साइकोसिस का मरीज का वास्तविक दुनिया से संपर्क टूटने लगता है यानी वह एक किस्म से भ्रम में रहने लगता है। यह कई तरह की मानसिक स्थिति में मौजूद हैं, जिसमें सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर शामिल हैं। साइकोसिस के मरीज असली और नकली दुनिया में फर्क नहीं कर पाते, इसलिए उनके सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। दुनिया को देखने का उनका नजरिया स्वस्थ लोगों से बिल्कुल अलग हो जाता है। नेशनल एलायंस ऑन मेंटल हेल्थ (एनएएमआई) के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल 100,000 युवा मनोविकृति का अनुभव करते हैं। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस मानसिक स्थिति के बारे में जानना बेहद जरूरी है। जानिए, साइकोसिस से जुड़े लक्षणों के बारे में।

साइकोसिस के शुरुआती लक्षण
- साइकोसिस के शुरुआती लक्षण इस प्रकार के हैं-
- नौकरी की परफॉर्मेंस में गिरावट आने लगती है।
- स्कूल में बच्चों के ग्रेड कम हो जाते हैं।
- ध्यान केंद्रित करने या स्पष्ट रूप से सोचने में मुश्किलें आने लगती हैं।
- दूसरों के आसपास रहने से बेचैनी होने लगती है।
- समाज से दूरी बनाने लगते हैं।
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साइकोसिस के अन्य लक्षण
साइकोसिस के मरीजों में भिन्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं। शुरुआती महीनों तो सहजता से इसके लक्षणों को देखकर इस समस्या का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों के अनुसार लक्षणों और अनुभवों का अपना अनूठा सेट होता है, जिसमें मुख्य रूप से तीन लक्षण दिखाई देते हैं। भ्रम (delusion), मतिभ्रम (hallucinations) और बातचीत में कंफ्यूजन (confused and disturbed thoughts) होना इसमें शामिल हैं।
मतिभ्रम (hallucinations)
व्यक्ति को मतिभ्रम तब होता है, जब व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई, सुनाई देती हैं और ऐसी गंध वह सूंघता और स्वाद चखता है, जो असल जिंदगी में मौजूद ही नहीं होती हैं। इसमें निम्न चीजें भी शामिल हैं-
- दृष्टि - ऐसे रंग या आकार को देखना या अपने आसपास उनलोगों को देखना, जो आसपास मौजूद नहीं हैं।
- आवाजें - उन आवाजों को सुनना, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। ये आवाजें उसके अलावा किसी और को सुनाई नहीं देतीं।
- स्पर्श - किसी के आसपास न होने पर भी उसका स्पर्श महसूस करना।
- गंध - एक ऐसी गंध जिसे दूसरे लोग नहीं सूंघ सकते।
- स्वाद - मुंह में कुछ न होने पर भी चीजों का स्वाद आना।
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भ्रम (hallucinations)
यह एक ऐसा भ्रम है, जिसमें व्यक्ति को किसी असत्य पर अटूट विश्वास होता है। जबकि उसका विश्वास का वास्तविकता से कोई मेल नहीं होता। इन विश्वासों को वह खुद बहुत महत्व देता जबकि असल जिंदगी के लोगों के उन विश्वासों का कोई महत्व नहीं होता है। इन मरीजों के कुछ विशेष किस्म के भ्रम होते हैं जैसे-
- कोई उनका पीछा कर रहा या कोई उन पर हमेशा नजर रखे हुए है।
- उनके खिलाफ कुछ लोग साजिश रच रहे हैं।
- इनके पास कुछ ऐसी शक्तियां हैं, जो दूसरों के पास नहीं हैं।
- इन्हें कोई अपने वश में किए हुए हैं और उन्हें अपने इशारों पर चला रहा है।
- इन्हें लगता है कि ये किसी देश के प्रधानमंत्री हैं।
- इन्हें लगता है कि इनके पास ऐसी ताकते हैं, जिसकी बदौलत ये मृत व्यक्ति को भी जीवित कर सकते हैं।
बातचीत-व्यवहार में कंफ्यूजन (confused and disturbed thoughts)
साइकोसिस के मरीजों में एक सामान्य लक्षण यह भी दिखाई देता है कि वह बोलचाल के दौरान बहुत कंफ्यूज रहता है और उसका व्यवहार भी स्थिर नहीं होता है। इस तरह के लोग या तो बहुत तेज-तेज बात करते हैं, जल्दी-जल्दी बोलते हैं, कम समय में बार-बार बातचीत के विषय बदलते हैं। कई बार इनकी बोली ऐसी हो जाती है, जो सामन्य लोगों को सझने में मुश्किलें आती हैं। इसके अलावा, इनके व्यवहार में भी इस तरह का कंफ्यूजन दिखाई देता है। इन्हें खाना पकाने में या रोजमर्रा के काम करने में परेशानी महसूस हो सकती है। इसके साथ ही इनकी भावनाएं भी प्रभावित हो जाती हैं, जैसे इन्हें यह समझ नहीं आता है कि किस बात पर हंसना है और किस बात रोना है।
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