Symptoms Of Prostate Cancer In Lower Body Know Prevention And Treatment In Hindi: प्रोस्टेट कैंसर, एक प्रकार का कैंसर है, जो कि प्रोस्टेट में होता है। प्रोस्टेट एक तरह की ग्रंथी है, जो कि पुरुषों में पाई जाती है। श्ह यह वॉलनट जैसे अखरोट शेप की होती है। प्रोस्टेट मूलरूप से वीर्य बनाने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन प्रोस्टेट कैंसर होता है, तो पुरुषों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके सीमेन यानी वीर्य का प्रोडक्टशन कम होने लगता है और उसका पोषण भी प्रभावित होने लगता है। प्रोस्टेट कैंसर बहुत धीमे-धीमे बढ़ता है। प्रोस्टेट कैंसर होने पर प्रोस्टेट ग्रंथी में मौजूद सेल्स अपना नियंत्रण खो बैठती हैं। कई बार प्रोस्टेट का साइज बढ़ जाता है, जिससे पुरुषों को कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, खासकर शरीर के निचले हिस्सों में दर्द होने लगता है। इस संबंध में शारदा अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जीपी कैप्टन अनिल कुमार विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण (Symptoms)
वैसे तो प्रोस्टेट कैंसर होने पर शुरुआती दिनों में इसके कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन जैसे,-जैसे वक्त बीतता जाता है, लक्षण उभरने लगते हैं। प्रोस्टेट कैंसर की वजह से पुरुषों के शरीर के निचले हिस्सों में दर्द होने लगता है और अन्य तकलीफें बढ़ जाती हैं। लक्षणां में शामिल हैं-
- पेश के दौरान बहुत मुश्किल होती है और कई बार जलन भी होने लगती है।
- प्रोस्टेट कैंसर होने पर व्यक्ति को बार-बार पेश करने की इच्छा होती है। हालांकि, पेशाब की मात्रा ज्यादा नहीं होती है। यह स्थिति रात में गंभीर हो जाती है।
- प्रोस्टेट कैंसर के कारा पेशाब करने के दौरान या वीर्य स्खलित होने के दौरान गुप्तांग से खून बहने लगता है और दर्द भी बहुत ज्यादा महसूस होता है।
- मरीज को इरेक्शन की प्रॉब्लम होने लगती है। यही नहीं, सेक्स प्रक्रिया भी मुश्किल हो जाती है।
- प्रोस्टेट अगर स्पाइन तक फैल जाए, तो व्यक्ति रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगता है। इसके अलावा, उसे कमर और पेल्विक एरिया में भी तकलीफ होने लगती है।
- इसके अलावा, प्रोस्टेट कैंसर के कारण हड्डियों में भी तकलीफ बढ़ जाती है।
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प्रोस्टेट कैंसर का कारण (Causes)
हालांकि, प्रोस्टेट कैंसर के होने कारण अब तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर तब शुरू होता है, जब प्रोस्टेट में कोशिकाएं अपने डीएनए में परिवर्तन विकसित करती हैं। सेल के डीएनए में डाइरेक्शन पहुंचते हैं, जो कि यह बतातो हैं कि उन्हें क्या करता है। परिवर्तन कोशिकाओं को बढ़ने और सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेज़ी से विभाजित करने के लिए कहते हैं। एब्नॉर्मल सेल्स जीवित रहती हैं, जबकि अन्य कोशिकाएं मर जाती हैं। बची हुई सेल्स एक ट्यूमर का रूप ले लेती है, जो आसपास मौहजूद टिश्यूज को उक्साती हैं और उसे धीरे-धीरे बढ़ाती रहती है। समय के साथ, कुछ असामान्य कोशिकाएं टूट कर शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं।
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जोखिम कारक (Risk Factors)
प्रोस्टेट कैंसर होने के कई फैक्टर जिम्मेदार हैं, जैसे-
- उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर यह बीमारी 50 साल की उम्र के बाद सबसे आम हो जाती है।
- अगर परिवार में किसी को पहले से ही प्रोस्टेट कैंसर है या फिर किसीस को रहा है, तो इस स्थिति में यह बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
- मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर के लिए रिस्क फैक्टर है। जो लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, उनमें स्वस्थ वजन वाले लोगों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। हालांकि इस संबंध में अध्ययनों के मिश्रित परिणाम मिले हैं।
इलाज (Treatment)
प्रोस्टेट कैंसर, एक ऐसी बीमारी है, जिसके लिए डॉक्टर से प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाना बहुत जरूरी है। इसे घर में किसी तरह के घरेलू उपायों की मदद से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, खानपान या लाइफस्टाइल में बदलाव करके, कुछ लक्षणों के असर को हल्का जरूर किया जा सकता है। खैर, जहां तक इसके इलाज की बात है, तो इसके लिए डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए इलाज करता है। ट्रीटमेंट के तौर पर एक्टिव सर्वेलंस किया जाता है। इसके तहत, मरीज के लक्षणों पर कड़ी नजर रखी जाती है और उसी के आधार पर आगे का ट्रीटमेंट जारी होता है। इसके अलावा, सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, क्रायोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसे उपचारों की मदद ली जा सकती है।
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