प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं में से एक है प्लेसेंटा प्रिविया। प्लेसेंटा एक तरह का स्ट्रक्चर है, जो प्रेगनेंसी के दौरान यूरेटस में बनता है। प्रेविया के द्वारा शिशु को ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और इसके द्वारा ही शिशु के शरीर में मौजूद गंदगी बाहर निकलती है। प्लेसेंटा प्रेविया उस स्थिति को कहते हैं, जब शिशु के प्रेविया द्वारा मां के यूरेटस का थोड़ा या पूरा हिस्सा बंद हो जाता है। ये एक खतरनाक स्थिति हो सकती है। आइए आपको बताते हैं प्रेगनेंसी के दौरान क्यों खतरनाक है प्लेसेंटा प्रिविया।
क्या है प्लेसेंटा प्रेविया
प्लेसेंटा प्रेविया को सरल शब्दों में ऐसे कहें कि बच्चे की गर्भनाल गर्भाशय के ठीक मुंह पर आ जाती है, जिसके कारण गर्भवती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्लेसेंटा प्रेविया की स्थिति में गर्भवती स्त्री को बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें भारी रक्तस्राव होता है और कई बार ये बहुत खतरनाक हो सकता है। प्लेसेंटा प्रेविया के ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के लिए सर्जरी की आवश्यक्ता पड़ती है क्योंकि गर्भाशय का मुंह प्लेसेंटा द्वारा ढका होता है, जिससे सामान्य डिलीवरी शिशु और मां दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है।
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प्रेगनेंसी की शुरुआत में ये सामान्य है
प्रेगनेंसी की शुरुआत में प्लेसेंटा प्रिविया की स्थिति बहुत खतरनाक नहीं मानी जाती है इसलिए अगर अल्ट्रासाउंड स्कैन में आपको प्लेसेंटा ग्रीवा के पास नजर आता है, तो भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। शिशु के थोड़ा विकसित और आकार बड़ा होने पर आमतौर पर गर्भाशय प्लेसेंटा यानी अपरा को ऊपर की ओर खींच लेता है, जिससे ये गर्भाशय के मुंह से हट जाता है। मगर यदि प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह बाद भी ये स्थिति बनी रहती है, तो ये खतरनाक हो सकता है।
क्या हैं प्लेसेंटा प्रेविया के लक्षण
गर्भावस्था के दौरान होने वाली इस समस्या से मां व होने वाले बच्चे की हालत गंभीर हो सकती है। इतना ही नहीं यह समस्या मां व बच्चे दोनों के लिए खतरनाक भी हो सकती है। इसका मुख्य व शुरुआती लक्षण दर्द के साथ तेज ब्लीडिंग है। यह समस्या ज्यादातर दूसरे ट्राईमेस्टर में होती है लेकिन कुछ मामलों में यह पहले व तीसरे ट्राईमेस्टर में भी हो सकती है। प्लेसेंटा प्रिविआ के लक्षण हर महिला में अलग-अगल होते हैं। कभी-कभी महिलाएं ब्लीडिंग के दौरान गर्भाशय में ऐंठन महसूस करती हैं। कुछ समय बाद ब्लीडिंग अपने आप बंद हो जाती लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से शुरु हो जाती है। ऐसी अवस्था में देर किए बिना डॉक्टर से संपंर्क करना चाहिए।
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किन्हें होता है ज्यादा खतरा
वे महिलाएं जो तीस या चालीस की उम्र की बाद गर्भवती होती हैं उनमें यह समस्या ज्यादा देखी जाती है । इसके अलावा गर्भावस्था में धूम्रपान व नशे का सेवन, पहले कभी गर्भपात का होना, गर्भाशय की सर्जरी होने के कारण भी प्लेसेंटा प्रिविआ की समस्या हो जाती है।
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