Effects of Climate Change on Brain: पूरी दुनिया इस समय जलवायु परिवर्तन के खतरों की काट ढूंढने में लगी है। जलवायु परिवर्तन हमारी जिंदगी पर गहरा असर डालता है। हाल ही में जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव से जुड़ा एक चौकाने वाला खुलासा सामने आया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इंसान का दिमाग तेजी से सिकुड़ रहा है। हर साल तापमान में हो रहे बड़े बदलाव के कारण इस शोध की अहमियत बढ़ गई है। ऐसा माना जाता है कि तीन लाख साल पहले के इंसानों का दिमाग, आज के इंसानों के दिमाग के मुकाबले 50 गुना अधिक भारी रहा होगा। लाखों साल से तापमान, इंसानों के शरीर में बदलाव लाने का अहम कारण रहा है। आगे जानते हैं इस रिसर्च से जुड़े अन्य तथ्य और जलवायु परिवर्तन के साथ इंसानी दिमाग का कनेक्शन। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
10.7 फीसदी तक सिकुड़ गया है इंसान का दिमाग- Brain Shrunk By Climate Change
इस शोध पत्र को वैज्ञानिक जेफ मॉर्गन स्टिबेल ने 'क्लाइमेट चेंज इंफ्लुएंसेज ब्रेन साइज इन ह्यूमेंस' के नाम से लिखा है। स्टडी में बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इंसान का दिमाग 10.7 फीसदी तक सिकुड़ गया है। शोध में यह बात भी सामने आई है कि कुछ लाख सालों में बाकि जीवों के दिमाग का साइज तो बढ़ा है लेकिन इंसान के दिमाग का साइज घटा है। रिसर्च के मुताबिक मानसून में बारिश और वातावरण में नमी का बुरा असर भी दिमाग पर पड़ता है। इस रिसर्च में 298 इंसानी अवशेषों से नमूने लिए गए थे। स्टडी में दिमाग के आकार की तुलना क्लाइमेट रिकॉर्ड के साथ की गई है। साथ ही यह भी गया है कि वैश्विक तापमान में वृद्ध जारी रही, तो इंसान के दिमाग पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।
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दिमाग पर जलवायु परिवर्तन का क्या असर पड़ता है?- How Climate Change Affects Brain
लखनऊ के एसजीपीजीआई, हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि कई लाख साल में इंसान के शरीर में दिमाग ही नहीं बल्कि अन्य अंगों में भी बदलाव आता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि क्लाइमेट चेंज का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। 2022 इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए ज्यादा गर्म तापमान में हम चिड़चिड़ापन और तनाव महसूस करते हैं। तापमान के तेजी से घटने या बढ़ने का बुरा असर हमारी स्लीप साइकिल पर पड़ता है और नींद प्रभावित होती है। इस शोध पत्र को लिखने वाले वैज्ञानिक जेफ ने कहा है कि इस स्टडी को विस्तृत तौर पर देखने के लिए और गहराई से शोध करने की जरूरत है। तभी इंसानी दिमाग में होने वाले परिवर्तन को समझने में मदद मिलेगी। नीचे दिए स्टडी लिंक पर जाकर आप इस स्टडी को विस्तार से पढ़ सकते हैं।
Study Link: https://karger.com/bbe/article/98/2/93/835670/Climate-Change-Influences-Brain-Size-in-Humans
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