Bone Density Normal Range: खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डाइट में कैल्शियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती है। इसकी वजह से आप अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। हड्डियों में कमजोरी आने पर सामान्य चोट लगते ही फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है। हड्डियों की मजबूती का पता लगाने के लिए बोन डेंसिटी टेस्ट किया जाता है। बोन डेंसिटी यानी हड्डियों का घनत्व कम होने पर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। आमतौर पर बढ़ती उम्र की वजह से हड्डियों में कमजोरी आना शुरू हो जाती है। लेकिन खानपान से जुड़ी गलत आदतों और खराब जीवनशैली की वजह से इसका खतरा कम उम्र में भी रहता है। आइये इस लेख में जानते हैं बोन डेंसिटी क्या है और उम्र के हिसाब से इसकी नॉर्मल रेंज कितनी होनी चाहिए।
बोन डेंसिटी क्या है?- What is Bone Density in Hindi
शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए हड्डियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है। हड्डियों की मजबूती का पता बोन डेंसिटी से किया जाता है। बोन डेंसिटी को हड्डियों का घनत्व भी कहा जाता है। दरअसल, हड्डियों के भीतर कुछ टिश्यूज पाए जाते हैं। इन टिश्यू के भीतर बोन मिनरल्स होते हैं। हड्डियों के भीतर मौजूद बोन मिनरल्स की मात्रा को ही बोन डेंसिटी या हड्डियों का घनत्व कहा जाता है। बोन डेंसिटी कम होने पर हड्डियां भंगुर और कमजोर हो जाती हैं।
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उम्र के हिसाब से बोन डेंसिटी की नॉर्मल रेंज क्या है?- Bone Density Normal Range in Hindi
हड्डियों के कमजोर होने के लिए बोन डेंसिटी का कम होना जिम्मेदार माना जाता है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के डॉ. आर के यादव कहते हैं कि उम्र के हिसाब से हर व्यक्ति की बोन डेंसिटी अलग-अलग हो सकती है। बोन डेंसिटी टेस्ट को रिजल्ट को टी स्कोर के नाम से जाना जाता है। किसी भी व्यक्ति का टी स्कोर अगर 1 SD (+1 or -1) है तो इसे सामान्य माना जाता है। इसके अलावा अगर टी स्कोर 1 - 2.5 (-1 to -2.5 SD) है तो इसे कम बोन डेंसिटी कहते हैं। ऐसे लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। जिनकी बोन डेंसिटी कमजोर होती है, उन्हें फ्रैक्चर का खतरा भी ज्यादा रहता है। 60 साल की उम्र के बाद बोन डेंसिटी कमजोर होने लगती है।
क्यों कमजोर होती है बोन डेंसिटी?
खानपान में गड़बड़ी और निष्क्रिय जीवनशैली वाले लोगों की हड्डियां सबसे ज्यादा कमजोर होती हैं। हड्डियां कैल्शियम, प्रोटीन और फास्फोरस जैसे मिनरल्स से बनी होती हैं। भोजन में इन पोषक तत्वों की कमी के कारण बोन डेंसिटी कम होने लगती है। इसके अलावा ऐसे लोग जो बहुत ज्यादा शराब का सेवन करते हैं, उन्हें हड्डियों में कमजोरी का खतरा ज्यादा रहता है। हड्डियों में कमजोरी आने पर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी होती है और इस स्थिति में हल्की चोट लगने पर हड्डियों में फ्रैक्चर आ जाता है।
बोन डेंसिटी की जांच कैसे की जाती है?- Bone Density Test in Hindi
हड्डियों के घनत्व या बोन डेंसिटी का पता लगाने के लिए बोन डेंसिटी टेस्ट किया जाता है। इस जांच को डेक्सा स्कैन (Dexa Scan) कहते हैं। इस टेस्ट से हड्डियों की मजबूती का पता लगाया जता है। इस टेस्ट से हड्डियों से जुड़ी बीमारियां जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया का भी पता चल सकता है। यह टेस्ट एक्स-रे की तरह ही होता है। एक विशेष तरह की एक्स-रे की सहायता से यह टेस्ट किया जाता है।
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बोन डेंसिटी कैसे बढाएं?- Tips To Increase Bone Density in Hindi
बोन डेंसिटी बढ़ाने के लिए आपको शरीर में विटामिन डी की कमी होने से बचना चाहिए। शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर आपकी हड्डियों के कमजोर होने का खतरा रहता है। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में बनी रहे इसके लिए आपको विटामिन डी की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में धूप लगने से भी शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होती है। इसके अलावा डाइट में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन की कमी न होने दें। नियमित रूप से एक्सरसाइज और व्यायाम का अभ्यास करने से भी आपकी हड्डियां कमजोर नहीं होती हैं।
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