वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा, शोध में हुआ खुलासा

शहर के वातावरण में इन कणों का सबसे बड़ा स्रोत, वाहन और उनसे निकलने वाले धुएं हैं। वहीं इन कणों का हृदय स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

Pallavi Kumari
Written by: Pallavi KumariUpdated at: Feb 17, 2020 09:24 IST
वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा, शोध में हुआ खुलासा

3rd Edition of HealthCare Heroes Awards 2023

वायु प्रदूषण और विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के बीच एक स्पष्ट संबंध पाए गए हैं, जो कि आने वाले वक्त में स्वास्थ्य जुड़े कई बड़े जोखिमों में से एक हो सकता है। एक शोध की मानें, तो वायु प्रदूषण, हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा ये विशेष रूप अतिसंवेदनशील बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, प्रदूषण से स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और हृदय रोग से होने वाली सभी मौतों का खतरा एक तिहाई बढ़ रहा है। 'येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण दिल के दौरे को ट्रिगर करने में सक्षम है, जिससे इस प्रदूषण में पाए जाने वाले अल्ट्राफाइन कण आने वाले वक्त में एक 'गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता' बन सकते हैं। 

inside_heartattack

क्या कहता है शोध?

शोधकर्ताओं की मानें, तो अल्ट्राफाइन कण (यूएफपी) विशेष रूप से प्रदूषण के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के लिए जिम्मेदार हैं, खासकर श्वसन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए। इसका कारण उनका बहुत छोटा आकार, जो रक्तप्रवाह में प्रवेश करने की उनकी क्षमता रखता है। वहीं ये ब्लड कैंसर और लिम्फ से जुड़ी बीमारियों का भी एक मुख्य कारण बन जाता है। शहरी क्षेत्रों में, कारों और अन्य वाहनों में पेट्रोल या डीजल का से निकलने वाले धुएं, लोगों के घरों के साथ आसपास के वातावरण में प्रवेश करते हैं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा करते हैं।

inside_airpollution

इसे भी पढ़ें : एक्सरसाइज से वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को करें दूर

वहीं दुनिया भर के कुछ शहर अपने केंद्रों में ड्राइव करने में सक्षम वाहनों की संख्या को काफी कम करने की कोशिश कर रहे हैं।'एनवायरनमेंट इंटरनेशनल' नामक पत्रिका में एक अध्ययन के अनुसार, यह न केवल वायु प्रदूषण को कम करता है बल्कि ध्वनि प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों को भी कम करता है। इसलिए जरूरी है कि हम अधिक सक्रिय रूपों से साइकिल चलाना आदि शुरू करें।

यूएफपी हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं

सबसे हालिया अध्ययन, जो पर्यावरणीय स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य में है, विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य पर यूएफपी के प्रभावों को लेकर हमें सचेत करता है। जबकि शोधकर्ताओं ने संदेह है कि यूएफपी और हृदय स्वास्थ्य के बीच एक संबंध है, पर इस लिंक को स्पष्ट रूप से पता लगाने के लिए अभी और शोध की जरूरत है। एनेट्टे पीटर्स, जर्मनी में हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर म्यूनिख में महामारी विज्ञान संस्थान के निदेशक और रिपोर्ट के सह-लेखक कहते हैं, ''हम 1990 के दशक के अध्ययन में अस्थमा के रोगियों पर यूएफपी के प्रभावों पर शोध किया औपर पाया कि ये लोगों में बढ़ते बीमारियों के पीछे कुछ मुख्य कारणों में से एक है।''

इसे भी पढ़ें : वायु प्रदूषण से हर साल मरते हैं 13 लाख भारतीय, इस तरह रखें खुद को सुरक्षित

यूएफपी और दिल के दौरे के बीच संबंधों को निर्धारित करने के लिए, टीम ने 2005 और 2015 के बीच जर्मनी के ऑग्सबर्ग शहर में वायु प्रदूषण निगरानी करते हुए साइटों के डेटा को देखा। उन्होंने तब इसी अवधि में शहर में दिल के दौरे से पीड़ित लोगों के आंकड़ों के साथ तुलना की और पाया कि विभिन्न प्रकार के अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए वायु के छोटे-छोटे कण रक्त में मिलकर दिल के दौरे में वृद्धि कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि विशेष रूप से कणों में वृद्धि के बाद पहले कुछ घंटों में यूएफपी और दिल के दौरे की दर के बीच एक संबंध पाया गया। दिल के दौरे में यह वृद्धि 3% से लेकर लगभग 6% तक थी।

Read more articles on Health-News in Hindi

Disclaimer