हमारे आसपास कुछ ऐसे व्यक्ति मौजूद होते हैं जो दूसरों के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कत महसूस करते हैं। कुछ स्थितियों में यह समस्या जल्दी दूर हो जाती है लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जब हालात और गंभीर हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति जल्दी नए परिवर्तनों को स्वीकार नहीं कर पाते, जिसके कारण वे कई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं। इस समस्या को चिकित्सक भाषा में स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिंड्रोम यानी एडजस्टमेंट डिसऑर्डर भी कहा जाता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इसलेखके माध्यम से बताएंगे कि एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर के लक्षण (adjustment disorder symptoms) क्या है। साथ ही स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिंड्रोम के कारण (adjustment disorder causes) और बचाव भी जानेंगे। इसले लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बातचीत की है। पढ़ते हैं आगे...
स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिंड्रोम के लक्षण (adjustment disorder symptoms)
1 - जल्दी चिंता का शिकार हो जाना।
2 - हर वक्त उदास रहना
3 - किसी भी चीज पर फोकस ना कर पाना यानी एकाग्रता की कमी होना
4 - विद्रोही व्यवहार करना
5 - आत्मविश्वास की कमी होना
ऊपर बताएगा लक्षण मुख्य होते हैं लेकिन इससे अलग कुछ शारीरिक लक्षण भी हैं जो नजर आते हैं, वे इस प्रकार हैं
6 - नींद ना आना यानी अनिद्रा की समस्या होना
7 - मांसपेशियों में दर्द महसूस करना
8 - पाचन क्रिया में गड़बड़ी
9 - मांसपेशियों में सूजन होना
10 - मांसपेशियों में खिंचाव होना
11 - बिना कुछ किए थकान महसूस करना
एडजस्टमेंट डिसऑर्डर के कारण ( adjustment disorder causes)
एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर यानी स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिंड्रोम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, यह निम्न प्रकार हैं-
1 - जब किसी करीबी की मृत्यु हो जाती है तो व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है।
2 - अपने आसपास कोई बड़ा बदलाव होना, जैसे अपने शहर को छोड़कर कहीं और शिफ्ट होना या शादी के बाद एडजस्टमेंट प्रॉब्लम होना।
3 - आर्थिक परेशानी के कारण भी व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।
4 - किसी लंबी बीमारी के कारण भी व्यक्ति इस समस्या का शिकार हो सकता है।
5 - आकस्मिक दुर्घटना के कारण यह मासिक विकार हो सकता है।
6 - आशंका द्वारा उत्पन्न डर जब पैदा होता है तो व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है।
7 - दांपत्य संबंधों में तालमेल ना बैठ पाने के कारण या तनाव और कड़वाहट होने के कारण भी यह समस्या हो जाती है।
8 - ब्रेन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण अर्थात कभी-कभी कुछ लोग जन्म से ही तनाव झेलने की क्षमता में कमजोर होते हैं, जिसके कारण समस्या उत्पन्न हो जाती है।
9 - नई पीढ़ी के लोग अपना स्पेस और टाइम किसी के साथ शेयर नहीं करते। ऐसे में वे आधुनिक जीवन शैली के चलते व्यक्तिवादी सोच के शिकार हो जाते हैं और इस आदत के कारण एडजस्टमेंट नहीं कर पाते।
10 - माता पिता से झगड़ा होने के कारण या स्कूल में टीचर या दोस्तों से जुड़ी परेशानी होने के कारण पैदा हुई चिंता भी इसी समस्या का कारण बन सकती है।
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एडजस्टमेंट डिसऑर्डर से बचाव ( adjustment disorder treatment)
- एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर से कई तरीकों से बचा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले दिनचर्या में बदलाव करने की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि आप हर वक्त अकेले रहना पसंद करते हैं या दूसरों के साथ तालमेल बिठाने में दिक्कत महसूस होती है तो इसके लिए सबसे पहले अपने करीबी दोस्त या परिवार से बात करें और उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं।
- इसके अलावा आप कुछ ऐसी फिल्मों की मदद ले सकते हैं जिनका कांसेप्ट मिलनसार, दूसरों पर भरोसा करने वाला और एक दूसरे के प्रति स्नेह आदि पर आधारित हो।
- आप अपनी दिनचर्या में व्यायाम और मेडिटेशन को भी जोड़ें। ऐसा इसलिए क्योंकि कभी-कभी मानसिक विकार के पीछे ब्रेन की संरचना भी एक कारण होता है। ऐसे में मेडिटेशन, व्यायाम, योग इस समस्या को दूर करने में आपके काम आ सकती है।
- अपनी पसंद की चीजों को करें जैसे- किताब पढ़े, कुकिंग करें या दोस्तों के साथ वीडियो कॉल करें। अगर कोई बड़ा बदलाव आपके आसपास होने जा रहा है तो सबसे पहले खुद को उसके लिए तैयार करें।
- अपने आसपास के माहौल को तनाव रहित रखें या आप कहीं बाहर घूमने भी जा सकते हैं, जिससे आप का माहौल चेंज हो।
- इन सब के बावजूद भी अगर आपको लगता है कि आपके व्यवहार में ज्यादा अंतर नहीं आया है तो आप काउंसलर का भी सहारा ले सकते हैं। काउंसलिंग और कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी की मदद से आप इस समस्या को दूर कर सकते हैं।
- इसके अलावा कुछ शारीरिक लक्षण जैसे नींद की समस्या या पाचन तंत्र में गड़बड़ी आदि के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों का भी सेवन करने की सलाह देते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर यानी स्ट्रेस रिस्पांस सिंड्रोम एक आम समस्या है। लेकिन अगर व्यक्ति ज्यादा देर इस समस्या से ग्रस्त रहता है तो उसके शरीर में कुछ शारीरिक बदलाव भी नजर आने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में सबसे पहले जरूरी है दूसरों के साथ तालमेल बैठाना, साथ ही काउंसलर की मदद लेना। लक्षणों में राहत मिलते ही आप अपने इलाज को बीच में ना छोड़े ऐसा करने से समस्या फिर हो सकती है।
ये लेख गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से बातचीत पर आधारित है।
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