धूम्रपान की लत न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए खराब है, बल्कि इससे आपको त्वचा संबंधी रोग सोराइसिस भी हो सकता है। दुनियाभर में सोराइसिस रोग से करीब 12.50 करोड़ लोग प्रभावित हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी के कारण सोराइसिस रोग होता है। जिसके आम लक्षण त्वचा पर खुजली होना या त्वचा पर पपड़ी जैसी उपरी परत जम जाना है। सोराइसिस को छाल रोग भी कहते हैं। सामान्यत: सोराइसिस हमारी त्वचा और स्कैल्प के अलावा हाथ—पांव जैसे हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होता है।
सोराइसिस आनुवांशिक भी हो सकता है, लेकिन आनुवांशिकता के अलावा इसके और भी कई कारण हो सकते हैं। सोराइसिस रोग होने के लिए पर्यावरण को भी एक बड़ा कारण माना जाता है। सोराइसिस रोग का खतरा धूम्रपान करने से दोगुना बढ़ सकता है। यह बीमारी कई बार इलाज के बाद निश्चित रूप से ठीक होने के बाद दुबारा भी हो सकती है। जब शरीर में पूरी नयी त्वचा बनती है, तो उस दौरान शरीर के एक हिस्से में नई त्वचा तीन से चार दिन में ही बदल जाती है। सोराइसिस के दौरान त्वचा इतनी कमजोर पड़ जाती है कि यह पूरी तरह बनने से पहले ही खराब हो जाती है। इस कारण से त्वचा में लाल चख्ते और खून की बूंदे दिखाई पढ़ने लगती है। यह ज्यादातर गलत खान—पान व पौष्टिक आहार ना लेने की वजह से होती है।
धूम्रपान के कारण सोराइसिस का खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है, कि धूम्रपान से सोराइसिस का खतरा दोगुना हो जाता है। निकोटिन के कारण त्वचा की निचली परत में रक्त संचार बाधित हो जाता है और त्वचा में आक्सीजन की कमी हो जाती है। सोराइसिस पर हुए एक अध्ययन के अनुसार भारत में करीब चार से पांच फीसदी लोग सोराइसिस से पीड़ित हैं। ''इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट वेनेरीयोलॉजिस्ट्स लेप्रोलॉजिस्ट्स (आईएडीवीएल) इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अबीर सारस्वत ने कहा, "निकोटिन खून को स्किन की निचली परत में जाने से रोकता है और स्किन को कम आक्सीजन मिलता है। इससे कोशिका उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। जिससे सोराइसिस जैसे रोग होते हैं।"
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सोराइसिस का तनाव व मोटापे से संबंध
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, तनाव से सोराइसिस नहीं, लेकिन सोराइसिस से तनाव जरूर हो सकता है। ऐसे में स्थिति गंभीर भी हो सकती है। इसके अलावा अध्ययन में पाया गया कि मोटापे और सोराइसिस के बीच गहरा संबंध है। यानि ज्यादा वजन और मोटापे के कारण त्वचा पर घाव होने से सोराइसिस हो सकता है। जिन लोगों को पहले से सोराइसिस होता है, उनकी त्वचा ज्यादा प्रभावित होती है, जैसे त्वचा कटने या छिलने से खराब भी हो सकती है।
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सोराइसिस के लक्षण एंव इलाज
सोराइसिस रोग के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है। इसमें आपकी त्वचा पर चख्ते, छिल्केदार लाल पपड़ियां जमने लगती हैं। यह रोग त्वचा के एक हिस्से से शुरू होकर बाद में बढ़कर फैलता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, सोराइसिस का पूर्ण रूप से इलाज नहीं है लेकिन खान—पान और जीवनशैली में बदलाव करने से रोगी की स्थिति में सुधार हो सकता है। यदि आपको सोराइसिस के कोई भी लक्षण दिखते हैं, तो चिकित्सक को दिखाएं और दिए गए निर्देशों का पालन करें।
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इसके अलावा थ्रोट इंफेक्शन से बचे और तनाव मुक्त रहें, क्योंकि थ्रोट इंफेक्शन और तनाव सोराइसिस को प्रभावित करते हैं। इससे सोराइसिस के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है। सोराइसिस के लिए आप आइंटमेंट और लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि मॉइस्चराइजिंग क्रीम इत्यादि से ही रोग नियंत्रण में रहता है। स्थिति गंभीर होने पर इसके लिए एंटीसोरिक और सिमटोमेटिक औषधियों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है।
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