
क्या आप भी कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सो जाते हैं? लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सोने से आप पूरी तरह से अंधे (Completely blind) हो सकते हैं। कॉन्टेक्ट लेंस (Contact Lens) से आंखों से मोटा चश्मा बेशक हटता है लेकिन जरूरत से ज्यादा यह लेंस लगाने से आंखों में सूखापन, अल्सर, ऑक्सीजन की कमी जैसी परेशानी देता है। ऐसे में आप अपनी आंखों से खिलवाड़ न करें। कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सोने से होने वाले नुकसान, कितने समय कॉन्टेक्ट लगाने से फायदा होता और कौन से कॉन्टेक्ट लेंस आंखों के लिए अच्छे होते हैं, इन सवालों पर हमने बात की दिल्ली के श्यामा आई हॉस्पिटल के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दीपक पंडिता से। उन्होंने कॉन्टेक्ट लेंस से जुड़े कई अन्य सवालों के भी जवाब दिए, जिन्हें आपको जानना जरूरी है।
कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सोने से होने वाले नुकसान
डॉ. दीपक ने बताया कि आजकल कुछ ऐसे भी कॉन्टेक्ट लेंस आ रहे हैं जिन्हें पहनकर सोया जा सकता है, लेकिन हमारे देश में प्रदूषण अधिक है। मौमस शुष्क है। इसलिए हम पेशेंट को कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर सोने की सलाह नहीं देते। सॉफ्ट कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर पेशेंट एक नैप ले सकता है लेकिन 10 से 12 घंटे की नींद नहीं ले सकते। कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर सोने से ये नुकसान होते हैं।
1. आंखों में ऑक्सीजन की कमी
डॉ. दीपक ने बताया कि आंखों के कॉर्निया को ऑक्सीजन की जरूरत होती है लेकिन जब हम कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर सोते हैं तो यह ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। जिससे आंखों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसलिए अगर आपको लंबी नींद लेनी है तो कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर न सोएं। आंखों में ऑक्सीन की कमी होने पर आंखों में धुंधलापन होने लगता है। ऐसा लगता है जैसे आंखों में रेत भर गई हो। इसलिए आंखों में ऑक्सीजन का लेवल कम न हो उसके लिए जरूरी है कि कॉन्टेक्ट लगाकर न सोएं।
2. कॉर्नियल अल्सर
रात को सोते समय अगर आप कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सो जाते हैं तो आंखों में अल्सर भी सकता है। इस बारे में डॉ. दीपक ने बताया कि कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सोने से आंख में जरा सा भी इन्फेक्शन हुआ या कोई भी ऐसी चीज हुई जो आंखों के कॉर्निया के लेयर को खराब करती है तो जब आप उसका इलाज नहीं कराएंगे तो धीरे-धीरे वो अल्सर में बदल जाएगा और पेशेंट परमानेंट अंधा हो जाएगा।
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3. धुंधली रोशनी
रात को कॉन्टेक्ट लगाकर सोने या थोड़े समय की नींद के लिए कॉन्टेक्ट लगाना आंखों की सेहत के लिए ठीक नहीं होता। कई मरीजों ने ऐसा महसूस किया है कि जब वे कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सो जाते हैं तो उनकी आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है। तो वहीं, आंखों में लालपन भी दिखता है। ऐसे लोगों को माइक्रोबायल केराटिटिस की दिक्कत हो सकती है।
4. आंखों में ड्राइनेस
जो लोग रात को सोते समय आंखों में लेंस लगा लेते हैं या ज्यादा समय कॉन्टेक्ट लेंस लगाते हैं उनकी आंखों में सूखापन अधिक होता है। दरअसल जो लेंस आपने आंखों में लगाया है वह आपकी आंखों के आंसू सोख लेते हैं। जिससे आंखों में ड्राइनेस आ जाती है। जब आंखों में सूखापन होता है तब उनमें खुलजी, लाल होना, इरिटेशन जैसी परेशानियां देखनी पड़ती हैं।
5. आई इन्फेक्शन
आंखों में कॉन्टेक्ट लेंस ठीक से न लगने पर कॉर्निया के साथ टकराव होता है जिससे आंखों में ड्राइनेस तो बढ़ती ही है साथ ही आंखों के इन्फैक्शन भी बढ़ते हैं। इसलिए सोते समय या जरूरत से ज्यादा कॉन्टैक्ट लेंस को न लगाएं। साथ ही आंखों में दर्द भी होने लगता है।
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ऐसे लगाएं कॉन्टेक्ट लेंस
1. जब भी आप कॉन्टेक्ट लेंस लगाएं सबसे पहले अपने हाथ साबुन से अच्छे से धो लें। हाथों को सुखाकर कॉन्टेक्ट लेंस अपने हाथ में लें।
2. लेंस मिक्स न हों, उसके लिए जिस आंख में पहले लेंस लगाना है पहले उसे हथेली पर रख लें। फिर दूसरे हाथ से लेंस लगाएं। लेंस से गंदगी हटाने के लिए उन्हें सॉल्युशन में धो लें।
3. लेंस लगाते समय ध्यान दें कि लेंस उल्टा न हो। इसके बाद लेंस को अपनी तर्जनी उंगली पर रखकर जिस आंख की पुतली पर लगाएं।
4. लेंस लगाने के बाद पलकों को हिलाएं। आंखों को बंद करें फिर खोलें। कुछ देर ऐसा करने से लेंस पुतली पर फिट हो जाएगा।
5. लेंस लगाने के बाद अगल कोई असुविधा हो रही है तो फिर से लगाएं। आप चाहें तो लेंस लगाने में किसी की मदद भी ले सकते हैं। तो वहीं जब भी आप लेंस लगवाने के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं तो वे पूरा प्रशिक्षण देते हैं कि लेंस कैसे लगाना है।
कितने प्रकार के होते हैं आंखों के कॉन्टेक्ट लेंस
सॉफ्ट कॉन्टेक्ट लेंस या ड्यूरेशन कॉन्टेक्ट लेंस
डॉ. पंडिता के मुताबिक आजकल बाजार में कई तरह के लेंस उपलब्ध हैं। इन्हीं में से एक हैं सॉफ्ट लेंस। आजकल इन्हीं लेंस का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह लेसं ड्यूरेशन के हिसाब से आते हैं। जैसे डेली डिस्पोजेबल लेंस। यह लेंस रोजाना में इस्तेमाल के लिए होते हैं। एक बार इस्तेमाल के लिए ही होते हैं। दूसरा मंथली डिस्पोजेबल लेंस। यह लेंस एक महीने के लिए होते हैं। तीसरा इयरली डिस्पोजेबल लें। यह साल भर के लिए होते हैं।
हार्ड कॉन्टेक्ट लेंस
वैसे सॉफ्ट कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग अधिक किया जाता है। लेकिन जब कुछ कॉर्नियल प्रॉब्लम होती हैं तब डॉक्टर हार्ड कॉन्टैक्ट लेंस लगवाने की सलाह देते हैं।
कॉस्मेटिक कॉन्टेक्ट लेंस
यह लेंस अक्सर फैशन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। यह रंगीन लेंस होते हैं। जिन्हें अक्सर किसी पार्टी विशेष पर पहनते हैं। इन लेंस को लगाने से आंखों की पुतली का रंग बदल जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि कोई लेंस लगाकर आपको सोना नहीं है। साथ ही लंबे समय तक लेंस न लगाएं।
कॉन्टेक्ट लेंस लगाने के फायदे
डॉ. दीपक पंडिता ने बताया कि मोटेतौर पर लोग कॉन्टेक्ट लेंस इसलिए लागते हैं ताकि चश्मे से छुटकारा मिल जाए। चश्मे से छुटकारे के लिए लैसिक सर्जरी भी होती है लेकिन सर्जरी के अपने साइड इफैक्ट हैं। इसलिए सभी लोग सर्जरी नहीं करवाते तब भी लोग कॉन्टेक्ट लेंस लगवाते हैं। डॉक्टर ने बताया कि 5-10 फीसद लोगों को ही कॉन्टेक्ट लेंस सूट नहीं करते हैं।
कॉन्टेक्ट लेंस अधिक समय लगाने से कंप्लीट ब्लांइडनेस की दिक्क्त हो सकती है। इसलिए जरूरत से ज्यादा लेंस को न लगाएं। तो वहीं, पिछले कुछ सालों में ऐसे भी शोध हुए हैं कि कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर सोने से आंखों में अल्सर से लेकर आंखों में ऑक्सीजन की कमी तक हो जाती है। अगर आप भी ऊपर लिखी किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो नजरअंदाज न करें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही इंटरनेट का सहारा लेकर खुद को ठीक करने की कोशिश न करें। इंटरनेट आपको केवल जानकारी दे सकता है इलाज नहीं।
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