सिंगल चाइल्ड का फैसला बेशक माता-पिता का होता है। वे अपनी आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य को देखते हुए इकलौती संतान का चुनाव करते हैं। इकलौती संतान होने के नाते, अक्सर ये देखा गया है कि बच्चे में आसामान्य लक्षण नजर आने लगते हैं। जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सैल स्वभाव, इंट्रोवर्ट होना आदि। इसमें बच्चे की गलती नहीं है। अपनी उम्र के बच्चे यानी भाई-बहन न होने के कारण बच्चे कई बार खुद को अकेला महसूस करते हैं। ये एहसास समय के साथ पुख्ता होता जाता है और मानसिक समस्या का रूप ले लेता है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर इकलौती संतान को किस तरह की मानसिक समस्याएं होती हैं और उसकी परवरिश में किन बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए।
मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकती है इकलौती संतान
जिन माता-पिता की इकलौती संतान होती है, उनका खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। अकेला होने के कारण वे कई मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। जैसे-
- अगर माता-पिता बच्चे को समय न पाएं, तो बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
- अपनी उम्र के भाई या बहन के न होने से बच्चा तनाव महसूस कर सकता है।
- ऐसे बच्चे अकेला रहना सीख लेते हैं और कई बार इनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
- ज्यादा समय अकेले बिताने वाले बच्चे, बाहरी दुनिया से खुद को दूर कर लेते हैं। ऐसे में वो एंग्जाइटी का शिकार भी हो सकते हैं।
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ऐसे करें इकलौते बच्चे की सही परवरिश
महंगाई के दौर में कई माता-पिता एक ही संतान चाहते हैं लेकिन एक बच्चे की जिम्मेदारी बखूबी निभाने के लिए आपको कुछ जरूरी बातों पर गौर करना होगा तभी आप बच्चे की सही परवरिश कर सकेंगे। जानें परवरिश के तरीके-
1. बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य, भावनाएं, पारिवारिक रिश्ते, भविष्य आदि से जुड़ी सारी जानकारी समय-समय पर देते रहें।
2. इकलौते बच्चे माता-पिता के लाडले होते हैं लेकिन आपको इस चक्कर में बच्चे को बिगाड़ना नहीं है।
3. बच्चे की समस्याओं को समझने के लिए माता-पिता न बनकर दोस्त बनें। उसकी कुछ बातों में साथ दें और गैर-जरूरी बातों को नजरअंदाज करें।
4. इकलौते बच्चे के साथ ज्यादा सख्त व्यवहार अच्छा नहीं होता। इससे बच्चा आपसे मन की बात नहीं कह सकेगा और डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
5. इकलौते बच्चे, बाहर जाकर ज्यादा शांत नजर आते हैं लेकिन उन्हें खुद का महत्व समझाएं और स्पेशल महसूस करवाना न भूलें।
6. अगर बच्चे के व्यवहार में किसी तरह का फर्क देखने को मिले, तो उसे साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर के पास लेकर जाएं।
7. बच्चे के लिए बदलाव जरूरी होता है। उसे समय-समय पर बाहर लेकर जाएं। बच्चे के मूड के मुताबिक अच्छा प्लान बनाएं।
बच्चे से न बनाएं समय का बहाना
माता-पिता बच्चे को समय न होने का हवाला देकर, काम या अपनी चीजों में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन अगर आप इकलौती संतान के माता-पिता हैं, तो ऐसी गलती कभी न करें। बच्चे को पूरा समय दें। बच्चे के नजरिए से देखेंगे, तो समझ पाएंगे कि आपके अलावा वो किसी से अपने मन की बात शेयर नहीं करेगा। एक से ज्यादा बच्चों वाले माता-पिता के नाते आपके कंधों पर जिम्मेदारी थोड़ी कम होगी। इसका फायदा उठाएं, और ज्यादा से ज्यादा समय बच्चे को दें।
ऊपर बताई गई टिप्स की मदद से आप भी अपने बच्चे की सही परवरिश सुनिश्चित कर सकते हैं। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।