हम सभी की जिंदगी में एक ऐसा वक्त आता है, जब हम खुद के साथ एक जंग लड़ रहे होते हैं। अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा होता है, लेकिन किसी से कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाते हैं। उस वक्त ऐसा महसूस होता है, जैसे सब खत्म हो गया है। एक वक्त के बाद व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि अपने दर्द को बाहर निकालने के लिए वह खुद को चोट पहुंचाने या काटने पर मजबूर हो जाता है। अक्सर जब व्यक्ति अपना दुख या गुस्सा किसी और पर नहीं उतार पाता है, तो खुद को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। अगर आपके साथ भी कभी ऐसा होता है, तो आपको समझना होगा कि ऐसी स्थितियों से निपटने का ये सही तरीका नहीं है।
Psymate क्लीनिक के मनोचिकित्सक डॉ. समन्त दर्शी बता रहे हैं कि दुख की ऐसी स्थिति से व्यक्ति कैसे निकल सकता है और ऐसे दुख या गुस्से से कैसे निपटना चाहिए।
डॉ. समन्त दर्शी बताते हैं कि अगर गुस्से या दुख के कारण किसी के व्यवहार में ऐसा परिवर्तन आता है कि वो स्वयं को दुख पहुंचाने लग रहा है, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। कई बार व्यक्ति को ऐसे समय में सही सहायता नहीं मिलती है, तो वो आत्महत्या की तरफ भी बढ़ सकता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति की तुरंत मदद करनी चाहिए और उससे बात करनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति खुद को जानबूझ कर चोट पहुंचाता है, तो उसे सेल्फ हार्म कहते हैं। खुद को चोट पहुंचाने के सबसे आम तरीकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- त्वचा को काटना या स्क्रेच करना
- दीवार पर सिर पटकना
- किसी वस्तु से खुद को मारना
- चीजों को फेंकना या मारना
- शरीर को दीवार पर मारना
- शरीर पर चीजें चिपकाना
- खुद को जलाना
- घावों को ठीक न होने देना
- जहरीली चीजों का सेवन करना
खुद को चोट पहुंचाने के कई अन्य तरीके भी हैं, जिसमें गाड़ी या बाइक को तेज स्पीड में भगाना, शराब का अत्यधिक सेवन, ड्रग्स का सेवन या असुरक्षित सेक्स आदि तरीके शामिल हैं। व्यक्ति खुद को चोट पहुंचाने के हर उस तरीके को अपनाता है, जिसकी उसे जानकारी होती है।
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व्यक्ति खुद को कब नुकसान पहुंचाता है?
- जब व्यक्ति उदासी, आत्म-घृणा, अकेलापन, गुस्सा और आत्म-ग्लानि से भरा होता है।
- मन की भड़ास को बाहर नहीं निकाल पा रहा है
- दबाव का अनुभव
- खुद को किसी गलती के लिए मुख्य जिम्मेदार मानता है
- कुछ न महसूस कर पाने की स्थिति में

इसके अलावा कुछ व्यवहारिक कारण भी हैं, जो ऐसी व्यक्ति के लिए ऐसी स्थिति पैदा कर सकते हैं, जैसे-
- अच्छे अंको के लिए घरवालों का दबाव (कई मामलों में यह बच्चों में निराशा का एक बड़ा कारण साबित होता है)
- किसी के द्वारा लगातार परेशान किया जाना, चिढ़ाया जाना या शारीरिक मानसिक हिंसा का शिकार होना
- प्यार में धोखा खाना या दिल टूटना
- घर में बुरा व्यवहार किया जाना
- घर में खराब वातावरण
- हर वक्त परिवार वालों द्वारा किसी न किसी बात का दबाव बनाना
- किसी के द्वारा सेक्सुअली हैरस होने की स्थिति में
- किसी करीबी की मौत होने की स्थिति में
- अनजाने में कोई बड़ी गलती होने का एहसास
- या बहुत अधिक गुस्सा आना आदि
इस दुख स्थिति से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आप अकेले नहीं है। ऐसे कई साधन उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से आप अपने दर्द से बाहर निकल सकते हैं। दर्द चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, लेकिन खुद को चोट पहुंचाने या काटने से आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है। चाहे आप कितना ही गंदा, अकेलापन, परेशान या दबाव महसूस कर रहे हों, हर समस्या का हल निकालना संभव है। ऐसे में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
किसी अपने से मदद मांगें
अगर आपके मन में खुद को नुकसान पहुंचाने के ख्याल आ रहे हैं, तो किसी अपने से मदद मांगे। हालांकि, किसी से भी बात करना बेहद मुश्किल और रिस्की हो सकता है, लेकिन बात करना जरूरी है। किसी ऐसे से बात करें, जिसपर आपको भरोसा हो और दूसरों के साथ गॉसिप नहीं करेगा। बात करने से मन हल्का हो जाता है और खुद को चोट पहुंचाने के ख्याल दूर हो जाते हैं।
किसी प्रोफेशनल की मदद लें
यदि आप किसी अपने से बात नहीं करना चाहते हैं, तो आप किसी प्रोफेशनल की मदद ले सकते हैं। किसी अच्छे थेरेपिस्ट से संपर्क कर उससे अपने दिल की बात करें। थेरेपिस्ट इन समस्याओं का सामना करने में आपकी मदद करेगा।
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दुख, गुस्सा और निराशा से निपटने के अन्य तरीके
जब कोई बात आपको बहुत ज्यादा परेशान करे और आप खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचे तो, इन चीजों की मदद लें:
- ड्रॉइंग बनाएं या कोई अच्छी फिल्म देखें।
- लिखने की आदल डालें।
- अपनी भावनाओं को पन्नों पर व्यक्त करें और फिर उन पन्नों को फाड़ दें या जला दें।
- जिससे आपको खुशी मिले वह काम करें
- एक्सरसाइज़ करें।
- तकिए या कुशन को पंच करें।
- स्ट्रेस बॉल को दबाएं।
- योग और ध्यान करें।
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