जिस तरह हंसना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है उसी तरह रोना भी हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि रोने या आंसू आने के कई लाभ होते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं होता कि ऐसा क्यों होता है। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि रोते वक्त जब हमारे आंसू आते हैं तो इससे तनाव दूर होता है और इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है? कैसे होता है? और इसके क्या वैज्ञानिक कारण हैं? आइए जानते हैं।
क्यों आते हैं आंसू
जो बातें व्यक्ति को बहुत अधिक खुश या दुख देती हैं, उनका संदेश हमारे मस्तिष्क के उस खास हिस्से तक पहुंचता है, जिसे हाइपोथेलेमस कहा जाता है। ब्रेन का यही हिस्सा भावनाओं को नियंत्रित और संचालित करता है। बहुत अधिक दुख या खुश होने पर हाइपोथेलेमस सक्रिय हो जाता है और फेशियल नर्व के माध्यम से वह पलकों के ऊपर स्थित लैक्रीमल ग्लैंड तक संदेश भेजता है, संदेश मिलते ही यह सक्रिय हो जाता है और आंखों से आंसू बहने लगते हैं। सामान्य अवस्था में भी इस ग्लैंड से सीमित मात्रा में आंसुओं का रिसाव होता और उनकी नमी से आंखों का आराम मिलता है। अक्सर आपने बुज़ुर्गों को कहते सुना होगा कि रोने के बाद मन हलका हो जाता है। अपने अध्ययनों के बाद अब तो वैज्ञानिक भी इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं कि रोने से तनाव दूर हो जाता है।
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जापान में अनूठा प्रयोग
जापानी वैज्ञानिक तनाव दूर करने के लिए लोगों को हंसाने के बजाय कभी-कभी उन्हें रुलाने की सलाह देते हैं। इस उद्देश्य से वहां टीयर टीचर्स तैयार किए जा रहे हैं, जो बाकायदा लोगों को रोने के फायदे के बारे में बता कर उन्हें यह समझाते हैं कि इसमें शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए। फीदोहूमी योशिदा एक हाई स्कूल की शिक्षिका हैं और उन्होंने इस विषय पर अध्ययन किया है। अपने रिसर्च से उन्होंने यह साबित किया है कि हंसने या नींद लेने के मुकाबले रोने से तनाव जल्दी दूर हो जाता है।
अवसाद दूर करते हैं आंसू
कई बार जब व्यक्ति बहुत अधिक परेशान होता है तो वह कुछ भी समझ नहीं पाता और वह रो पड़ता है। इस संदर्भ में दिल्ली स्थित मैक्स हॉस्पिटल की सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशिमा श्रीवास्तव कहती है, 'अगर कभी रोना आए तो इसमें असहज होने जैसी कोई बात नहीं है। रोने की क्रिया भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मददगार होती है। रोने के दौरान ब्रेन से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स और न्यूरोट्रांस्मीटर्स का सिक्रीशन होता है, जो तेज़ी से तनाव दूर करके के काम में जुट जाते हैं। इसी वजह से रोने के बाद मन हलका हो जाता है।
खुलकर करें इज़हार
यहां बात केवल रोने की नहीं है बल्कि अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि अपनी भावनाओं को जबरन नियंत्रित करने के बजाय हम उन्हें करीबी लोगों के साथ शेयर करें। इससे तनाव दूर करना आसान हो जाता है। इस संदर्भ में डॉ. आशिमा आगे कहती हैं, 'हमारे समाज में छोटी उम्र से ही बच्चों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि लड़के नहीं रोते, इसलिए वे अपनी भावनाओं को सख्ती से नियंत्रित करना सीख जाते हैं। इसके विपरीत लड़कियां जन्मजात रूप से ही ज़्यादा एक्सप्रेसिव होती हैं। चाहे हंसना-रोना हो या फिर रूठना, वे अपनी हर भावना का खुलकर इज़हार करती हैं। इसी वजह से वे भावनात्मक रूप से अधिक मज़बूत होती हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति का सहज होना ज़रूरी है, इसलिए हंसी की तरह आंसुओं को भी सहजता से स्वीकारें।
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