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प्लास्टिक के बर्तन आपकी सेहत को अंजाने में कैसे पहुंचाते हैं नुकसान, एक्सपर्ट से समझें पूरी बात

प्लास्टिक के उपयोग हम रोजाना अपने दैनिक कामों में करते हैं लेकिन क्या आपको पता है , इससे हमारे स्वास्थ्य को कितना नुकसान पहुंच रहा है।
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प्लास्टिक के बर्तन आपकी सेहत को अंजाने में कैसे पहुंचाते हैं नुकसान, एक्सपर्ट से समझें पूरी बात


आज जानें या अनजाने में हम अपने आसापास चारों ओर प्लास्टिक से घिरे हुए हैं । हमारे खाने के कंटेनर से लेकर पानी की बोतल तक सभी प्लास्टिक के होते है। ये प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच रहे हैं । मुंबई के लीलावती अस्पताल के  स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ हृषिकेश पाई के अनुसार , हमारे स्वास्थ्य के लिए किसी भी तरह की प्लास्टिक अच्छी नहीं होती है । ये एक साइलेंट किलर की तरह हमें धीरे-धीरे खोखला करते जाते हैं । आपको जानकर हैरानी होगी कि हम अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक का जैसे इस्तेमाल करते है, हमें उससे भी नुकसान होता है। प्लास्टिक (Side effects plastic containers) में गर्म पदार्थ रखना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है। डॉ हृषिकेश के अनुसार, प्लास्टिक कंटेनर में गर्म खाद्य और पेय पदार्थ रखने पर उसमें लीचिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है , जिससे कई हानिकारक बीमारियां हो सकती है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं, इंसुलिन प्रतिरोध, हाई ब्लडप्रेशर और कम प्रजनन क्षमता के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां होती है। इसलिए प्लास्टिक के कंटेनर को कभी माइक्रोवेव गर्म नहीं करना चाहिए। इसी तरह प्लास्टिक के कई नुकसान हैं, जिन्हें जानने से पहले हमें ये जानना होगा कि अपने आसपास हम कैसे प्लास्टिक से घिरे और ये हमारे लिए कौन-सी बीमारियां पैदा कर रहे हैं?

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1. पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट

पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट आमतौर पर पीईटी के रूप में जाना जाता है।इस प्रकार के प्लास्टिक पानी की बोतलों और सोडा की बोतलों में इस्तेमाल किया जाता है। घरों में इस्तेमाल होने वाली केचप की बोतल भी इसी प्लास्टिक की बनी होती है। इस तरह की प्लास्टिक गर्म करने पर और खतरनाक हो जाती है। इसलिए हमेशा इस चीज का हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमें प्लास्टिक के कंटेनर में खाद्य पदार्थ बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।

2. उच्च घनत्व पॉलीथीन

उच्च घनत्व वाले प्लास्टिक को एचडीपीई के रूप में जाना जाता है।ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल का उपयोग दूध और जूस बोतलों में किया जाता है।हालांकि यह मूल रूप से एक मजबूत और टिकाऊ प्लास्टिक होता है। इसे अन्य प्लास्टिक की तुलना सुरक्षित माना जाता है।लेकिन इस तरह के प्लास्टिक के कारण हानिकारक रसायनों का भी रिसाव होता है। इन रसायनों के अधिक उपयोग से बच्चों एवं किशोरों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

3. पॉलीविनाइल क्लोराइड

इस प्लास्टिक को पीवीसी के रूप में  भी जाना जाता है। यह एक बहुत ही कठोर लेकिन लचीला होता है। इसे प्लंबिंग पाइप जैसे हार्डवेयर उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीवीसी का अन्य इस्तेमाल प्लास्टिक कंटेनर,बच्चों के खिलौने और दवाओं के लिए रैपर में किया जाता है। पीवीसी में डीईएचपी होता है, जिससे पुरुषों में समस्याएं हो सकती है । यह मानव हार्मोन्स को असंतुलित कर सकता है।

4. कम घनत्व वाली पॉलीथीन

यह बहुत पतला प्लास्टिक है , जिसका उपयोग ज्यादातर कचरा बैग और प्लास्टिक कप आदि के लिए किया जाता है। हालांकि इसमें कोई बीपीए नहीं है लेकिन इसमें हानिकारक एस्ट्रोजेनिक रसायन होते हैं।

5. पॉलीप्रोपाइलीन

पॉलीप्रोपाइलीन या पीपी प्लास्टिक कंटेनर, मशीनों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक उपकरणों और फाइबर, वस्त्रों के लिए उपयोग किया जाता है। इसे अन्य प्लास्टिक की तुलना में स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक माना जाता है लेकिन इससे भी कई स्वास्थ्य समस्याएं होती है।

6. पॉलीस्टायरीन

यह अक्सर स्टायरफोम के रूप में जाना जाता है। प्लेट,कप और डिस्पोजेबल बर्तन बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इससे स्टाइरीन का रिसाव करता है। गर्मी या धूप के संपर्क में आने पर स्टाइरीन विशेष रूप से हानिकारक होता है।

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प्लास्टिक से होने वाली बीमारियां

1. अस्थमा

आमतौर पर प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।प्लास्टिक उत्पादों में पाए जाने वाले फेथलेट रसायनों से अस्थमा का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इससे सांस की नली में सूजन का खतरा भी होता है ।

2. रक्तचाप

प्लास्टिक के संश्लेषण में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) जैसे रसायनों का काफी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है और यह हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कई चीजों में होता है। बीपीए के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के अंत: स्त्रावी तंत्र को बाधित करता है। इससे उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।

3. डायबिटीज

दरअसल प्लास्टिक को अधिक लचीला बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायनों के कारण शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है और बाद में इसे संतुलित करने के लिए इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। इन सब कारणों से प्लास्टिक के उपोयग से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है । प्लास्टिक के कारण पथरी और बच्चों के विकास संबंधित भी कई परेशानियां होती है।

 

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4. कैंसर

प्लास्टिक के कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है । प्लास्टिक को गर्म करने पर रसायनों का रिसाव होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक मानी जाती है। इनसे निकलने वाले बिस्फेनॉल ए के कारण कैंसर का खतरा उत्पन्न होता है।

5. तंत्रिका और मस्तिष्क

प्लास्टिक के इस्तेमाल से मस्तिष्क कोशिकाएं भी प्रभावित होती है। प्लास्टिक में उपयोग होने वाले रसायन मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करते हैं, जिससे इंसान में चिड़चिड़ापन और क्रोध जैसी समस्या भी होती है।

बच्चों को प्लास्टिक से कैसे दूर रखें

डॉ हृषिकेश पाई के अनुसार  छोटे बच्चों की दूध की बोतल भी प्लास्टिक की होती है और इसके लिए बीपीए के इस्तेमाल पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। दूध की बोतलों में पॉलीप्रोपाइलीन से बनी बोतलें इस्तेमाल की जाती है, जिससे कम मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ती है। हालांकि इसके और दुष्प्रभावों के बारे में कोई ठोस शोध उपलब्ध नहीं है। लेकिन बच्चों के खाने-पीने की चीजें हो सकते तो कांच या स्टेनलेस स्टील वाले कंटेनर में रखें। यह उनके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा। बच्चे पैकट बंद चिप्स और जंक फूड खाना भी पसंद करते हैं। चिप्स को पॉलीप्रोपाइलीन प्लास्टिक में पैक किया जाता है और इसपर एल्यूमीनियम की परत होती है। हालांकि स्वास्थ्य पर इसेक बुरे प्रभावों को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं है लेकिन इन प्लास्टिकों में मौजूद रसायन चिप्स में चिपक सकते हैं और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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दैनिक जीवन में प्लास्टिक का इस्तेमाल कैसे सीमित करें -

कांच कंटेनर प्लास्टिक की तुलना में एक बढ़िया विकल्प है क्योंकि यह प्लास्टिक की तुलना में अधिक सुरक्षित, किफायती और माइक्रोवेव , रेफ्रिजरेटर में रखे जाने पर किसी तरह का जहरीला पदार्थ भी नहीं छोड़ता। इसके अलावा स्टेनलेस स्टील और सिरेमिक से बनी प्लेट्स भी एक आदर्श विकल्प है। साथ ही गर्म खाना रखने के लिए प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें। एक प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली आपको प्रजनन से लेकर संतुलित हार्मोन और सम्रग स्वास्थ को बनाए रखने में मदद करता है।प्लास्टिक में लिपटे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों से अधिक वसा और तेलीय परत हमारे खाने का हिस्सा बन जाती है।

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