देश में कोरोना वैक्सीनेशन का महाभियान जारी है। अबतक लाखों लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुका है। हाल ही में बिहार से कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। जी हां, बिहार के छपरा जिले में टीकाकरण कराने आए युवक को नर्स ने बिना वैक्सीन लोड किए इंजेक्शन लगा दिया। जब युवक खुश होकर घर लौटा, तो उसने अपने दोस्त द्वारा बनाए वीडियो में देखा कि उसके वैक्सीन सीरिंज में कोई दवाई नहीं डाली गई है। यह देखकर युवक काफी चौंक गया। उसके बाद युवक ने अपने दोस्त द्वारा बनाए इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यह मामला छपरा जिले के टीकाकरण केंद्र वार्ड नम्बर 1 के उर्दू माध्यमिक स्कूल ब्रहमपुर इमामबाड़ा का है। अब सवाल यह उठता है कि क्या खाली सीरिंज लगाने से सेहत पर किसी तरह का कोई असर होता है? इस बारे में हमने गाजियाबाद के कॉल्बिया एशिया हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉक्टर अतुल गुप्ता और मेदांता हॉस्पिटल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर अरविंद कुमार से बात की। चलिए जानते हैं क्या कहना है दोनों हेल्थ एक्सपर्ट का इस बारे में?
अक्सर आपने देखा होगा कि इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर या नर्स हमेशा थोड़ी सी दवाई बाहर निकाल देते हैं। आपने सोचा है आखिर वो ऐसा क्यों करते हैं? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि वह इंजेक्शन से उसमें मौजूद हवा बाहर निकालते हैं। इंजेक्शन में मौजूद हवा को एयर एम्बोलिज्म (Air Embolism) कहा जाता है। अगर किसी को खाली इंजेक्शन नसों में लगाया जाए, तो उसे एयर एम्बोलिज्म हो सकता है।
क्या कहते हैं डॉक्टर अतुल गुप्ता?
न्यूरोसर्जन डॉक्टर अतुल गुप्ता का कहना है कि अगर खाली इंजेक्शन मसल्स में लगया जाए, तो इससे किसी तरह की समस्या नहीं होती है। वहीं, अगर व्यक्ति को खाली इंजेक्शन नसों में लगा दिया जाए, तो उसे एयर एम्बोलिज्म की समस्या हो सकती है। दरअसल, हमारे नसों में ब्लड फ्लो होता रहता है, ऐसे में जब खाली इंजेक्शन लगता है, तो इन ब्लड फ्लो के रास्ते में एयर बबल्स आ जाए, तो ब्लड फ्लो सही से नहीं हो पाता है। डॉक्टर का कहना है अगर इंजेक्शन के माध्यम से छोटा सा बबल हो, तो किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन अगर ज्यादा हवा नसों में चला जाए, तो यह मरीज के लिए घातक हो सकता है। इससे उनके लंग्स और दिमाग पर असर पड़ सकता है। चलिए विस्तार से जानते हैं अगर किसी को एयर एम्बोलिज्म हो जाए, तो किस तरह की समस्या हो सकती है।
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क्या है एयर एम्बोलिज्म? (What is Air Embolism)
मेदांता हॉस्पिटल के चेस्ट सर्जन डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि एयर एम्बोलिज्म को गैस एम्बोलिज्म भी कहा जाता है। एयर एम्बोलिज्म किसी व्यक्ति को तब होता है, जब उसके नसों या धमनियों में हवा के बुलबुले एक या उससे अधिक मात्रा में प्रवेश करे। खाली इंजेक्शन के अलाव कई अन्य कारणों से व्यक्ति को एयर एम्बोलिज्म की समस्या हो सकती है।
एयर एम्बोलिज्म के कारण (Causes of Air Embolism)
- सर्जरी या फिर इंजेक्शन देने के दौरान व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।
- लंग्स ट्रॉमा के कारण भी व्यक्ति को एयर एम्बोलिज्म की परेशानी हो सकती है।
- स्कूबा डाइविंग करने के दौरान व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है। दरअसल, यह समस्या तब होती है व्यक्ति पानी के नीते लंबे समय तक सांस रोक कर रखता है। इस क्रिया के दौरान फेफड़ों की वायुकोशिकाएं फट सकती हैं।
- बम या फिर विस्फोट की वजह से लगी चोटों के कारण भी नसों या फिर धमनियों में हवा के बबल्स हो सकते हैं। इस कारण भी आपको एयर या फिर गैस एम्बोलिज्म की समस्या हो सकती है।
एयर एम्बोलिज्म के लक्षण (Symptoms of Air Embolism)
- सांस लेने में परेशानी
- छाती में दर्द
- मसल्स और ज्वाइंट पेन
- स्ट्रोक
- लो ब्लड प्रेशर की समस्या
- मानसिक समस्या
कैसे किया जाता है एयर एम्बोलिज्म की जांच?
अगर आपको कुछ दिन पहले इंजेक्शन लगी हो और इसके लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर डॉक्टर को किसी तरह का संदेह महसू होता है, तो वह कुछ उपकरणों की मदद से वायुमार्ग की जांच, हृदय की जांच और सांस लेने के दर की जांच करता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर की भी निगरानी करता है। इसके अलावा एयर एम्बोलिज्म की समस्या का संदेह होने पर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन करवा सकते हैं।
अगर आपको खाली इंजेक्शन या फिर एयर एम्बोलिज्म का संदेह हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें। इस समस्या की वजह से आपके शरीर में कई अन्य तरह की परेशानी हो सकती है।
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