
जब किसी बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते हैं तो उसकी जांच कराई जाती है। इस प्रक्रिया को 'स्क्रीनिंग' कहा जाता है। यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक है। कैंसर के लिए 'स्क्रीनिंग' करवाने से समय रहते इस बीमारी की पहचान होने में आसान होती है। ऐसे में कैंसर का इलाज करने में भी मदद मिलती है। बीमारी का समय रहते इलाज शुरू होने पर मरीज के ठीक होने की संभावना भी अधिक होती है।
इसी प्रकार से फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) के मामले में देखा गया है कि बीमारी को स्पाइरल सीटी स्कैन की लो-डोज की प्रक्रिया के जरिये पहचाना जाता है। छाती के एक्स-रे में जहां फेफड़ों की द्विआयामी तस्वीर ही सामने आती है, वहीं सीटी स्कैनर फेफड़ों की पूरी जांच कर लेता है। यह छाती के इर्द-गिर्द स्पाइरल के लगातार कई एक्स-रे लेता है। सीटी स्कैनर के जरिये ली गईं तस्वीरों को कंप्यूटर पर अलग-अलग देखा जा सकता है। और इसके बाद इन्हें एक त्रिआयामी तस्वीर के रूप में तैयार भी किया जा सकता है। इससे डॉक्टर को फेफड़ों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है और साथ ही फेफड़ों में मौजूद छोटे से छोटे निशान को पहचाना जा सकता है।
Lung Cancer Screening: किन लोगों को होता है फेफड़ों के कैंसर का खतरा
फेफड़ों के कैंसर की जांच या स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है। मगर आपको यह भी समझने की आवश्यकता है कि फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा किसे अधिक होता है, और इसकी स्क्रीनिंग किन लोगों को करानी चाहिए। आइए जानते हैं।
1. धूम्रपान
आप जितना अधिक धूम्रपान करते हैं, फेफड़े के कैंसर होने का खतरा उतना बढ़ता जाता है। इसके साथ ही आप कितने अर्से से धूम्रपान कर रहे हैं, यह बात भी कैंसर के खतरे को बढ़ाने का अहम कारक होती है। किसी भी उम्र में धूम्रपान छोड़ने से आप फेफड़ों के कैंसर होने के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
2. अप्रत्यक्ष धूम्रपान
अगर आप धूम्रपान नहीं भी करते हैं, तब भी आपको यह लंग कैंसर हो सकता है। दरअसल, यदि आप किसी ऐसी जगह रहते हैं जहां आपके आसपास रहने वाले लोग धूम्रपान ज्यादा करते हैं तो उनके माध्यम से आप तक सिगरेट का धुआं पहुंचता है, जो कैंसर कारक होता है। यह अप्रत्यक्ष या सेकेण्ड हैण्ड स्मोकिंग भी इस बीमारी का बड़ा कारण है।
3. रेडन गैस के संपर्क में रहना
रेडन जमीन, चट्टान और पानी में यूरेनियम के कुदरती रूप से टूटने से निकलती है। और आखिरकार यह हवा में घुलकर आपकी श्वसन प्रणाली का हिस्सा बन जाती है। रेडन की जरूरत से ज्यादा मात्रा असुरक्षित होती है और यह आपको बीमार कर सकती है। घर में रेडन का स्तर जांचने के लिए उपकरण मौजूद हैं। यदि जांच में स्तर अधिक पाया जाये, तो इसका इलाज भी संभव है।
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4. अजबेस्टो और अन्य रसायनों का संपर्क
यदि आप घर या दफ्तर में अजबेस्टो या अन्य खतरनाक रसायनों अथवा पदार्थों के अधिक संपर्क में रहने से भी कैंसर हो सकता है। ऑर्सेनिक, क्रोमियम और निकल के अधिक संपर्क में रहने से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। अगर आप धूम्रपान करते है, तो आपके लिए यह खतरा और बढ़ जाता है।
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5. पारिवारिक इतिहास
यदि आपके परिवार में फेफड़े के कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, तो आपको यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको जांच जरूर करवानी चाहिये। तो अगर आपका इन चीजों से वास्ता पड़ता है, तो बेहतर है कि आप समय रहते फेफड़ों के कैंसर की जांच करवा लें। इससे आप भविष्य में होने वाले गंभीर खतरों से बच पाएंगे।
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