रोजाना की भागदौड़ और अनियमित खानपान की वजह से हम अक्सर बीमारियों से घिरे रहते हैं। जबकि मानव के जीवन में उसके स्वास्थ्य से अधिक मूल्यवान चीज कुछ भी नहीं है। इसलिए फिट और हेल्दी रहने के लिए संतुलित खाना और साथ ही साथ कुछ नियमों का ध्यान रखना काफी जरूरी है। वैसे तो वजन कम करने के लिए बहुत अलग-अलग तरह की डाइट उपलब्ध हैं, जैसे मेडिटेरेनियन, कीटो आदि। लेकिन सभी डाइट के अपने लाभ और साइड इफेक्ट्स होते हैं। कई बार हम परेशान हो जाते हैं कि कौन सी डाइट का पालन करना हमारे लिए बेस्ट रहेगा। इसलिए आज हम आपको सभी डाइट में पाई जाने वाली कुछ समानताओं के बारे में बताने वाले हैं। ताकि आप लाभों की चिंता किए बिना वह डाइट फॉलो कर सकें। जो आपके लिए सबसे उपयुक्त हो। फल-सब्जियों का सेवन करने से काफी लाभ जैसे कि शुगर लेवल नियमित रहना, वजन नियंत्रंण आदि मिलते हैं।
ओमेगा 6 फैट से भरपूर वेजिटेबल ऑयल का सेवन न करें
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में सीनियर डाइटिशियन डॉक्टर अदिति शर्मा बताती हैं कि ओमेगा 6 फैट कई प्रकार के खाने और सप्लीमेंट में होता है। जैसे कि सोयाबीन ऑयल, केनोला ऑयल, कार्न ऑयल (मक्के का तेल) और कॉटन सीड ऑयल आदि ओमेगा 6 फैट से भरपूर कुछ वेजिटेबल ऑयल के प्रकार हैं। लेकिन ओमेगा 6 फैट के कारण कोलेस्ट्रॉल में बढ़ाव हो सकता है। जिसे एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं। इसकी वजह से हार्ट स्ट्रोक और अन्य ह्रदय परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए डाइट के दौरान ओमेगा 6 फैट युक्त वेजिटेबल ऑयल का सेवन न करें। बल्कि उनकी जगह पर ऑलिव ऑयल या फिर किसी कम ओमेगा फैट वाले वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल करें।
आर्टिफिशियल ट्रांस फैट को डाइट से हटाए: वेजिटेबल ऑयल के हाइड्रोजनीकरण से ट्रांस फैट बनाया जाता है। बहुत सारे देशों में ट्रांस फैट को बैन कर दिया गया है। यह फैट प्रोसेस किए गए खाने में पाए जाते हैं। डाइट में ट्रांस फैट का सेवन बिल्कुल भी न करें इससे बहुत सी बीमारियां होने का खतरा रहता जिनमें से दिल की बीमारियां प्रमुख है।
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खाने पर कैलोरीज पर अधिक ध्यान दें
एक अच्छी डाइट में खाने को कैलोरीज से अधिक महत्व दिया जाता है। वजन कम या कैलोरीज पर प्रतिबंध करने की बजाए हेल्दी डाइट का सेवन करें। ताकि शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहे। कितना खाना खाया जा रहा है इसका ध्यान रखने की बजाय खाने में क्या खाएं, इस बात पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है। साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है।
अधिक सब्जियां और फाइबर का सेवन करें
बहुत सारी डाइट में कुछ खाद्य पदार्थों को हटाना पड़ता है या फिर सीमा तय करनी पड़ती है। जैसे कि पीलियो डाइट से अनाज को हटाया किया जाता है और प्लांट वाली डाइट्स से पशु आहार को। दरअसल सब्जियों में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट्स, न्यूट्रिएंट्स व बहुत से अन्य फाइबर्स होते हैं। जिनसे बीमारियों का खतरा कम होता है और स्वस्थ शरीर रहता है।
रिफाइंड कार्ब्स को डाइट में से हटाएं
रिफाइंड कार्ब्स में एक प्रकार की शुगर होती है। गेहूं के आटे में सबसे ज्यादा रिफाइंड कार्ब्स पाया जाता है। रिफाइंड कार्ब्स से कैलोरीज बढ़ती है और कोई भी न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते। अगर होल ग्रेन में फाइबर न हो तो स्टार्च हमारे ब्लड शुगर लेवल को बिगाड़ सकता है। इसके कारण बार-बार खाने का मन करता है और जब ब्लड शुगर लेवल कम होने लगता है तो कुछ घंटों बाद ज्यादा खाने का मन करने लगता है। रिफाइंड कार्ब्स डाइट में खाने से बहुत सी बीमारियां होती है जैसे ज्यादा मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और अन्य ह्रदय से जुड़ी हुई बीमारियां।
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अलग से शुगर कम मात्रा में लें
एडेड शुगर स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक मानी जाती है। कुछ लोग कम मीठा खाते हैं परंतु कुछ लोग मीठे पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पाते। ज्यादा शुगर खाने से लीवर को परेशानी हो सकती है। ज्यादा शुगर खाने से लीवर फैट से भर जाता है। डाइट में कम शुगर का सेवन करें। अधिक शुगर खाने से मोटापा, टाइप टू डायबिटीज और अन्य ह्रदय परेशानियां होती है।
डाइट के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम भोजन अच्छे से खाएं जैसे कि ऊपर भी बताया गया कि कैलोरीज से ज्यादा ध्यान भोजन पर दें। रिफाइंड कार्ब्स,ट्रांस फैट और ओमेगा 6 युक्त वेजिटेबल ऑयल को अपनी डाइट में इस्तेमाल न करें। अपनी डाइट के दौरान इन बातों को ध्यान में रखेंगे तो सेहत अच्छी बनेगी और डाइट भी सक्सेसफुल होगी।
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