
कैंसर दुनिया की कुछ गंभीर बीमारियों में से एक मानी जाती है। कैंसर होने के हजारों कारण हो सकते हैं और अब तक मनुष्यों में लगभग 200 तरह के कैंसरों की खोज हो चुकी है। आमतौर पर जब कोई कोशिका (Cell) या कई कोशिकाएं (Cells) अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं, तो इसे कैंसर कहा जाता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि ये कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ते हुए आसपास की कोशिकाओं और हड्डियों को भी अपनी चपेट में लेने लगती हैं, जिससे मरीज की परेशानी बढ़नी शुरू होती है। कोई कैंसर सेल जब किसी हड्डी को प्रभावित करने लगती है, तो उसे ही 'सेकेंडरी बोन कैंसर' कहते हैं। सेकेंडरी बोन कैंसर के मामले आमतौर पर ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। कैंसर जैसी बीमारी का समय पर इलाज होना बेहद जरूरी है। इस बीमारी में लापरवाही जानलेवा साबित होती है। ऐसे समय में जब भारत में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तब सेकेंडरी बोन कैंसर का ख़तरा भी उतना ही बढ़ता जा रहा है। सेकेंडरी बोन कैंसर के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने बातचीत की मेट्रो हॉस्पिटल्स के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर व जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के चौधरी से। आइए उन्हीं से समझते हैं इस बीमारी के बारे में।
हड्डियों के कैंसर के प्रकार (Types of Bone Cancer)
डॉ. आर के चौधरी के मुताबिक बोन कैंसर दो प्रकार के होते हैं-
- पहला प्राइमरी बोन कैंसर
- दूसरा सेकेंडरी बोन कैंसर

कैंसर जो हड्डियों से शुरू होता है उसे प्राइमरी बोन कैंसर कहते हैं। लेकिन सेकेंडरी बोन कैंसर, कैंसर की वह स्टेज होती है जहां पर कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से से फैलकर हड्डियों तक पहुंच जाता है। इसे मेटास्टैटिक बोन कैंसर (Metastatic Bone Cancer) , बोन मेटास्टेस (Bone Metastases) या सेकेंडरी बोन कैंसर (Secondary Bone Cancer) कहा जाता है। कैंसर के टिश्यूज प्रायः शरीर के इन अंगो की हड्डियों में तेजी से फैलते हैं।
- बांह और पैर की उपरी हड्डियाँ
- हिप-बोन
- सीने और पेट के आसपास की हड्डियों में
- खोपड़ी
- रीढ़ की हड्डी
किन्हें होता है सेकेंडरी बोन कैंसर का खतरा?
डॉ. आर के चौधरी बताते हैं कि कैंसर का कोई भी टाइप क्यूं न हो उसका हड्डियों तक पहुंचने की संभावना रहती है, इसलिए इसे स्टेज 4 का कैंसर माना जाता है। सेकेंडरी बोन कैंसर के मामले आमतौर पर इन कैंसर से प्रभावित मरीजों में ज्यादा देखने को मिलते हैं।
- ब्रेस्ट कैंसर
- लंग कैंसर
- प्रोस्टेट कैंसर
- किडनी कैंसर
- मल्टिपल मायलोमा
- मेलानोमा
सेकेंडरी बोन कैंसर के लक्षण (Secondary Bone Cancer)
डॉ. आर के चौधरी के अनुसार सेकेंडरी बोन कैंसर के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
हड्डियों में अधिक दर्द
हड्डियों में लगातार दर्द होना बोन कैंसर का प्रमुख लक्षण है। इसे बोन कैंसर का पहला लक्षण भी माना जाता है। शुरुआत में हल्का और धीमा दर्द शुरू होता है लेकिन समय के साथ दर्द अधिक तेज और लगातार भी हो सकता है। हड्डियों में अधिक दर्द होने पर चिकित्सक को दिखाना जरूरी होता है।
बोन फ्रैक्चर
कैंसर के टिश्यूज जब हड्डियों तक पहुँच जाते हैं तो हड्डियां कमजोर होनी शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में कमजोर हड्डियों के टूटने का ख़तरा ज्यादा हो जाता है। बोन फ्रैक्चर भी सेकेंडरी बोन कैंसर का प्रमुख लक्षण है।
थकान और कमजोरी का होना
खून में कैल्शियम की अधिकता भी बोन कैंसर का कारण बनती है। बोन कैंसर की स्थिति में हड्डियों में दर्द, कमजोरी और थकान का होना आम है।
भूख नहीं लगना
सेकेंडरी बोन कैंसर की स्थिति में भूख लगने में कमी हो जाती है। कैंसर की बीमारी से ग्रसित लोगों में यह समस्या बेहद कॉमन है।
सेकेंडरी बोन कैंसर की जांच कैसे होती है? (Diagnosis of Secondary Bone Cancer)
मरीज में सेकेंडरी बोन कैंसर के लक्षण दिखने पर चिकित्सक सबसे पहले मरीजों का परीक्षण (Test) करते हैं। सेकेंडरी बोन कैंसर के टेस्ट में इमेजिंग तकनीक का प्रयोग किया जाता है। सेकेंडरी बोन कैंसर होने पर डॉक्टर आपको इन टेस्ट के लिए बोल सकता है-
बोन स्कैन (Bone Scan)
बोन स्कैन के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि मरीज को सेकेंडरी बोन कैंसर हुआ है या नही। बोन स्कैनिंग के माध्यम से शरीर के सभी हड्डियों की जांच की जाती है, सेकेंडरी बोन कैंसर की स्थिति में स्कैन के रिजल्ट से प्रभावित हड्डी का पता लगाया जाता है।
सीटी स्कैन (CT Scan)
सेकेंडरी बोन कैंसर का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन भी किया जाता है। सीटी स्कैन की जांच में शरीर की हड्डियों के साथ ही अन्य अंगों की जांच भी की जाती है।
एमआरआई (MRI)
एमआरआई स्कैन के माध्यम से भी सेकेंडरी बोन कैंसर का पता लगाया जा सकता है। एमआरआई के माध्यमसे रीढ़ की हड्डी और शरीर के अन्य जॉइंट्स का टेस्ट कर सेकंडरी बोन कैंसर का पता लगाया जाता है।
एक्स-रे (X-Ray)
एक्सरे के माध्यम से भी शरीर की हड्डियों के अन्दर सेकेंडरी बोन कैंसर का पता लगाया जाता है।
PET स्कैन (PET Scan)
PET स्कैन में रेडियोएक्टिव तत्वों को खून में मिलाकर जांच की जाती है। इस जांच के माध्यम से भी सेकेंडरी बोन कैंसर शरीर की किस हड्डी में है इसका पता लगाया जाता है।
बायोप्सी (Biopsy)
शरीर में कैंसर की जांच करने के लिए सबसे कॉमन तरीका बायोप्सी होता है। यह जांच तब की जाती है जब इमेजिंग और अन्य तरीकों से की गयी जांच की रिपोर्ट से कैंसर का पता नही चल पाता है।
सेकेंडरी बोन कैंसर का उपचार (Treatment of Secondary Bone Cancer)
सेकेंडरी बोन कैंसर, शरीर के किसी दूसरे हिस्से में हुए कैंसर से होने वाली बीमारी है। इस बीमारी के उपचार के कई तरीके हैं जैसे हार्मोन थेरेपी, रेडियोफार्मास्युटिकल तकनीक का प्रयोग किया जाता है। प्राथमिक स्थिति में कैंसर के शुरूआती उपचार के तरीकों से ही सेकेंडरी बोन कैंसर का इलाज भी किया जाता है। सेकेंडरी बोन कैंसर के इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी का प्रयोग किया जाता है।
डॉ. आर के चौधरी ने बताया कि सेकेंडरी बोन कैंसर जैसी बीमारी के शरुआती लक्षण दिखने पर ही अच्छे चिकित्सक से इलाज जरुर कराना चाहिए। कैंसर जैसी घातक बीमारी में लापरवाही और अनदेखी जानलेवा हो सकती है।
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