
ल्यूकीमिया एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जो आमतौर पर छोटे बच्चों और युवाओं को होता है। भारत सहित दुनियाभर में बच्चों में पाए जाने वाले कैंसरों में ल्यूकीमिया नंबर एक पर आता है। नैशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, यूएस में कैंसर से होने वाली मौतों में 5वां सबसे बड़ा कारण ल्यूकीमिया है।
ल्यूकीमिया का सबसे खतरनाक फॉर्म एक्यूट मायलॉइड ल्यूकीमिया (Acute myeloid leukemia या AML) है। इसे इसलिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि ये बीमारी बहुत तेजी से फैलती है और इसमें व्यक्ति के बचने की संभावना कम होती है। AML के मरीजों में कैंसर सेल्स बहुत तेजी से डिवाइड होते हैं। मौजूदा इलाज में कैंसर सेल्स को जिस तेजी से मारा जाता है, उससे कहीं ज्यादा स्पीड से ये सेल्स डिवाइड होते जाते हैं। यही कारण है कि AML से प्रभावित एक तिहाई से भी कम लोग बीमारी का पता चलने के 5 साल बाद तक जी पाते हैं।
ल्यूकीमिया और विटामिन B6
विटामिन B6 हमारे शरीर में बहुत सारे फंक्शन्स में काम आता है। ये शरीर की मेटाबॉलिज्म में मदद करता है, रेड ब्लड सेल्स बनाता है और सेल्स को बढ़ाने में भी मददगार होता है। मगर हाल में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि विटामिन बी6 का यही गुण कैंसर होने पर मरीज के लिए खतरनाक बन जाता है। दरअसल ब्लड कैंसर होने पर विटामिन बी6 के कारण रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ती है और इसी विटामिन का सहारा लेकर ये सेल्स तेजी से विभाजित होते हुए शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने लगती हैं।
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यह शोध न्यूयॉर्क के Cold Spring Harbor Laboratory (CSHL) के Lingbo Zhang ने किया है। नीचे एक वीडियो के माध्यम से वे विटामिन बी6 और ब्लड कैंसर सेल्स के बीच संबंध को समझा रहे हैं।
कई जीन्स होती हैं ब्लड कैंसर की जिम्मेदार
इस शोध के लिए Zhang ने एक्यूट ल्यूकीमिया के मरीजों के व्हाइट ब्लड सेल्स का अध्ययन किया और पाया कि उनमें 230 से ज्यादा जीन्स ऐसी पाई गईं, जो ल्यूकीमिया सेल्स में एक्टिव थीं। इसके बाद शोधकर्ताओं ने CRISPR जीन-एडिटिंग तकनीक से इन सभी जीन्स का अलग-अलग अध्ययन किया और इन्हें ब्लॉक किया, ताकि इनकी गतिविधि को रोका जा सके। इस शोध को Cancer Cell नामक जर्नल में छापा गया है।
कैसे काम करता है विटामिन बी6
जब हमारा शरीर स्वस्थ होता है, तब हमें हर समय विटामिन बी6 की जरूरत नहीं होती है। हेल्दी बॉडी में जब भी शरीर को सेल को विभाजित करने की जरूरत होती है, तब हमारी जीन्स एक खास मेटाबॉलिक एंजाइम रिलीज करती हैं, जिसे pyridoxal kinase (PDXK) कहते हैं। मगर जब कोई मरीज ल्यूकीमिया का शिकार होता है, तो उसके जीन्स अनियंत्रित हो जाते हैं और इस एंजाइम को ज्यादा रिलीज करने लगते हैं। इसी एंजाइम के सहारे कैंसर सेल्स विटामिन बी6 के साथ मिलकर तेजी से बढ़ने लगती हैं।
Zhang कहते हैं, "हमने यह साबित कर दिया कि ल्यूकीमिया सेल्स के विकास के लिए एंजाइम जरूरी है। ल्यूकीमिया सेल्स के लिए विटामिन बी6 नशे जैसा है।"
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इलाज को मिली नई दिशा
इस रिसर्च के बाद ल्यूकीमिया के इलाज को एक नई दिशा मिल गई है। एंजाइम और विटामिन के इस रिश्ते को समझने के बाद वैज्ञानिक ल्यूकीमिया के इलाज के लिए ज्यादा बेहतर ट्रीटमेंट डिजाइन कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ल्यूकीमिया के मरीज को कम से कम विटामिन बी6 वाले फूड्स देकर कैंसर के फैलने की गति को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही Zhang और उनकी टीम ने PDXK enzyme को कंट्रोल करने वाली दवा पर भी काम शुरू कर दिया है।
Source: MedicalNewsToday
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