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बच्चों को किस उम्र से खिला सकते हैं चिकन? जानें एक्सपर्ट की राय

आमतौर पर 6 माह से बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत की जाती है। ठोस आहार में शिशु को दलिया, खिचड़ी और पोहा खिलाया जाता है।
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बच्चों को किस उम्र से खिला सकते हैं चिकन? जानें एक्सपर्ट की राय


Parenting Tips in Hindi: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा ताउम्र सेहतमंद रहे। बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग से लेकर ठोस आहार खिलाने तक, पेरेंट्स हर एक चीज का बारीकी से ध्यान देते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नवजात शिशुओं को 6 महीने के बाद ठोस आहार देना शुरू किया जा सकता है। शिशु को पहला ठोस आहार देते हुए बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। शुरुआत में बच्चे को ज्यादातर लोग ठोस आहार के रूप में खिचड़ी, दलिया, दाल का पानी, ओट्स और पोहा आदि खिलाया जाता है। ये चीजें पचाने में आसान होती हैं, जिससे उसके पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। नवजात के लिए खाना बनाते समय अक्सर मांओं के मन में ये सवाल आता है कि उसे ठोस आहार में चिकन या मीट कब खिलाया जा सकता है। अब आप भी सोच रही होंगे कि कि क्‍या सच में बच्‍चे के ठोस आहार में चिकन या किसी अन्य तरह की मीट शामिल किया जा सकता है।

बच्चे को कब खिला सकते हैं चिकन या मीट ?

बच्चे को 7  से 8 महीने के बाद ठोस आहार के तौर पर चिकन या मीट दिया जा सकता है। शिशु को जब ठोस आहार खिलाना शुरू किया जाता है, तभी से उसके खाने में चिकन को शामिल किया जा सकता है। छोटे बच्चों को चिकन सूप पिलाया जा सकता है। आप चाहें तो बच्चे के ठोस आहार में अंडा और मछली जैसी चीजों को भी शामिल कर सकते हैं।

बच्चे को एक दिन में कितना चिकन खिलाएं?

अब सवाल उठता है कि 7 से 8 महीने के बच्चे को एक दिन में चिकन या मीट की कितनी मात्रा देनी चाहिए? नई दिल्ली के ऑर्थो क्लीनिक पर प्रैक्टिस करने वाली न्यूट्रिशनिस्ट दीपिका अग्रवाल का कहना है कि 7 से 8 माह के बच्चे को एक दिन में सिर्फ 1 चम्मच चिकन की प्यूरी खिलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चे की उम्र के साथ खाने में चिकन या किसी अन्य मांसाहारी भोजन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

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बच्चों को चिकन खिलाने के फायदे

  • चिकन प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स से भी भरपूर होते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के मिनरल्स जैसे- कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर और मैंगनीज पाया जाता है।
  • एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चे को शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सबसे ज्यादा जिंक और आयरन की जरूरत होती है। चूंकि मां के दूध में आयरन की मात्रा नहीं पाई जाती है, इसलिए इसकी पूर्ति के लिए मीट या चिकन का सेवन कराया जा सकता है।
  • चिकन में कॉपर और मैंगनीज बहुत मात्रा में पाया जाता है। इसका अर्थ ये है कि बच्चे को चिकन या मीट खिलाने से भी पर्याप्त पोषण मिल सकता है।
  • बच्चे को सब्जियों और दलिया के साथ मीट की प्यूरी दी जाती है, तो उसमें एनीमिया जैसी बीमारी नहीं होती है।
  • बच्चे के लिए चिकन कैसे पकाएं
  • अगर आप 7 महीने के बाद बच्चे को चिकन या कोई मीट दे रही हैं, तो उसे पूरा पकाकर प्यूरी के रूप में ही दें।
  • बच्चे को चिकन देते समय ध्यान दें कि इसको पकाते समय ज्यादा मसाले, प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न किया गया हो।
  • बच्चे के लिए हमेशा बोन-लेस चिकन का ही इस्तेमाल करें। अगर आप बोनस वाले चिकन को पकाती हैं, तो हो सकता है इसके टुकड़े प्यूरी में रह जाएं।
  • बच्चे को कभी भी मीट, चिकन, मछली या अंडे उबालकर न दें।

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बच्चे के आहार में किसी भी चीज को शामिल करने से पहले ध्यान दें कि हर शिशु की पाचन क्रिया अलग होती है। चिकन, मीट या अन्य मांसाहारी भोजन को पचाने के लिए मजबूत पाचन क्रिया की जरूरत होती है। इसलिए बच्चे को ठोस आहार देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अगर चिकन खिलाने के बाद बच्चे को कोई परेशानी होती है, तो इसे खिलाना बंद कर दें।

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