World Health Day: भोजन जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन कौन सा भोजन सेहत के लिहाज से बेहतर है वो आपको चुनना है। क्या आप जानते हैं कि खाने में लजीज लगने वाला लाल व प्रोसेस्ड मीट आपके लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। रेड मीट का अधिक सेवन आपकी त्वचा, कैंसर और हृदय संबधी रोग के अलावा आपको कई अन्य तरह के नुकसान भी पहुंचा सकता है। लाल मीट का अधिक सेवन व्यक्ति की मौत का कारण भी बन सकता है। इससे मौत का खतरा बढ़ सकता है। रेड मीट खाने से शरीर में कई विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं, जो त्वचा के साथ-साथ मोटापे और विशेष रूप से हृदय रोगों का कारण बनते हैं। जबकि प्रोसेस्ड मीट वो मांस है जिसे ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए रसायन, प्रीजरवेटिव के साथ मिलाकर रखा जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं माना जाता। मांसाहारी लोग इस बात का ध्यान रखें कि लाल व प्रोसेस्ड मीट का कम मात्रा में सेवन करना ही उचित रहेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो प्रोसेस्ड़ मीट का खतरा स्वास्थ्य के लिए सिगरेट पीने जैसा ही है।
कार्डियोवैस्कुलर का खतरा
अध्ययन से पता चलता है कि लाल मीट के ज्यादा सेवन से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। शोधकर्ताओं की मानें तो रेड मीट ज्यादा खाने से पाचन के दौरान एक कार्बनिक यौगिक का उत्पादन होता है जिससे हृदय रोग और दिल के दौरे से असमय मृत्यु का खतरा बढ़ता है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि रेड मीट यानि सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ, या बकरे के मीट में मौजूद रसायन दिल लिए खतरनाक होता है। 'नेचर मेडिसन' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक लाल मीट में पाया जाने वाला क्रेनिटाइन नाम के रसायन को बैक्टिरिया पेट में छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं और इसके बाद होने वाली रासायनिक क्रिया की वजह से शरीर में कॉलस्ट्रॉल के स्तर वृद्धि होती है जिससे हृदय रोग की आशंका भी बढ़ जाती है।
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टीएमएओ हृदय रोग कारण
क्लीवलैंड क्लीनिक सेंटर फॉर माइक्रोबियम एंड ह्यूमन हेल्थ’ के निदेशक डॉ. स्टेनली हजेन का कहना है कि कार्डियोवैस्कुलर (दिल से संबंधी बीमारी) के लिए लाइफस्टाइल कारक महत्वपूर्ण हैं। आपको बता दें कि शोध में, चूहों और इंसानों पर हुए प्रयोगों में पता चला कि रेड मीट से पेट में मौजूद यह बैक्टिरिया क्रेनिटाइन को खा जाता है और इससे क्रेनिटाइन गैस में बदल जाता है फिर यह लिवर में जाकर 'टीएमएओ' नाम के एक रसायन में परिवर्तित हो जाता है। 'टीएमएओ' का संबंध रक्त वाहिकाओं में वसा के जमने से है। इससे हृदय रोग के साथ-साथ मौत का खतरा भी बढ़ जाता है।
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प्रोसेस्ड मीट खाना मतलब रोगों को दावत देना
मीट खाने वाले लोग प्रोसेस्ड व लाल मीट से जितना हो सके दूरी ही बनाकर रखें। प्रोसेस्ड मीट को लम्बे समय तक और मीट के स्वाद को बरकार रखने के लिए कई प्रोसेस से गुजारा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप रोजाना 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट भी खाते हैं, तो इससे 18 फीसदी कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ या अन्य दूसरे लाल मीट व प्रोसेस्ड मीट के सेवन से भी कोलोरेक्टल (गुदा) कैंसर होने का खतरा होता है।
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एक्जिमा और सेचुरेटेड फैट की अधिक मात्रा
लाल मीट खाने में तो बेहद स्वादिष्ट और लजीज लगता है लेकिन उतना ही नुकसानदायक भी है, इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होने के कारण यह खूबसूरत त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लाल मीट के अधिक सेवन से त्वचा पर दाने निकल सकते हैं और फिर यही दाने लाल रंग में बदल जाते हैं और इनमें खुजली होती है। इसे एक्जिमा कहते हैं। लाल मीट में व्हाइट मीट की तुलना ज्यादा फैट होता है। यही एक वजह मोटापे की भी है। रेड मीट में भी जंक फूड्स की तरह सैचुरेटेड फैट मौजूद होता है। रेड मीट के अधिक सेवन से बैलीफैट यानि पेट और कमर की चर्बी भी बढ़ती है। तो स्वस्थ रहने के लिए रेड और प्रोसेस्ड़ मीट खाने से बचें। अब चुनाव आपके हाथ में है, स्वाद या फिर सेहत।
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