कोलन कैंसर बड़ी आंत (कोलन) का कैंसर है, जो आपके पाचन तंत्र का अंतिम भाग है। कोलन कैंसर के ज्यादातर मामले एडेनोमेटस पॉलीप्स नामक कोशिकाओं के छोटे, गैर-कैंसर (सौम्य) समूहों से शुरू होते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलीप्स आगे चलकर कोलोन कैंसर बन सकते हैं। पॉलीप्स (छोटी गांठ) के लक्षण कम या बिल्कुल भी नहीं दिखाई देते हैं। इस कारण से, डॉक्टर कैंसर की पहचान करने से पहले पॉलीप्स को पहचानने और हटाने से रोकने के लिए नियमित जांच की सलाह देते हैं।
मानव शरीर में कोलन कैंसर की पहचान होने पर इसको रोकने के लिए पॉलिप्स को खोज कर उन्हें हटाया जाता है। पॉलिप्स को हटाने के बाद कोलन कैंसर का जोखिम कम हो जाता है। कोलन पांच फीट लंबी मसक्यूलर ट्यूब होती है। कोलन कैंसर बड़ी आंत में या फिर रेक्टम (यह बड़ी आंत का अंतिम सिरा होता है) से शुरू हो सकता है। आम बोलचाल में कोलन-रेक्टल कैंसर को ही कोलन कैंसर कहते हैं। खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलायें कोलन कैंसर का ज्यादा शिकार हो रही हैं। जो महिलाएं फाइबर वाली चीजें कम खाती हैं जिससे उनमें कोलन कैंसर का खतरा अधिक होता है। आइए हम आपको कोलन कैंसर के लक्षणों के बारे में बताते हैं।
कोलन कैंसर के लक्षण
- डायरिया कोलन कैंसर का प्रमुख लक्षण है।
- लंबे समय तक कॉन्सटिपेशन यानी कब्ज हो तो कोलन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
- स्टूल में खून आना।
- मल की रुकावट होना, पेट पूरी तरह से साफ न होना।
- बिना किसी वजन के शरीर में खून की कमी होना।
- अपच की शिकायत होना।
- लगातार वजन घटना।
- पेट के निचले हिस्से में लंबे समय से दर्द होना।
- हर वक्त थकान महसूस होना।
- लगातार उल्टी होना।
किसे हो सकता है कोलन कैंसर
- 20 में से 1 आदमी को कोलन कैंसर होने का खतरा होता है।
- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है उतना इस कैंसर के होने का खतरा बढ़ता जाता है।
- पोलिप्स और कोलन कैंसर के विकसित होने का खतरा प्रत्येक आदमी को होता है।
- यदि 50 वर्ष तक की आयु तक इसका पता चल जाये तो इलाज संभव है।
- यदि घर में किसी को कोलन कैंसर हुआ है तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।
- धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन करने वालों को कोलन कैंसर होने का खतरा होता है।
कोलन कैंसर की पहचान कैसे करें
स्टूल में खून हो तो यह कोलन कैंसर की पहचान का सबसे सरल तरीका है। स्क्रीनिंग के जरिए डॉक्टर इसकी पहचान कर सकते हैं। कोलनस्कोपी और सिटी पैट स्कैन के जरिए कोलन कैंसर की पहचान की जाती है। कोलन कैंसर के ट्रीटमेंट का एकमात्र तरीका सर्जरी है। कीमोथेरपी से इसका साइज कम किया जाता है उसके बाद सर्जरी की जाती है। अगर कैंसर सेल लीवर तक फैल जाती हैं तो मरीज को रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन ट्रीटमेंट दिया जाता है। कोलन कैंसर का इलाज तब तक ही संभव है जब यह आंतों तक ही सीमित हो।
ज्यादातर मामलों में मरीज कोलन कैंसर के लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इससे कैंसर फैलकर लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है, जो घातक होता है। इसलिए यदि आपको यह लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
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