आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया उन कपल्स के लिए एक आशा की किरण है, जो नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाते हैं। हर साल 25 जुलाई को देशभर में आईवीएफ डे मनाया जाता है। इस दिन लोग आईवीएफ से सफलतापूर्वक गर्भ धारण कर रही महिलाओं के लिए खुशी मनाते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया महिलाओं के लिए काफी पीड़ादायक होती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह सफल भी साबित होती है।
क्या होता है आईवीएफ? - What is IVF?
आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शुक्राणु और अंडे को महिला के शरीर में न बनाकर लैब में बनाया जाता है। जिसके बाद अंडों को फर्टिलाइज किया जाता है और यूट्रस में डाला जाता है। Human Fertilization and Embryology Authority, U.K के अनुसार आईवीएफ या एंब्रियोलॉजी की प्रक्रिया को पूरा होने में 3 से 6 हफ्तों का समय लग जाता है। कम उम्र में कराने पर यह ज्यादातर मामलों में सफल होता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती है। कुछ मामलों में इसके साइड इफेक्ट्स भी देखे जा सकते हैं।
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क्यों मनाते हैं आईवीएफ डे? - Why is World IVF Day Celebrated
आईवीएफ डे 25 जुलाई को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1978 में लुईस जॉय ब्राउन, जो आईवीएफ प्रक्रिया से जन्मी पहली बच्ची थी। इस बच्ची का जन्म Oldham and District General Hospital in Manchester, England में हुआ था। बच्ची की मां लेस्ले ब्राउन को फेलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने के चलते लंबे समय तक गर्भधारण करने के लिए संघर्ष करना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने आईवीएफ प्रक्रिया का सहारा लिया और बिना किसी समस्या के एक हेल्दी बच्चे को जन्म भी दिया। इसी दिन से इस प्रक्रिया को शिशुओं के गर्भधारण के लिए प्रमाणिक और विश्वसनीय माना जाता है।
आईवीएफ डे क्यों है जरूरी? Why IVF Day is Important
आईवीएफ डे (IVF Day) मनाने का उद्देश्य, आईवीएफ के प्रति लोगों को जागरुक करना होता है। इस दिन जगह-जगह आईवीएफ के सेमिनार, वर्कशॉप और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे लोग अपनी इंफर्टिलिटी के बारे में खुलकर बात कर सकें। अभी भी कुछ लोग इस प्रक्रिया का सहारा लेने में असहज महसूस करते हैं। कंसीव नहीं कर पा रहे कपल्स के लिए यह कंसीव करने का एक बेहतर विकल्प है।
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बढ़ रही है आईवीएफ की डिमांड - IVF demand is increasing
आईवीएफ की प्रक्रिया (IVF Process) की पिछले काफी समय से डिमांड बढ़ रही है। कंसीव नहीं कर पाने वाले कपल्स के लिए काफी लाभकारी साबित होता है। हालांकि यह महिलाओं के लिए थोड़ा पीड़ादायक जरूर होती है, लेकिन इस प्रक्रिया को कराने से होने वाला रिस्क रेट काफी कम होता है।
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