
आज के समय में बीमारियां तेजी से पैर पसारने लगी हैं। अधिकांश लोग गलत खान-पान और असंतुलित जीवनशैली के काऱण बीमार पड़ते हैं। क्या आपने कभी पल्मोनरी एंबॉलिज्म के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको पल्मोनरी एंबोलिज्म के बारे में बताएंगे। दरअसल, पल्मोनरी एंबोलिज्म मुख्य रूप से एक प्रकार का हृदय रोग है। इस समस्या में हृदय तक खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओ में खून के थक्के का जमाव हो जाता है। इसी विषय पर अधिक जानकारी लेने के लिए हमने दिल्ली के मनीपाल हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर दविंदर कुंद्रा से बातचीत की। चलिए जानते हैं पल्मोनरी एंबोलिज्म के कारण और लक्षण के बारे में।
क्या है पल्मोनरी एंबोलिज्म
डॉक्टर दविंदर कुंद्रा ने बताया कि पल्मोनरी एंबोलिज्म में मुख्य रूप से आपके फेफड़ों तक पहुंचने वाले रक्त में बाधा आ जाती है। जिस कारण फेफड़े प्रभावित होने लगते हैं। इसमें फेफड़ों तक खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के का जमाव हो जाता है। इस समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से आपके फेफड़ों का कुछ हिस्सा खराब भी हो सकता है। यह खून के थक्के अक्सर पैरों की नसों से शुरू होते हैं और फेफड़ों में आकर ब्लॉक हो जाते हैं। हृदय से फेफड़ों तक खून पहुंचाने वाली पल्मोनरी आर्टरी में कई बार खून वापस होने लगता है। हालांकि खून के थक्के को फेफड़ों तक पहुंचने से रोके जाने पर इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। नहीं तो मरीज को गंभीर रूप से नुकसान भी हो सकता है।
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पल्मोनरी एंबोलिज्म के कारण
- चोट लगने के कारण मांसपेशियों या फिर हड्डियों को होने वाले नुकसान के कारण भी कई बार उस प्रभावित हिस्से में खून का थक्का बन सकता है, जो आगे चलकर फेफड़ो तक भी पहुंच सकता है।
- किसी गंभीर बीमारी के ऑपरेशन में या फिर लिंब्स की सर्जरी के बाद भी कई बार यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- बहुत अधिक समय तक बैठे रहने की आदत से भी ब्लड क्लॉट होने की आशंका रहती है।
- फ्रैक्चर भी कई बार पल्मोनरी एंबोलिज्म का कारण बन सकता है।
- यही नहीं हृदय रोग जैसे कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, राइट साइडेड हार्ट फेलियर या फिर एस्थेरेकुलरोसिस आदि जैसी समस्याओं में भी पल्मोनरी एंबोलिज्म की समस्या हो सकती है।
पल्मोनरी एंबोलिज्म के लक्षण
- पल्मोनरी एंबोलिज्म को कई लक्षणों से पहचाना जा सकता है।
- कंधे, गर्दन और जबड़ों के आस-पास के हिस्सों में दर्द होना भी पल्मोनरी एंबोलिज्म के लक्षणों में ही शामिल हैं।
- हार्ट बीट तेजी से चलना या अर्दमिया जैसी समस्या होने पर भी इसकी पहचान की जा सकती है।
- बहुत अधिक थकान होना, चक्कर आना या फिर बेहोशी सी छाना।
- सीने में तेज दर्द होना
- अचानक सांस फूलना या फिर सांस लेने में कठिनाई होना भी पल्मोनरी एंबोलिज्म का ही एक लक्षण माना जाता है।
- पल्स रेट में बदलाव आना
- त्वचा का रंग बदलकर नीला पड़ना।

किसे रहता है इस समस्या का जोखिम
- इस समस्या का जोखिम सबसे अधिक उन लोगों को रहता है जो हृदय संबंधी किसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हों।
- किसी प्रकार की सर्जरी कराने के बाद भी कई बार मरीज को पल्मोनरी एंबोलिज्म का खतर रहता है।
- किडनी की समस्या से ग्रस्त लोगों को भी इस बीमारी की आशंका रहती है।
- कुछ कैंसर के मरीजों में भी इसका खतरा हो सकता है।
पल्मोनरी एंबोलिज्म का इलाज
- पल्मोनरी एंबोलिज्म के लिए सबसे पहले खून के थक्के को पिघलाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
- थ्रॉमबोलोटिक्स एजेंट दवा देकर भी कुछ मामलों में इसका उपचार किया जाता है। हालांकि यह कुछ गंभीर मामलों में ही होता है।
- दवाओं से कई बार जब यह थक्के नहीं पिघलते हैं तो चिकित्सक द्वारा इसके लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है।
यह लेख चिकित्सक द्वारा प्रमाणित है। इस लेख में दिए गए लक्षणों से आप आसानी से इसकी पहचान कर सकते हैं।
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