
स्तनपान आपके बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है। ये आपके बच्चे में पोषण तत्वों को पहुंचाने का एक मुख्य तरीका है। इसके अलावा इस नए बंधन को बांधते हुए एक मां को इस दौरान अपने बच्चे को समझने में मदद मिल सकती है। लेकिन कई बार कुछ बच्चे सामान्य से अधिक मां का दूध पीते हैं, पर उनकी भूख संतुष्ट नहीं होती है। ऐसे में आपका बच्चा भूखा रह जाता है या वो कमजोर होने लगता है। अच्छे से दूध न पी पाने के कारण शिशु अच्छे से सो भी नहीं पाता है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि हो सकता है नई मांओं को अपने बच्चे को सही से दूध पिलाना न आता हो। वास्तव में, स्तनपान कराने की बात आने पर कई नई माताओं की अपनी आशंकाएं और दुविधाएं होती हैं। इनके पीछे कई कारणो हो सकते हैं, जैसे कि निप्पल की समस्याएं, गलत करीके से सक करना और मां के दूध में कमी आदि। ये सब माँ के लिए स्तनपान को दर्दनाक बना सकते हैं और बच्चे को इसका नुकसान हो सकता है। ऐसे में हम आपकी थोड़ी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं बच्चे को सफल स्तमपान कराने के कुछ तरीकों के बारे में।
ब्रेस्ट क्रॉल का अभ्यास करें-
ब्रेस्ट गर्भ एक प्रयास जिसकी मदद से बच्चा दूध स्तनपान की प्रक्रिय को जान पाता है। दुनिया में आ जाने के बाद एक बच्चा माँ के स्तन पर भी सभी प्रकार के पोषण के लिए निर्भर करता है। इसलिए जन्म के बाद माँ और बच्चे को अलग करना बच्चे को डिहाईड्रेट कर सकता है। जन्म से लेकर स्तनपान तक की प्रक्रिया रिले मैच की तरह काम करना चाहिए। इसके लिए जन्म के बाद बच्चे को स्तन क्रॉल करने के लिए मां की छाती पर रखा जाना चाहिए। ऐसे में बच्चा धीरे-धीरे अपनी मां के स्तनों को पहचानता है और खुद ही निपल्स तक पहुंचकर उसे सक करने की कोशिश करता है। इस तरह जन्म के बाद बच्चे को मां के ब्रेस्ट पर छोड़ दें और इस तरह उसे खुद ही दूध पीने में मदद मिल सकती है। इस प्रयास के कारण बच्चे में शुरुआत से ही स्तनपान का एक तरीका आ जाता है।
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अपने बच्चे को सही पकड़ें-
पहली बार प्रेंग्नेंट हुई मांओं में इसे स्तनपान को लेकर कई तरह की असहजता दिखती है। ऐसे में कई बार नई मां बच्चे को स्तनपान कराने में सहज महसूस नहीं कर पाती हैं। बच्चे को कैसे सही से पकड़े उसे दूध पिलाएं ये सभी चीजें हर नई मां के लिए सीखने वाली होती है। याद रखें कि यदि आप बाईं ओर से बच्चे को दूध पिलाना चाहते हैं, तो आपके बच्चे का सिर आपकी बाईं भुजा पर स्थित होना चाहिए, जबकि पूरा हाथ आपके बच्चे की पीठ पर होना चाहिए। अतिरिक्त समर्थन के लिए अपने बाएं हाथ के नीचे अपना दाहिना हाथ रखें। फिर उसे ऐसे हूी दूध पिलाएं।
अपने आप को सही स्थिति दें-
एक बार जब आप प्रसव के बाद ठीक महसूस करें और सीधे बैठ सकें, तो अपने शिशु को सही स्थिति में लेटाकर बैठने की स्थिति को चुनें। बच्चे को ऐसे पकड़े कि उसका सिर आपके दिल के पास हो। वो महसूस करे कि वो सहजता से है। फिर धीरे-धीरे उसके सिर को सहलाते हुए आप उसे सुलाते हुए भी दूध पिला सकती हैं। ऐसे स्थिति में जब आप अपने बच्चे के प्रति कंफर्टेबल होकर रहेंगी या उसी गोद लेंगी तो उसे और आपको दोनों को ही अच्छा महसूस होगा। इस तरह स्तनपान के साथ-साथ इससे बच्चे का रिश्ता भी अच्छा हो जाएगा।
बच्चे की हर हरकत पर गौर करें-
आप कभी-कभी अपने बच्चे को उसकी छोटी उंगलियों पर चूसते हुए देख सकते हैं। यह चूसने की उसकी आवश्यकता को इंगित करता है। यदि आपने पहले ही अपने बच्चे को दूध पिलाया है और फिर भी वो अपनी उंगलियों को चूस रहा है तो फिर से इसे नोटिस करें और उसे स्तनपान करवाएं। इसके अलावा शुरू से ही बच्चे से बातचीत करने की कोशिश करें। भले ही वे सही से बोल नहीं पाते पर उनकी हरकतें बता सकती हैं कि उन्हें आपकी बातें समझ आ रही हैं या नहीं। इस तरह जब भी वो भूखा होगा आपको उसकी बात समझ आ जायेगी।
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अध्ययनों से पता चला है कि आराम से दूध पीने से बच्चे की हृदय गति कम हो जाती है और उसे आराम करने और शांत होने में मदद मिलती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को अच्छे से स्तनपान करवाएं। क्योंकि ये पूरी तरह आपके बच्चे के विकास और पोषण में मदद करता है। इस तरह बच्चे को सही पोषण मिलने से वो बीमारीयों से दूर रहते हैं और उनका मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है।
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