सर्दियों में आपकी ये 5 गलतियां ले सकती हैं नवजात शिशु की जान, जानें सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) का कारण

सर्दी के मौसम में नवजात शिशुओं (1 साल से छोटे बच्चों) को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस मौसम में की गई छोटी सी गलती भी आपके शिशु की जान ले सकता है। जानें क्या है Sudden Infant Death Syndrome (SIDS) और इसके 5 सामान्य कारण।
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सर्दियों में आपकी ये 5 गलतियां ले सकती हैं नवजात शिशु की जान, जानें सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) का कारण

घर में नए शिशु का जन्म हो, तो सभी को खुशी होती है। शुरुआत के कुछ महीनों तक नन्हें शिशु को देखभाल की काफी ज्यादा जरूरत होती है। नवजात शिशु की देखभाल में की गई छोटी से छोटी गलती उसके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। कुछ गलतियां तो ऐसी भी हो सकती हैं जो सोचने में बेहद मामूली लगें, मगर इनके कारण शिशु की जान जा सकती है। जी हां, ये बात पढ़कर भले ही आपको हैरानी होगी, मगर सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden Infant Death Syndrome) यानी SIDS के मामले यही बताते हैं। इसका खतरा आमतौर पर 1 साल से छोटे बच्चों को होता है। आइए आपको बताते हैं कौन सी हो सकती हैं वो गलतियां।

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शिशु को मुंह तक कंबल/रजाई से न ढकें

अक्सर सर्दी के मौसम में शिशु को ठंड से बचाने के लिए लोग उन्हें कंबल या रजाई के अंदर मुंह बंद करके सुला देते हैं। मगर आपको बता दें कि मुंह तक कंबल या रजाई ढककर सुलाने से शिशु कई बार शिशु को सांस लेने में परेशानी हो सकती है, खासकर जब कंबल बहुत मोटा हो। शिशु को बंद कमरे में सुलाएं और सिर्फ गर्दन तक ही रजाई या कंबल को उढ़ाएं। इसके अलावा शिशु के आसपास भारी खिलौने, तकिया, तौलिया आदि ऐसी चीजें न रखें, जिसे शिशु अपने मुंह पर रख ले। ऐसी अवस्था में शिशु की श्वसन प्रक्रिया बाधित हो सकती है और उसकी जान जा सकती है। सर्दी के मौसम में रात में 1-2 बार उठकर शिशु को जरूर चेक करते रहें।

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शिशु को पेट के बल सोने से न रोकना

शिशु को हमेशा पीठ के बल सुलाना चाहिए। इससे वो ठीक तरह से सांस ले पाता है और शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सही तरीके से होती है। मगर अक्सर देखा जाता है कि सोते हुए कई बार शिशु पलट जाते हैं, और पेट के बल सोने लगते हैं। इससे कई बार तकिया में उनका मुंह दबने से उन्हें सांस लेने में परेशानी हो सकती है और उनकी मौत हो सकती है। नवजात शिशु के शरीर में इतनी क्षमता नहीं होती है कि असुविधा होने पर वो अपने शरीर को मोड़ सकें। इसलिए शुरुआती महीनों में आपको रात में जागकर 1-2 बार शिशु को चेक करते रहना चाहिए।

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शिशु को अलग कमरे में सुलाना

नन्हें शिशु को शुरुआत के 1 साल तक अपने कमरे में ही सुलाएं। शिशु को सुलाने के लिए क्रिब का इस्तेमाल करें या अपने साथ अपने सीने से चिपकाकर सुलाएं। नन्हें शिशु को दूसरे कमरे में सुलाने से उसके रोने या परेशानी के दौरान आपको पता नहीं चलेगा और आप उसकी मदद नहीं कर पाएंगे। नवजात शिशुओं को शुरुआती दिनों में कई तरह की समस्याएं होती हैं, इसलिए हर समय आपका उनके आसपास रहना बहुत जरूरी है।

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सही क्रिब (CRIB) का चुनाव करें

क्रिब नन्हें शिशुओं को लिटाने, सुलाने और बैठाने के लिए छोटा सा बेड होता है, जिसे इस तरह बनाया जाता है कि शिशु गिरे नहीं और आरामदायक से लेट/सो सके। क्रिब खरीदते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि बच्चे को किसी तरह की तकलीफ न हो। गलत क्रिब का चुनाव भी बच्चों में SIDS के खतरे को बढ़ा देता है। क्रिब चुनें तो उसके सेफ्टी स्टैंडर्ड्स का ध्यान रखें। बच्चे का बिस्तर मुलायम कपड़े का होना चाहिए, मगर ये बहुत अधिक स्पंजी नहीं होना चाहिए, जिससे कि बच्चा उसमें धंस न जाए। इसके अलावा बिस्तर पर बिछी चादर बहुत ढीली-ढाली न हो, अन्यथा बच्चा मुड़ने या पलटने के दौरान इसे लपेट लेगा।

बुखार को न करें नजरअंदाज

शिशु को सीधा रूम हीटर के सामने या उसके आसपास न लिटाएं। बहुत अधिक गर्मी शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है और SIDS के खतरे को बढ़ाती है। नन्हें शिशुओं में बुखार की समस्या आम है। मगर यदि शिशु का शरीर बहुत अधिक गर्म हो जाए या उसे पसीना आए, तो सावधान हो जाएं और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

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