
घर में बच्चे सभी को अच्छे लगते हैं, लेकिन बच्चों के साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां और खर्चे भी आते हैं। लंबे समय में बच्चों को सही शिक्षा, सही जीवनशैली देना और फिर शादी-विवाह करने और उनके लिए सुख-सुविधाएं जुटाने जैसी बहुत सारी जिम्मेदारियां मां-बाप पर आती हैं। इसीलिए बच्चे जितने कम हों, उनका पालन-पोषण उतने सही तरीके से हो सकता है। पहले की अपेक्षा लोगों ने अब परिवार नियोजन के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। अब ज्यादातर लोग 1 या 2 बच्चे ही करते हैं और सरकार का नारा भी 'हम दो हमारे दो' का है। वैसे तो परिवार नियोजन के कई उपाय हैं, लेकिन सबसे ज्यादा पॉपुलर और स्थाई उपाय नसबंदी ही है। आइए आपको बताते हैं महिलाओं की नसबंदी के बारे में और इसके तरीकों के बारे में जरूरी जानकारियां।
कैसे होती है नसबंदी?
महिलाओं में नसबंदी का तरीका बहुत आसान और सुरक्षित है। कोई भी महिला गर्भवती तब होती है, जब उसके अंडाशय में बनने वाला अंडा गर्भाशय तक पहुंचता है और फिर पुरुष के स्पर्म के संपर्क में आता है। अंडाशय से गर्भाशय के बीच अंडा फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से आता है। नसबंदी के दौरान इसी फैलोपियन ट्यूब को काट दिया जाता है या बंद कर दिया जाता है। ऐसा करने से महिला के अंडाशय में अंडा बनता जरूर है, लेकिन वो गर्भाशय तक नहीं पहुंचता है।
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महिला को कब कराना चाहिए नसबंदी का फैसला?
नसबंदी कब करानी चाहिए, इसकी कोई तय उम्र या अवस्था नहीं है। जब महिला और उसके पति को लगे कि अब उन्हें और बच्चे नहीं चाहिए, तब महिला अकेली या अपने पति की साझा सहमति से नसबंदी कराने का फैसला ले सकती है। आमतौर पर ज्यादातर महिलाएं नसबंदी का फैसला 40-45 साल की उम्र के बाद करती हैं। नसबंदी का ऑपरेशन बहुत छोटा सा और सुरक्षित होता है। आमतौर पर ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद महिला अस्पताल से घर वापस आ सकती है।
क्या नसबंदी के बावजूद गर्भवती हो सकती है महिला?
ज्यादातर नसबंदी के मामलों में महिला के दोबारा गर्भवती होने के मामले नहीं देखे गए हैं। इसका अर्थ है कि ये पूरी तरह सुरक्षित तरीका है। लेकिन 1% के लगभग मामलों में नसबंदी के बाद भी महिला के गर्भवती होने के मामले सामने आए हैं।
किन तरीकों से होती है नसबंदी?
सर्जरी द्वारा नसबंदी- महिलाओं की नसबंदी के कई तरीके हैं। आमतौर पर ऑपरेशन के जरिए नसबंदी का तरीका सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इस ऑपरेशन में महिला की योनि में छोटा सा चीरा लगाया जाता है और लैप्रोस्कोप की मदद से फैलोपियन ट्यूब को बंद कर दिया जाता है। कुछ मामलों में इस ट्यूब काटा या मोड़ा भी जाता है।
बिना सर्जरी के नसबंदी- नसबंदी की प्रक्रिया बिना सर्जरी के भी की जा सकती है। इसके लिए महिला के यौन अंग में एक खास उपकरण डाला जाता है, जिससे ट्यूब ब्लॉक हो जाती है।
मिनी लैपरोटोमी- ये प्रक्रिया पुरानी है लेकिन आज भी कई जगह इसका प्रयोग किया जाता है। इसमें महिला के पेट में एक बड़ा चीरा लगाकर फैलोपियन ट्यूब को ही निकाल दिया जाता है। आमतौर पर ये सर्जरी प्रसव के तुरंत बाद ही की जाती है।
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नसबंदी कराने के लिए जरूरी सावधानियां
- अपने डॉक्टर से पहले ही नसबंदी की प्रक्रिया और इसके बाद होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में पूछ लें।
- अगर ऑपरेशन से नसबंदी की गई है, तो इंफेक्शन का खतरा कुछ दिनों तक बना रहता है इसलिए इस दौरान साफ-सफाई का ख्याल रखें।
- किसी भी तरह की नसबंदी के बाद कुछ दिनों तक आराम करना चाहिए और भारी सामान आदि नहीं उठाना चाहिए।
- नसबंदी के बाद कम से कम 15-20 दिन महिला को संभोग नहीं करना चाहिए।
- किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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