जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे पेट में कुछ गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो पाचन पाचन तंत्र (Digestive System) और पेट की सेहत को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक फूड्स में भी यही बैक्टीरिया पाए जाते हैं और आंतों में जाकर ये पाचन की क्रिया को बढ़ा देते हैं। इसीलिए प्रोबायोटिक्स काफी सारी पाचन से जुड़ी समस्याओं जैसे कि डायरिया (Diarrhoea), उल्टियां (Vomiting) और दस्त या कब्ज से दूर रखने में मदद करते हैं। यदि आपके घर में कोई शिशु या छोटा बच्चा है तो हो सकता है उसे इस प्रकार की समस्या अक्सर झेलनी पड़ती हो। शायद वह खाना अच्छे से न पचा पा रहा हो। इस समस्या का एक बेहतर हल प्रोबायोटिक्स ही हैं। लेकिन हो सकता है कि आप के मन में ये संशय हो कि बच्चे को प्रोबायोटिक्स (Probiotics) देना सही है या नहीं और शायद आप यह भी नहीं जानती हों कि यह उनके लिए कितना प्रोबायोटिक्स का सेवन सुरक्षित है। तो आज इस लेख में हम आपको इसी बारे में जरूरी जानकारियां देंगे।
मदरहुड हॉस्पिटल नोएडा सीनियर कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटालॉजिस्ट डॉक्टर अमित गुप्ता के मुताबिक हम सभी के शरीर में अंदर और बाहर हजारों तरह के छोटे बैक्टीरिया होते हैं। जिनको माइक्रोबायोम (Microbiome) कहा जाता है। शिशु में गर्भावस्था के दौरान ही यह बन जाते हैं। ये बैक्टीरिया जितने ज्यादा संख्या में रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे, व्यक्ति भी उतना ही स्वस्थ रहेगा। माइक्रोबायोम को ठीक रखने के लिए प्रोबायोटिक्स की जरूरत होती है। आप छोटे शिशुओं को भी प्रोबायोटिक फूड्स दे सकती हैं।
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कब और कैसे दें बच्चों को प्रोबायोटिक फूड्स?
बच्चों को किस उम्र से प्रोबायोटिक्स देना चाहिए, यह उस फूड पर निर्भर करता है, जो आप उसे खिलाएंगी।
टॉप स्टोरीज़
1. दही या योगर्ट (Yogurt or Curd)
दही प्रोबायोटिक्स का सबसे अच्छा स्रोत होती है इसलिए आप बच्चों को दही दे सकती हैं और यह उनके विकास के लिए भी अच्छी होती है। साथ में अगर आप बिना नमक की दही उन्हें देंगी तो ही उन्हें अधिक लाभ मिल सकेगा। अगर आपके बच्चे की उम्र एक साल से ऊपर है केवल तब ही आपको अपने बच्चे को दही खाने के लिए देनी चाहिए। हालांकि आप 9 महीने की उम्र से ही बच्चे को दही दे सकती हैं।
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2. प्रोबायोटिक्स ड्रॉप्स, इन्फेंट फॉर्मूला मिल्क, इन्फैंट सीरियल (Probiotics Drops And Infant Formula)
अगर आपका बच्चा 6 महीने से बड़ी उम्र का है तो आप उन्हें ब्रेकफास्ट में यह सीरियल दे सकती हैं जिससे उनका पेट भी भर जायेगा और उन्हें प्रोबायोटिक्स भी मिल जायेंगे। प्रोबायोटिक ड्रॉप्स और इन्फेंट फॉर्मूला मिल्क आप अपने बच्चे को तब भी दे सकती हैं जब वह तीन महीने का होता है। हालांकि अगर आप अपने बच्चे को 6 महीने से पहले प्रोबायोटिक देने का निर्णय ले रही हैं तो आप को एक बार अपने डॉक्टर से भी कन्फर्म कर लेना चाहिए। 6 महीने से ऊपर की उम्र के बच्चे के लिए इन्फेंट सीरियल, फॉर्मूला और ड्रॉप आराम से दे सकती हैं और यह आपके बच्चे के लिए यह सुरक्षित भी होगा।
3. सोया मिल्क (Soy Milk)
सोया मिल्क या वनस्पति प्रोडक्ट फर्मेंटेड प्रोडक्ट्स होते हैं। इनमें लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) और बीफिडोबैक्टेरियम (Bifidobacterium) के अंश होते हैं। जैसे कि कैफिर और कुछ तरह के चीज़। जब आपका शिशु 12 महीने की अवस्था में आ जाए तब आप यह प्रोडक्ट दे सकती हैं।
4. फर्मेंटेड पनीर (Cottage Cheese)
फर्मेंटेड पनीर को भी आप कई रेसिपी के रूप में बना कर अपने बच्चों को दे सकती हैं। इससे आप सब्जियों के साथ एक स्नैक(Snacks) के तौर पर दे सकती हैं। 1 साल का होने पर आप अपने बच्चे को कॉटेज चीज से बने खाद्य दे सकती हैं।
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5. प्रोबायोटिक्स किस प्रकार काम करते हैं (How Probiotics Work)
कई बार कुछ प्रकार के इंफेक्शन और एंटी बायोटिक्स से पेट में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा कम और बुरे बैक्टीरिया की अधिक हो जाती है इसलिए प्रोबायोटिक्स बच्चे के पेट में मौजूद बैक्टीरिया (Bacteria) की मात्रा बैलेंस करता है। इसके अलावा प्रोबायोटिक्स (Probiotics) आपके पेट में ऐसे भोजन डाइजेस्ट कर लेते हैं जिस की मदद से अच्छे बैक्टीरिया को बनने में जगह मिल जाती है।
तो अगर आप अपने बच्चों की पेट से जुड़ी समस्या मिटाना चाहती हैं तो उन्हें सुरक्षित रूप से प्रोबायोटिक्स (Probiotics) दे सकती हैं।
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