प्रोबायोटिक और मानव शरीर पर इसके लाभ के तरीकों को लेकर बहुत से शोध हो चुके हैं। लेकिन प्रोबायोटिक के कुछ नकरात्मक प्रभाव भी हैं। भले ही आप इस बात से इत्तेफाक न रखते हों लेकिन हम आपके सामने कुछ ऐसे अध्ययन रखने जा रहे हैं, जो आपको प्रोबायोटिक के संभावित साइड इफेक्ट के बारे में बताते हैं।
पेट में गैस और फूला हुआ सा होता महसूस
2010 में 'अमेरिकन जर्नल ऑफ हेल्थ-सिस्टम फार्मेसी' में प्रकाशित एक अध्ययन से सामने आया है कि प्रोबायोटिक लोगों वाले लोगों को बाद में चिढ़ की शिकायत हुई। अध्ययन से पता चला कि अध्ययन करने वाले वालिंटयर्स के बीच यह एक सामान्य समस्या थी। इसमें यह भी कहा गया कि जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हें प्रोबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए। वर्ष 2007 में द एनल्स ऑफ फार्माकोथेरेपी पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन से सामने आया कि खमीर आधारित प्रोबायोटिक्स का सेवन करने वाले कुछ वालिंटयर्स को कब्ज का सामना करना पड़ा और उन्हें अधिक प्यास लगने लगी।
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लाल धब्बे और सूजन आ सकती है
वर्ष 2012 में ग्रीस के थेसालोनिकी के अरस्तू विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन से सामने आया कि प्रोबायोटिक में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरियाओं में खून में हिस्टामाइन के उत्पादन को शुरू करने की क्षमता होती है, विशेषकर आंत के हिस्से में। हिस्टामाइन हमारे शरीर में तब बनता है जब यह किसी भी प्रकार के खतरे को भांप लेता है। जैसे ही हिस्टामाइन का स्तर बढ़ता है, रक्त वाहिकाएं खतरे से निपटने के लिए उस हिस्से में रक्त के प्रवाह को बढ़ा देती हैं। जब यह बिना किसी कारण के होता है तो इससे लाल धब्बे और सूजन हो सकती है। कुछ मामलों में इससे खुजली, आंख में पानी आना, नाक बहना या सांस लेने में परेशानी जैसे एलर्जी हो सकती है।
बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा
वर्ष 2004 में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी सेंट्रल अस्पताल के मेडिसिन विभाग द्वारा प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में सामने आया कि, जो लोग लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहे हैं या वे लोग हाल ही में जिनकी सर्जरी हुई उन्हें प्रोबायोटिक्स से दूर रहना चाहिए क्योंकि प्रोबायोटिक्स में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और खमीर में रक्तप्रवाह में प्रवेश करने और संक्रमण पैदा करने की क्षमता होती है। हालांकि ऐसा होने की संभावना बहुत कम है लेकिन फिर भी इसकी संभावना बनी रहती है।
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प्रोबायोटिक से हो सकता है सिरदर्द
वर्ष 2016 में इटली स्थित टोरिनो विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से सामने आया कि आमतौर पर प्रोबायोटिक्स में हिस्टामाइन, टायरामाइन और ट्रायटामाइन होते हैं। इनमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने या कम करने की क्षमता होती है, जिससे गंभीर सिरदर्द हो सकता है।
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