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दोबारा इस्‍तेमाल की गई सुई कर देती है बीमार, इंजेक्‍शन लगवाने से पहले जानें जरूरी सावधान‍ियां

दोबारा इस्‍तेमाल की गई सुई के कारण आपके शरीर में बीमार‍ियां ट्रांसफर हो सकती हैं। जानें जरूरी सावधान‍ियां।  
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दोबारा इस्‍तेमाल की गई सुई कर देती है बीमार, इंजेक्‍शन लगवाने से पहले जानें जरूरी सावधान‍ियां


टीका या इंजेक्‍शन लगवाने के दौरान की गई एक छोटी सी चूंक आपकी जान की दुश्‍मन बन सकती है। बीमारी का इलाज करने वाली दवा ही नई बीमारी का कारण बन सकती है। गलत तरीके से इंजेक्‍शन लगाना या दोबारा इस्‍तेमाल की गई सुई का इस्‍तेमाल मरीज के स्‍वास्‍थ्‍य को खराब कर देगी। जानकारी के कमी के चलते लोग इस्‍तेमाल क‍िए हुए इंजेक्‍शन लगवा लेते हैं और पर‍िणामस्‍वरूप उन्‍हें बीमार‍ियां हो जाती हैं। आपको इंजेक्‍शन लगवाने से पहले कुछ जरूरी सावधान‍ियों को अपनाना चाह‍िए ज‍िनके बारे में हम आगे बात करेंगे। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।   

injection infection

इंजेक्‍शन लगवाने से पहले क‍िन बातों का ख्‍याल रखें? 

  • सुई और सीर‍िंज (syringe) का दोबारा इस्‍तेमाल करने से बचना चाह‍िए। इंजेक्‍शन लगवाने से पहले दवा और इंजेक्‍शन की सील चेक करें। अगर सील खुली हुई है, तो इंजेक्‍शन या दवा न लें। 
  • इंजेक्‍शन लगाने के बाद उसे तुरंत फेका जाना चाह‍िए।
  • इंजेक्‍शन से पहले हर बार नई सीर‍िंज का इस्‍तेमाल क‍िया जाना चाह‍िए।
  • एक ही बार में दवा को इंजेक्‍शन में डालकर मरीज को डोज देनी चाह‍िए। खुली हुई दवा का इस्‍तेमाल नहीं क‍िया जाना चाह‍िए।
  • आप इंजेक्‍शन लगाने के बाद चेक करें क‍ि कहीं आपके शरीर में क‍िसी तरह के बुरे प्रभाव तो नहीं पड़ रहे हैं। क‍िसी भी प्रकार के लक्षण नजर आने पर डॉक्‍टर से सलाह लें। 

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संक्रम‍ित इंजेक्‍शन से होने वाली बीमार‍ियां 

कई बार व्‍यस्‍त अस्‍पताल में मरीज को पहले से इस्‍तेमाल की गई स‍िर‍िंज लगा दी जाती है। ऐसा करने से व्‍यक्‍त‍ि बीमार हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्‍टडी के मुताब‍िक, 2010 में अनसेफ इंजेक्‍शन के कारण कई हजार लोग हेपेटाइट‍िस बी, हेपेटाइट‍िस सी, एचआईवी से संक्रम‍ित हुए। सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताब‍िक स‍िर‍िंज को दोबारा इस्तेमाल करने से व्‍यक्‍त‍ि को न‍िम्‍न बीमार‍ियां हो सकती हैं-    

हेपेटाइटिस सी- Hepatitis C

संक्रमि‍त इंजेक्‍शन के कारण हेपेटाइट‍िस सी हो सकता है। दूष‍ित रक्‍त से व्‍यक्‍त‍ि को ये बीमारी हो सकती है। गंभीर स्‍थ‍ित‍ि होने पर व्‍यक्‍त‍ि का ल‍िवर खराब हो सकता है। हेपेटाइट‍िस सी होने पर ल‍िवर में सूजन भी हो सकती है। 

हेपेटाइटिस बी- Hepatitis B

हेपेटाइट‍िस बी से संक्रम‍ित हुए व्‍यक्‍त‍ि को लगा इंजेक्‍शन अगर क‍िसी अन्‍य व्‍यक्‍त‍ि को लग जाए, तो उसे भी हेपेटाइट‍िस बी हो सकता है। क‍िसी संक्रम‍ित व्‍यक्‍त‍ि के रस्‍त, शरीर के अन्‍य तरल पदार्थ के जर‍िए ये दूसरे व्‍यक्‍त‍ि के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके लक्षण आसानी से नजर नहीं आते। हेपेटाइट‍िस बी होने पर पील‍िया, थकान, मतली, उल्‍टी, पेट में दर्द आद‍ि लक्षण नजर आ सकते हैं।    

एचआईवी- HIV 

पहले से इस्‍तेमाल क‍िए गए इंजेक्‍शन को लगाने से मरीज एचआईवी का श‍िकार हो सकता है। एचआईवी का इलाज न क‍िए जाने के कारण एड्स हो सकता है। ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) हमारी इम्‍यून‍िटी पर हमला करता है। 

इंजेक्‍शन लगवाने के ल‍िए जरूरी सावधान‍ियों को बरतें। इंजेक्‍शन लगवाने से पहले सीर‍िंंज और दवा को चेक करें। क‍िसी अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान में जाकर ही इंजेक्‍शन लगवाना चाह‍िए।  

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