
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक जटिल समस्या है, जो महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद होती है। आमतौर पर प्रसव के 4 हफ्ते बाद इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। यह समस्या केवल महिलाओं में ही नहीं, बल्कि पुरुषों में भी हो सकती है। हाल ही में शिकागो की यूनिवर्सिटी ऑफ इलीनियोइस (University of Illinois) द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक पुरुषों यानि पिता को भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन की स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
पुरुषों को क्यों करानी चाहिए स्क्रीनिंग?
शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चे को जन्म देने के बाद माता-पिता दोनों को ही कई तरह की इमोश्नल विचारोंं और उलझनों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं कि केवल महिलाएं ही इस डिप्रेशन का शिकार होती हैं। ऐसे बहुत से पिता हैं, जो बच्चे को जन्म देने के बाद अपनी जिम्मेदारियों और बड़ी समझने के साथ ही कई बार अपने काम और स्ट्रेस को बैलेंस नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति में महिला के पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं।
स्टडी में हुआ खुलासा
इस स्टडी में कुल 24 पुरुषों को शामिल किया गया, जो हाल ही में पिता बने थे। इसके बाद इनकी पोस्टपार्टम डिप्रेशन की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें महिलाओं में इस डिप्रेशन का पता लगाए जाने वाली तकनीक और साधनों का ही इस्तेमाल किया गया। जिसक बाद इनमें से कुल 30 प्रतिशत पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की पुष्टी की गई। जर्नल ऑफ मेंस (Journal of mens health) हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक करीब 13.3 प्रतिशत पुरुष पार्टनर के थर्ड ट्राइमेस्टर के दौरान पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण होने का अनुभव करने लगे हैं।
पुरुष पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
- इसपर अधिक जानकारी लेने के लिए हमने साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी से बातचीत की।
- उन्होंने बताया कि पुरुषों को इस डिप्रेशन से बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करने के साथ ही अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल रहना जरूरी है।
- पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए आप टॉक थेरेपी का भी सहारा ले सकते हैं।
- इसके लिए लोगों से सोशल इंटरेक्शन बढ़ाएं साथ ही अपनी बातें लोगों से शेयर करें।
- कपल थेरेपी लेना भी इस समस्या से बचने में मददगार साबित हो सकती है।
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