आजकल ज्यादातर घरों में टॉयलेट वेस्टर्न या इंग्लिश शैली में बने होते हैं। वेस्टर्न टॉयलेट में पेट साफ करने के लिए ज्यादा आरामदायक स्थिति मिलती है और पर्सनल हाइजीन भी बनी रहती है। बुजुर्गों, अर्थराइटिस के मरीजों या जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए इंडियन टॉयलेट के मुकाबले वेस्टर्न टॉयलेट ज्यादा सुविधाजनक होता है। वेस्टर्न टॉयलेट के फायदों के कारण ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जी हां, वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। वेस्टर्न टॉयलेट की सीट सीधे शरीर के टच में होती है, जिससे संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा, वेस्टर्न टॉयलेट के लगातार इस्तेमाल से कब्ज और बवासीर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। आइए जानते हैं वेस्टर्न टॉयलेट इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसानों के बारे में (Possible side effects of using western toilet) -
वेस्टर्न टॉयलेट के नुकसान - Disadvantages Of Western Toilet In Hindi
कब्ज (Constipation)
पेट साफ करते हुए बॉडी की पोजीशन सही होना काफी जरूरी है। इंडियन टॉयलेट सीट पर बैठने से हमारे पूरे पाचन तंत्र पर दबाव बनता है, जिससे पेट अच्छी तरह साफ होता है। लेकिन, वेस्टर्न टॉयलेट पर बैठने से पेट और गुदा की मांसपेशियों पर कम दबाव पड़ता है, जिसके कारण पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता है और कब्ज की समस्या होने लगती है।
यूरिन इंफेक्शन (Urine Infection)
वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) का खतरा काफी बढ़ जाता है। वेस्टर्न टॉयलेट पर बैठने से सीट सीधे शरीर से टच होती है, जिसके कारण इंफेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा, वेस्टर्न टॉयलेट में टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करते हुए अगर मल या टिश्यू पेपर का टुकड़ा योनि में चला जाए, तो इंफेक्शन का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
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पाइल्स (Piles)
वेस्टर्न टॉयलेट के लगातार इस्तेमाल से कब्ज की समस्या लंबी बीमारी में तब्दील हो सकती है। ऐसे में मल त्यागने के दौरान गुदा की मसल्स पर काफी जोर पड़ता है। पेट साफ करने के लिए जोर लगाने से लोअर रेक्टम और गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे पाइल्स (बवासीर) बन जाती है।
अपेंडिक्स (Appendix)
वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से अपेंडिक्स की समस्या भी हो सकती है। दरअसल, वेस्टर्न टॉयलेट में मल त्यागने के लिए पेट पर काफी ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। ऐसे में पेट पर ज्यादा दबाव पड़ने के कारण अपेंडिक्स का खतरा काफी बढ़ जाता है।
फिशर (Fissure)
पेट साफ करने के लिए हमेशा वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से फिशर की समस्या हो सकती है। दरअसल, बवासीर में सख्त मल त्यागने से गुदा का टिश्यू फट जाता है, जो एनल फिशर बन जाता है। इसी तरह, वेस्टर्न टॉयलेट का वॉटर जेट इस्तेमाल करने पर तेज प्रेशर से सूजी हुई नसें या टिश्यू के फट सकता है।
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कैसै करें बचाव
एक्सपर्ट के अनुसार, पेट साफ करने के लिए इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल ज्यादा फायदेमंद होता है। इंडियन टॉयलेट में हमारी बॉडी स्क्वैट पोजीशन में होती है। इससे हमारे पूरे पाचन तंत्र पर दबाव बनता है और पेट अच्छे से साफ होता है। लेकिन अगर आप किसी वजह से वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अपने पैरों के नीचे एक छोटा स्टूल रख लें। इससे आपके रेक्टम को 30 डिग्री का कोण मिल सकेगा, जिससे कब्ज व पाइल्स से बचाव होगा।
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