कोरोना की पहली वैक्सीन संक्रमण से लड़ने में 90 फीसदी तक कर सकेगी बचाव, कंपनी का दावा

दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन कोरोना से 90 फीसदी तक बचाव कर सकती है। आइए जानते हैं इस बारे में
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कोरोना की पहली वैक्सीन संक्रमण से लड़ने में 90 फीसदी तक कर सकेगी बचाव, कंपनी का दावा

दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की वैक्सीन बनाई जा रही है, लेकिन लोगों की नजरें उन वैक्सीन पर टिकी हैं, जिनका ट्रायल तीसरे फेज पर चल रहा है। हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी फ़ाइज़र और बायोएनटैक ने दावा किया है कि उनके द्वारा कोरोना की बनाई जाने वाली वैक्सीन BNT162b2, SARS-CoV-2 के खिलाफ लड़ने में पूर्ण रूप से सक्षम है। कंपनी का दावा है कि उनके द्वारा तैयार की जाने वाली वैक्सीन 90 फीसदी तक कोरोना से बचाव कर सकती है और कहा है कि नवंबर के अंत तक यह वैक्सीन लोगों को उपबल्ध करा दी जाएगी। फाइजर और बायोएनटैक की वैक्सीन को बेहतर इलाज के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ लड़ने में सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। 

इस वैक्सीन का 6 देशों में 43,500 लोगों पर ट्रायल किया जा रहा है। फिलहाल के नतीजे ये 94 लोगों के डाटा पर आधारित है, जिसमें सभी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इन सभी लोगों में खुराक लेने के सिर्फ 7 दिनों बाद ही 90 फीसदी सुधार देखा गया है। इसमें किसी तरह का कोई साइडइफेक्ट नहीं दिखा है। ऐसे में यह पहली वैक्सीन है, जिसने इतना सटीक नतीजा दिखाया है। सबसे जरूरी बात यह है कि इस वैक्सीन को 3 सप्ताह के अंदर पहली डोज लेनी पड़ेगी। इस वैक्सीन का अमरीका, जर्मनी, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, तुर्की और दक्षिण अफ़्रीका जैसे देशों के लोगों पर परीक्षण किया गया है। पहले ही सप्ताह में लोगों की 90 प्रतिशत तक इम्यूनिटी बूस्ट हुई है। 

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फाइजर कंपनी द्वारा उम्मीद जताई जा रही है कि यह वैक्सीन साल के अंत तक 5 करोड़ लोगों को उपलब्ध करा दी जाएगी। वहीं, 2021 के अंत तक इसके 1.3 अरब डोज तैयार हो जाएगे। कंपनी ने कहा है कि इस वैक्सीन को लेकर कुछ लॉजिस्टिक चुनौतियां भी हैं। इसे माइनस 70 डिग्री सेल्सियस या इससे नीचे तापमान पर रखना होगा। अबतक वैक्सीन निर्माताओं ने यह नहीं बताया है कि यह किस आयु और वर्ग पर किस तरह से असर करेगा और इम्यूनिटी पावर का असर कब तक रहेगा। 

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कैसे काम करती है BNT162b2 वैक्सीन

यह वैक्सीन प्रयोगात्मक दृष्टिकोण का इस्तेमाल करती है। इसमें संक्रमण के जेनेटिक कोड को शरीर में डाला जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को वायरस से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है। पहले हुए परीक्षणों से पता चला है कि यह वैक्सीन वायरस से लड़ने के लिए हमारे शरीर में एंटीबॉडी तैयार करती है और इम्यून सिस्टम के एक और हिस्से यानी टी-सेल का निर्माण करती है।

क्या है फाइजर के चेयरमैन का बयान

फाइजर के चेयरमैन डॉ. एल्बर्ट बोर्ला ने अपने बयान में कहा कि हम दुनियाभर के लोगों को कोरोना के संकट से बाहर निकालने के बहुत ही करीब आ चुके हैं। बायोनटेक के प्रोफ़ेसर उगूर साहीन ने कहा कि इसके नतीजे बहुत ही कारगर साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी जो डाटा पेश किया गया है, वे अंतिम विश्लेषण नहीं हैं। ये 95 लोगों के डाटा पर आधारित है, जिसमें सभी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 

कंपनी ने दावा किया है कि वह नवंबर के तीसरे सप्ताह तक इसे पूर्ण रूप से तैयार कर लेगी। तब तक इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ब्रिटेन एक मात्र ऐसा देश है, जिसने अभी 3 करोड़ डोज का ऑर्डर दे दिया है। 

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