जर्नल कार्डियोलॉजी इन द यंग में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि वे बच्चे, जिनका वजन अधिक होता है या फिर जो मोटे होते हैं उनमें हृदय विकार विकसित होने का समान जोखिम होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त किशोरों में हृदय विकारों के विकास का जोखिम समान रूप से बढ़ता है।
ब्राजील स्थित साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व अध्ययन के प्रमुख लेखक विटोर एंग्रेसिया वेलेंटी का कहना है कि अभी तक किशोरावस्था में अधिक वजन को महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता था क्योंकि मोटापा हृदय रोग के विकास से जुड़ा था। उन्होंने कहा कि हमने दोनों मामलों में समान जोखिम कारक मिले हैं।
अध्ययन में 10 से 17 साल की उम्र के किशोरों का एक छोटा समूह शामिल किया गया। अध्ययन में शामिल किशोरों को एक सामान्य व्यायाम करना था, जिसमें ट्रेडमिल पर चलना भी शामिल था। ऑटोनोमिक कार्डियक फंक्शन रिकवरी की गति के आकलन के लिए एक्सरसाइज से पहले और बाद दोनों में हृदय गति परिवर्तनशीलता को मापा गया।
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अध्ययन के मुताबिक, शारीरिक श्रम के बाद लंबे समय तक ऑटोनोमिक तंत्रिका तंत्र में असंतुलन दर्ज किया गया, जिससे भविष्य में संभावित रूप से हृदय रोग के जोखिम बढ़ने का निष्कर्ष सामने आया।
प्रोफेसर वेलेंटी के मुताबिक, पिछले अध्ययनों से पता चला कि श्रम की एक अवधि के बाद ऑटोनोमिक तंत्रिका तंत्र स्थिर हो जाता है, जिससे हृदय और मेटाबॉलिक रोग का खतरा अधिक होता है।
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शोधकर्ताओं ने लड़कों व लड़कियों के बीच अधिक वजन और मोटे किशोरों में हृदय गति परिवर्तनशीलता दर में कोई खास अंतर नहीं पाया है।
वेलेंटी ने कहा, ''यह निष्कर्ष बताते हैं कि अधिक वजन वाले किशोरों में हाइपरटेंशन और हार्ट फेलियर जैसे हृदय रोगों की प्रवृत्ति या अतिसंवेदनशीलता मोटापे से ग्रस्त किशोरों के समान होती है। इसके अलावा उनमें मधुमेह, डिसलिपिडेमिया, ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर और एलडीएल कोलेस्ट्रोल जैसे मेटाबोलिक विकार भी समान पाए जाते हैं।''
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