
जरूरत से ज्यादा विटामिन डी सप्लीमेंट का सेवन शरीर में हाइपरविटामिनोसिस डी की स्थिति पैदा कर सकते हैं, जिसके कई नुकसान हैं।
विटामिन डी हमारे शरीर के लिए एक बेहद जरूरी विटामिन तो है ही साथ ही ये हड्डियों के स्वास्थ्य में एक अहम भूमिका भी निभाता है। लोगों को सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने का ख्याल रखना चाहिए और वे लोग, जिन्हें पर्याप्त रूप से सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है उन्हें अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए और विटामिन डी सप्लीमेंट जरूर लेना चाहिए।
विटामिन डी की ज्यादा मात्रा हानिकारक
हालांकि ऐसा करना शरीर में विटामिन डी की मात्रा को अत्यधिक रूप से बढ़ा सकता है, जिसे मेडिकल की भाषा में हाइपरविटामिनोसिस डी कहते हैं। जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट का सेवन इस स्थिति के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा ह्रदय रोगों से जुड़ी कुछ दवाईयां, लंबे अरसे से चली आ रही एंटासिड थेरेपी और एस्ट्रोजन थेरेपी भी इस स्थिति का कारण बन सकती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
साकेत और पंचशील पार्क स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के एसोसिएट डायरेक्टर और सीनियर कंस्लटेंट डॉ. आर.एस मिश्रा का कहना है, ''विटामिन डी न केवल शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है, बल्कि कई शोधों में साबित भी हुआ है कि जिन लोगों में विटामिन डी का स्तर सामान्य होता है उनमें कैंसर, हृदय संबंधी समस्याओं, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।''
उन्होंने कहा कि हालांकि, विटामिन-डी की कमी वाले व्यक्ति को खुद से सप्लीमेंट लेने से बचना चाहिए क्योंकि यह दो-धारी वाली तलवार के रूप में काम करता है, क्योंकि अगर इस विटामिन का स्तर ब्लड में अधिक है तो यह रक्त में मौजूद कैल्शियम को खत्म करने लगता है, जो कभी कभी घातक साबित हो सकता है । इसलिए किसी भी व्यक्ति को विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
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दिन में कितना विटामिन डी जरूरी
एक व्यक्ति को दिन में करीब 600 आईयू विटामिन डी की जरूरत होती है और अगर कोई व्यक्ति सिर्फ 15 मिनट तक प्राकृतिक रूप से धूप के संपर्क में आ जाए तो उसका शरीर विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा ग्रहण कर सकता है। दिक्कत तब आती है जब सूरत की रोशनी पर्याप्त रूप से नहीं मिल रही हो या फिर आपने बहुत ज्यादा सन प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया हो। इस स्थिति में आपको खुद से विटामिन डी लेना होता है और आपके पास सप्लीमेंट के रूप में विकल्प मौजूद होता है।
ये अंग होते हैं प्रभावित
विटामिन डी की ज्यादा सेवन आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा को भी बढ़ा देता है, जिसे हाइपरकैल्शिमा कहते हैं और यह स्थिति हमारी हड्डियों, किडनी, दिल और और अन्य टिश्यू व अंगों सहित दूसरे अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
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सप्लीमेंट लें तो ध्यान रखें ये बातें
निरंतर अंतराल पर सप्लीमेंट की कुछ मात्रा का सेवन इस स्थिति का कारण नहीं बनता है। ह्रदय रोगों, गुर्दे की बीमारी और थियाजाइड जैसै मूत्रवर्धक लेना हाइपरविटामिनोसिस डी के खतरे को बढ़ा देता है। इसलिए सप्लीमेंट लेने वाले व्यक्ति को विटामिन डी के स्तर पर हमेशा निगरानी रखने की सलाह दी जाती है खासकर तब जब वह ऊपर दी गई बीमारियों से जूझ रहा हो।
कब छोड़े सप्लीमेंट लेना
अगर आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो गई है तो आपको सप्लीमेंट की डोज कम कर देनी चाहिए या फिर कुछ वक्त तक के लिए इसे छोड़ देना चाहिए।
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