स्‍ट्रोक आने पर मस्तिष्‍क में रूक जाता है खून का प्रवाह, हाई ब्‍लड प्रेशर है इसकी वजह

स्ट्रोक तब होता है जब आपके मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह कट जाता है। रक्त में ऑक्सीजन के बिना, मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरना शुरू कर देती हैं। स्ट्रोक को रोकने में मदद करने के लिए, उन कारणों को जानना जरूरी है। रक्त संचार में किसी प्रकार की रुकावट के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब होने लगती है, जिस कारण स्ट्रोक होता है।
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स्‍ट्रोक आने पर मस्तिष्‍क में रूक जाता है खून का प्रवाह, हाई ब्‍लड प्रेशर है इसकी वजह

स्ट्रोक तब होता है जब आपके मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह कट जाता है। रक्त में ऑक्सीजन के बिना, मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरना शुरू कर देती हैं। स्ट्रोक को रोकने में मदद करने के लिए, उन कारणों को जानना जरूरी है। रक्त संचार में किसी प्रकार की रुकावट के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब होने लगती है, जिस कारण स्ट्रोक होता है।

स्‍ट्रोक दो प्रकार का होता है- इश्चेमिया (रक्त संचार में कमी) और हेमरेज (रक्तस्राव)। दरअसल मस्तिष्क कोशिकाओं की सुचारू प्रक्रिया बनाए रखने के लिए उनमें रक्त के जरिये ऑक्सीजन तथा अन्य पोषक तत्वों का पहुंचाते रहना जरूरी होता है। और मस्तिष्क में मौजूद इन लाखों कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए रक्त नलिकाओं के माध्यम से लगातार रक्त प्रवाहित होता रहता है। लेकिन जब यह आपूर्ति बाधित हो जाती है तो इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क आघात होता है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं। 

 

स्‍ट्रोक का कारण 

आमतौर पर यह मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के कारण होता है, लेकिन डॉक्टर से जरूर पूछें कि स्ट्रोक को कोई और कारण तो नहीं रहा है। जैसा कि अधिकांश लोग जिन्हें स्ट्रोक हुआ हो, को दोबारा स्ट्रोक होने का खतरा बना रहता है। इसलिए डॉक्टर से इस जोखिम को कम करने के संभव उपायों के बारे में जरूर पूछें। जैसे डॉक्टर आपको निम्न चीजों का अनुसरण करने को कह सकता है।   

  • धूम्रपान ना करें।
  • अपने रक्तचाप को नियंत्रित रखें।
  • आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर की मासिक आधार पर जांच कराएं।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • योग व व्यायाम की मदद से तनाव से दूर रहने की कोशिश करें।

दूसरी बार स्‍ट्रोक आने के लक्षण 

  • शरीर के एक भाग में कमजोरी।
  • अचानक सुन्न होना।
  • नजर का कमजोर नेत्र होना।  
  • चक्कर आना।
  • ज्ञात कारण के बिना भीषण सिरदर्द।
  • बोलने और समझने में परेशानी।  

स्‍ट्रोक का उपचार 

सामान्यतः डॉक्टर रोगी को नूट्रिशनिस्ट, फिज़िकल थेरपिस्ट (भौतिक चिकित्सक), रिक्रियेश्नल थेरपिस्ट या ऑक्यूपेश्नल थेरपिस्ट के पास भेज सकता है, जो रोगी को तेजी से ठीक होने में सहायता करता है। इसके लिए विभिन्न उपचार विकल्प मौजूद हैं, जैसे एक्यूट इस्कीमिक स्ट्रोक के लिए क्लॉट बस्टर दवाएं, तीव्र रक्तस्रावी (हेमरैजिक) स्ट्रोक के लिए सर्जरी व एंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट व अन्य उपचार जैसे एंजियोप्लास्टी, टिशू प्लाज्मीनोजन एक्टिवेटर, स्टेंट्स तथा एस्पिरीन आदि। आप डॉक्टर से किसी अन्य वैकल्पिक उपचार के बारे में पूछ सकते हैं जैसे योग चिकित्सा या एक्यूपंक्चर, जो आपको जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं। 

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स्‍ट्रोक से बचाव 

  • स्‍ट्रोक मरीज को खानपान सही रखना चाहिए। तला हुआ भोजन, संतृप्त वसा, नमक, मांस और अन्य डेयरी उत्पादों का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। 
  • व्यायाम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने, वजन नियंत्रण, उच्च रक्तचाप से निपटने तथा तनाव को कम करने में मदद करता है। आमतौर पर रोगी सफलतापूर्वक अपने पुनर्वास कार्यक्रम को पूरा करने के बाद कसरत शुरू कर सकते हैं, लेकिन आप डॉक्टर से उचित व्यायाम और व्यायाम की अवधि के लिए सलाह कर सकते हैं। 
  • डॉक्टर से पूछें कि मरीज को वील चेयर, ब्रेसिज़ या वॉकर की जरूरत तो नहीं है। अगर आपको लगता है कि आप इन्हें खरीदना नहीं चाहते हैं तो आप किसी भी चिकित्सा सुविधा प्रदाता से इन्हें किराए पर ले सकते हैं।  
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