मधुमेह रहित लोगों की तुलना में टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है। आरएलडी की पहचान सांस फूलने से की जाती है। जर्मनी के हेडेलबर्ग अस्पताल विश्वविद्यालय के स्टीफन कोफ ने कहा, तेजी से सांस फूलना, आरएलडी व फेफड़ों की विसंगतियां टाइप-2 मधुमेह से जुड़ी हैं। जानवरों पर किए गए पहले के निष्कर्षो में भी रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी व मधुमेह के बीच संबंध का पता चला था।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर पी. नवरोथ ने कहा, हमे संदेह है कि फेफड़े की बीमारी टाइप-2 मधुमेह का देर से आने वाला परिणाम है। शोध से पता चलता है कि आरएलडी एल्बूमिन्यूरिया के साथ जुड़ा है। एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेशाब का एल्ब्यूमिन स्तर बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी व गुर्दे की बीमारी के जुड़े होने का संकेत हो सकता है, जो कि नेफ्रोपैथी से जुड़ा है। नेफ्रोपैथी-मधुमेह गुर्दे से जुड़ी बीमारी है। शोध के निष्कर्षो का प्रकाशन पत्रिका 'रेस्पिरेशन' में किया गया है। इसमें टाइप-2 मधुमेह वाले 110 मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें 29 मरीजों में हाल में टाइप-2 मधुमेह का पता चला था, 68 मरीज ऐसे थे, जिन्हें पहले से मधुमेह था व 48 मरीजों को मधुमेह नहीं था।
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फेफड़ों की देखभाल
- धूम्रपान करना फेफड़ों को सबसे ज़्यादा हानि पहुंचाता है। केवल सिगरेट बंद कर देना काफी नहीं है, मारिजुआना, पाइप या सिगार भी फेफड़ों के लिए उतना ही घातक होते हैं।
- फेफड़ों की सेहत को दुरुस्त बनाए रखने के लिए पानी बेहद जरूरी होता है। पानी से फेफड़े हाइड्रेट (गीले) बने रहते हैं और फेफड़ों की गंदगी इसी गीलेपन की वजह से बाहर निकल पाती है और फेफड़े सेहतमंद बने रहते हैं।
- ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है और उनसे ज़्यादा काम लिया जा सकता है। साथ ही आपका हृदय स्वास्थ्य जितना अच्छा होगा आपके फेफड़ों को हृदय और मासपेशियों को ऑक्सीजन देने में उतनी ही आसानी होगी। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिये रोज़ाना वर्कआउट करना ज़रूरी होता है।
- उमस भरे या बहुत ठंडे मौसम में फेफड़ों को स्वस्थ रखने या उससे संबंधित परेशानी से राहत पाने के लिए खूब पानी पिएं। फेफड़ों से संबंधित किसी तरह की परेशानी हो तो बहुत खट्टी या ठंडी चीजें न खाएं। इसके सेवन से फेफड़ों में सूजन की आशंका रहती है। शरीर को एकदम सर्दी से गर्मी या गर्मी से सर्दी में ले जाने से भी बचें।

- ज़्यादातर गर्मी के महीने में कुछ जगहों में ओजोन और दूसरे प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग ज़्यादातर वायु प्रदूषण से संवेदनशील होते हैं। इसलिये बाहर जाएं तो मेडिकेटिड मास्क का उपयोग करें और शरीर को समय समय पर डिटॉक्सिफाई करते रहें।
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