केरल में निपाह वायरस के कारण 12 लोगों की जान जाने के बाद अचानक से ये वायरस खासा चर्चा में आ गया है। 1998 में मलेशिया में इस वायरस के फैलने का कारण फ्रूट बैट्स (चमगादड़ों की एक प्रजाति) थे। इसी आधार पर पहले ये कहा गया कि भारत में भी इस वायरस को फैलाने वाले चमगादड़ हैं मगर हाल में हुई एक जांच में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि केरल में इस वायरस का कारण चमगादड़ थे।
जांच में हुआ खुलासा
दरअसल इस वायरस के कारण सप्ताह भर में 12 लोगों की मौत हो जाने के बाद केरल की राज्य सरकार इसे लेकर गंभीर हो गई और इसके कारणों का पता लगाने की कवायद शुरू हो गई। भोपाल स्थित 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज़ेज' ने संक्रमण वाले क्षेत्र से पकड़े गए 21 चमगादड़ों के खून और लार की जांच करने की। जांच में इन चमगादडों में ये संक्रमण नहीं पाया गया है। इसके साथ ही संक्रमित क्षेत्र के कई अन्य जानवर जैसे गाय, बकरी, खरगोश, कुत्ते, बिल्ली आदि के सैंपल्स की भी जांच की गई मगर निपाह वायरस की पुष्टि किसी भी जानवर के सैंपल में नहीं हुई है। इस जांच के मुताबिक केरल के कझिकोड में फैले इस वायरस का कारण जानवर नहीं हैं।
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निपाह वायरस और चमगादड़
निपाह वायरस के कारण कई मौत होने के बाद सबसे पहले यही खबर आई थी कि क्षेत्र में इस वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ हैं। इसका आधार ये था कि 1998 में मलेशिया में और 2004 में बांग्लादेश में इस वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ और सुअर थे। इसके अलावा इस वायरस के कारण जिन लोगों की जान गई उनमें से चार लोग एक ही परिवार के थे और उस परिवार के कुंएं में चमगादड़ पाए गए थे। इसी आधार पर कहा गया कि केरल में इस वायरस के फैलने का कारण चमगादड़ हैं।
क्या भारत में भी मलेशिया से आया निपाह वायरस
इस वायरस के कारण सबसे पहले इस परिवार के मोहम्मद साबित की मौत हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक साबित हाल में ही बीमार होने के कारण सउदी अरब से घर वापस आया था। लोकल लोगों का कहना है कि साबित उससे पहले मलेशिया भी गया था। हालांकि अभी परिवार के किसी व्यक्ति ने मोहम्मद साबित की मलेशिया यात्रा की पुष्टि नहीं की है। वायरस के लक्षण नजर आने से एक दिन पहले तक साबित आराम से अपना प्लंबिंग का काम कर रहा था। मगर अगले दिन ही उसे तेज बुखार हुआ और निपाह वायरस के लक्षण दिखाई देना शुरू हो गए।
निपाह वायरस के लक्षण
इंसेफ्लाइटिस रोग की ही तरह निपाह वायरस की चपेट में आने से रोगी के दिमाग की नसों में सूजन आ जाती है। वायरस के संपर्क में आने के 5-14 के अंदर व्यक्ति को इस रोग के लक्षण दिखाई देना शुरू होते हैं। सबसे पहले तेज बुखार आता है और सिरदर्द की समस्या होती है। इसके साथ ही मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। कई मरीजों में दिमाग की नसों में सूजन की समस्या आ जाती है और मांसपेशियों में लगातार दर्द बना रहता है।
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निपाह वायरस से बचाव है जरूरी
- फलों के जरिए इस संक्रामक रोग के वायरस तेजी से फैलते हैं इसलिए फलों को खाने में सावधानी बरतें।
- अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से पीड़ित है तो न तो उसके नजदीक जाएं और न ही उसे छुएं।
- तेज बुखार और सिरदर्द होने की स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्कर करें और अपने से कोई दवा न खाएं।
- अगर किसी व्यक्ति की मौत इस वायरस की वजह से हुई है तो उसके शव से भी दूर रहें।
- उम्रदराज लोगों और डायबिटीज के मरीजों को है ज्यादा खतरा।
- संक्रमित इलाके के कुत्ते, बिल्ली, पंछी आदि भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं और उन्हें छूने से आप भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
- संक्रमित इलाक में किसी भी जानवर का मांस और फल खाने से बचें।
- किसी भी स्थिति में सुअर को छूने या ताजा मांस खाने से बचें।
- निपाह वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर, साबुन, कंघी आदि का इस्तेमाल न करें।