दुनिया में विभिन्न रोगों से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से ही होती हैं। तनावपूर्ण जीवनशैली और गलत खानपान के कारण हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। प्रख्यात हार्ट सर्जन और मेदांता दि मेडिसिटी, गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन बता रहे हैं, दिल की बीमारियों की आधुनिक चिकित्सा के बारे में।
सर्जरी के लिए छोटा सा कट
बेशक कार्डिएक या हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में कई नए कार्य हुए हैं। पहली बात तो यही है कि अब कार्डिएक सर्जरी कम से कम चीरफाड़ वाली सर्जरी या लेस इनवेसिव सर्जरी बन चुकी है। नतीजतन सीने के एक तरफ एक छोटा कट लगाया जाता है। अतीत में कई अच्छे अस्पतालों में हार्ट सर्जरी में दिल तक पहुंचने के लिए सीने के मध्य की हड्डी (स्टेरनम) को कट किया जाता था।
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रोबोटिक सर्जरी है आसान
अब हृदय के खराब हो चुके या विकारग्रस्त वाल्वों को बदलना संभव हो चुका है। हृदय के वाल्व में जो खामियां होती हैं, उनकी मरम्मत की जा सकती है। वाल्व संबंधी विकारों को बाइपास सर्जरी से भी दूर किया जा सकता है। कार्डिएक सर्जरी के क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी भी एक नवीन तकनीक है। इस सर्जरी में हार्ट सर्जन मरीज से दूर होकर दूसरे कमरे में बैठकर सर्जरी को अंजाम देते हैं। नए टिश्यू वाल्व भी विकसित हो चुके हैं। ये वाल्व काफी लंबे समय तक कार्य करते हैं। इनके कारण लंबे समय तक रक्त को पतला करने वाली दवाएं भी नहीं लेनी पड़ती हैं। ऐसे वाल्व ने मरीज की तकलीफ काफी कम की है।
बीटिंग हार्ट सर्जरी
इस सर्जरी की शुरुआत हो चुकी है। इस सर्जरी के प्रचलन में आने से हार्ट लंग मशीन से संबंधित मरीजों में जो जटिलताएं होती थीं, उन्हें कम करने में सफलता मिली है और मरीज की रिकवरी भी पहले से कहीं ज्यादा तेजी से होती है।
हार्ट फेल्योर का आधुनिक इलाज
हार्ट फेल्योर(दिल का सही तरह से कार्य न करना) की गंभीर स्थिति वाले मरीजों के लिए अब कृत्रिम हृदय उपलब्ध हैं। देश के कुछ चुनिंदा हॉस्पिटल्स में हृदय प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) की भी सुविधा उपलब्ध है। इस सुविधा से हार्ट फेल्योर के वे मरीज भी राहत पा सकते हैं, जिनकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है और उनके लिए इलाज के अन्य विकल्प शेष नहीं रह गए हैं।
हार्ट फेल्योर (हृदय का सुचारु रूप से कार्य न कर पाना) के इलाज के लिए कई नई दवाएं और तकनीकें विकसित हुई हैं। बहरहाल सबसे नई और बड़ी उपलब्धि एक नयी दवा के रूप में सामने आई है, जिसका नाम ‘एल सी जेड’ है। एक अन्य दवा-इवाब्रेडीन- है। इसके अलावा हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए विशिष्ट प्रकार के पेसमेकर्स और डीफिब्रीलेटर्स(हार्ट को शॉक देने का एक छोटा उपकरण) लाभप्रद साबित हुए हैं।
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ऐसे करें रोकथाम
कुछ सजगताएं बरतकर हार्ट अटैक समेत हृदय रोगों की रोकथाम संभव है। जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखना। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने के लिए अपने खानपान में फलों और सब्जियों को शामिल करें।
डॉ.नरेश त्रेहन
प्रख्यात हार्ट सर्जन, चेयरमैन-मेदांता
दि मेडिसिटी, गुरुग्राम
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