बच्चे के दिल में छेद का होना समय के साथ एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकता है। इस समस्या से पीड़ित बच्चों में आमतौर पर दिल के चैम्बर को अलग करने वाली किसी एक दीवार में छेद होता है। ऐसे छेद शुद्ध और अशुद्ध रक्त को मिश्रित कर देते हैं और फेफड़ों के दबाव में वृद्धि करने के साथ-साथ दिल के आकार में भी वृद्धि करते हैं। बच्चों के दिल में छेद से होने वाली समस्याओं के लक्षण और इलाज बता रहे हैं एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद के प्रख्यात पीडियाट्रिक कार्डिएक सर्जन डॉ हिमांशु प्रताप।
शिशु के दिल में छेद के लक्षण
- स्तनपान करते समय बच्चे थकावट महसूस करते हैं या उन्हें पसीना आ सकता है या फिर वे रोना शुरू कर सकते हैं।
- ऐसे बच्चों का वजन धीमी गति से बढ़ता है। उन्हें अक्सर ठंड लग जाती है।
- बच्चों के फेफड़ों में बार-बार संक्रमण हो सकता है।
इन बातों पर ध्यान दें
उपर्युक्त लक्षणों के प्रकट होने पर छेद से संबंधित अन्य जटिलताओं को रोकने के लिए आमतौर पर जीवन के शुरुआती 6 महीनों के भीतर ही दिल की सर्जरी कराने की आवश्यकता है। अगर किसी बच्चे में ऐसे लक्षण प्रकट होते हैं, तो उसके परिजनों को समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। ऐसे बच्चों को शीघ्र ही पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाएं।
इसे भी पढ़ें:- दिल की बीमारियों से रहना है दूर, तो आप भी जरूर करवाएं ये 6 जांच
टॉप स्टोरीज़
दिल में छेद का इलाज
सर्जरी आमतौर पर बच्चे के जीवन के पहले कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों के भीतर की जाती है। सर्जरी के तहत सर्जन छाती में एक चीरा लगाता है और छेद को बंद करते समय हार्ट-लंग मशीन की मदद लेता है ताकि रक्त संचार अच्छी तरह से जारी रहे। ज्यादातर मामलों में सर्जन मानव निर्मित सर्जिकल सामग्री का एक पैच सील कर देता है। कभी-कभी दिल के ऊपर की झिल्ली से भी कुछ छेदों को बंद कर दिया जाता है। इस तरह सर्जरी के 6 महीने बाद छेद पूरी तरह से टिश्यूज से ढक जाता है। ऐसे छेदों की सर्जरी के बाद बाद बच्चे सामान्य रूप से विकसित होते हैं और वे अन्य स्वस्थ बच्चों की तरह सामान्य जीवन जीते हैं।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Heart Health in Hindi