कोरोना का प्रकोप भारत में दोबारा काफी तेजी से फैलता जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में भारत की स्थिति काफी खतरनाक हो चुकी है। इस बीच लांसेट की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला दावा किया है, जो लोगों को और अधिक परेशानी में डाल सकते हैं। पसिद्ध द लांसेट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना अब हवा के रास्ते लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऐसे में कोरोना के सुरक्षा प्रोटोकॉल में तुरंत बदलाव की आवश्यकता है।
अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा के 6 विशेषज्ञों द्वारा यह रिपोर्ट पेश की गई है। इन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कहना काफी मुश्किल है कि हवा के जरिए कोरोना वायरस नहीं फैलता है, क्योंकि इस तरह के पर्याप्त सबूत हासिल नहीं हुए हैं। वहीं, अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना यही है। लांसेट की नई रिपोर्ट के अधार पर कोरोना सुरक्षा प्रोटोकॉल में विशेष तरह के बदलाव करने के सुझाव दिए गए हैं। इसके अलावा इस नई रिपोर्ट में 10 ऐसे कारण बताए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि कोरोना हवा के रास्ते फैल रहा है। चलिए जानते हैं इस बारे में -
1. विशेषज्ञों का कहना है कि "सुपरस्प्रेडिंग इवेंट से SARS-CoV-2 पर्याप्त रूप से फैलता है" यह कोरोना के शुरुआती वाहक हो सकते हैं। लोगों द्वारा बातचीत, कमरे की साइज, वेटिंलेशन और अन्य कारणों के अवलोकन से यह साबित होता है कि कोरोना एक हवा में फैलने वाली बीमारी है। इसे अब सिर्फ ड्रॉपलेस्ट या फिर फोमाइट के रूप में समझा नहीं जा सकता है।
2. क्वांरटीन हुए मरीजों के कमरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों में भी कोरोनावायरस फैला है। जबकि यह लोग मरीज से किसी भी तरह के संपर्क में नहीं थे और न ही ये एक-दूसरे के कमरे में गए। ऐसी स्थिति में कोरोना सिर्फ हवा के जरिए दूसरे लोगों तक ही पहुंच सकता है।
3. विशेषज्ञों ने कहना है कि जो लोग खांस या फिर छींक नहीं रहे हैं, वे भी कुल मामलों में 33 फीसदी से 59 प्रतिशत तक कोरोना वायरस के प्रीएसिम्प्टमैटिक या एसिम्प्टमैटिक ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसे में यह साबित होता है कि कोरोना हवा से फैलने वाली बीमारी है।
4. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन आउटडोर की तुलना में इंडोर अधिक होता है। वहीं, अगर वेंटिलेशन होता है, तो संभावना कम हो जाती है।
5. अस्पताल में उत्पन्न हुए संक्रमण ऐसे स्थानों पर भी पाया गया है, जहां हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स पीपीटी किट पहनकर गए थे। आपको बता दें कि पीपीटी किट को कॉन्टैक्ट और ड्रॉपलेट से सुरक्षित बनाया गया, लेकिन इसे हवा से सुरक्षित नहीं किया गया और न ही इससे बचने का कोई उपाय था। ऐसे में कोरोना उन स्थानों पर हवा के जरिए फैलने की संभावना जताई जा सकती है।
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6. एक्सपर्ट्स का कहना है कि SARS-CoV-2 हवा में भी पाय गया है। यह लैब में करीब 3 घंटे तक हवा में संक्रामक रूप में पाया गया है। साथ ही कोरोना मरीजों के कार और कमरों के हवा के सैंपल से भी यह प्राप्त हुआ है।
"Ten streams of evidence collectively support the hypothesis that #SARS-CoV-2 is transmitted primarily by the airborne route."
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7. SARS-CoV-2 के मरीजों वाले हॉस्पिटल में एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग में रह रहे डॉक्टर में भी कोरोना के केस सामने आए हैं। एयर फिल्टर्स में सिर्फ हवा के जरिए ही कोरोना पहुंच सकता है।
8. संक्रमित पिंजरों के जानवरों में भी कोरोना के लक्षण दिखें हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा सिर्फ एयर डक्ट के जरिए हो सकता है।
9. एक्सपर्ट का कहना है कि हवा से कोरोना वायरस नहीं फैलना है, इसके पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कोरोना हवा के जरिए फैल सकता है।
10. एक्सपर्ट का आखिरी तर्क यह है कि कोरोना वायरस अन्य तरीकों से फैलने के सबूत कम पाए गए हैं। जैसा कि रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट या फोमाइट।
आपकों बता दें कि अगर विशेषज्ञों द्वारा किया गया यह नया दावा सच साबित होता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए काफी खतरनाक है। क्योंकि इस स्थिति में कोरोना को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो जाएगा। इस स्थिति में लोगों को अपने घरों के अंदर भी मास्क पहनना पड़ सकता है।
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