जोड़ी ऊपर से बनकर आती है सबसे चर्चित धारणा यही है। लेकिन असली बात तो यह है कि जोड़ी भले ही ऊपर से बनकर आती है लेकिन उसे निभाना हमें ही पड़ता है। ऐसे में आज रिश्ते जिस गति के साथ बन रहे हैं उतनी गति के साथ टूट भी रहे हैं। बड़े बूढ़ों का मानना है कि शादी करो, प्यार करो, बच्चे करो, उनके साथ चलो, कैसी भी परेशानी हो एक दूसरे का साथ निभाओ, जैसा हम करते आए हैं ऐसा तुम भी करो, लेकिन क्या वर्तमान में इस तरह की धारणा सही है? आखिर क्यों शादी जैसे पवित्र विषय पर काउंसलर की मदद ली जा रही है? आज इस लेख के माध्यम से हम आपको कुछ ऐसी धारणाओं के बारे में हम बताएंगे जिन की परिभाषा एकदम बदल चुकी है। पढ़ते हैं आगे...
विचार समान हों
सबसे ज्यादा जरूरी है पति पत्नी के विचार एक दूसरे के समान हों। लेकिन ऐसा नहीं है आजकल दो भिन्न विचारों के भी लोग एक सफल जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। न जाने कितने लोग हैं जिन्हें जो रसोई में एक साथ काम भी करते हैं तो एक दूसरे को समझते भी हैं। यह केवल उस बात पर निर्भर करता है कि आपका साथी आपकी इच्छा का सम्मान किस तरीके से करता है इसलिए अगर विचार ना मिलें तब भी एक स्वस्थ जीवन व्यतीत किया जा सकता है। बस एक दूसरे का सम्मान करना आना चाहिए।
प्यार भावनाओं पर करता है निर्भर
अगर साथी के प्रति फिलिंग्स ना हो तो आप प्यार नहीं कर सकते। ऐसा नहीं है आजकल लोग बिना फीडिंग के भी खूब एफर्ट्स डालते हैं। कोशिश करते हैं कि साथी को इस बात का पता ना चले कि आपने फिलिंग्स की कमी है। ऐसे में अगर फिलिंग्स की कमी है तो प्यार पाने से पहले प्यार देना सीखें और युवा पीढ़ी इस बात को समझ रही है।
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शादी इंसान को संपूर्ण करती है
शादी से हर जरूरत पूरी नहीं हो सकती। उसके लिए काम और जीवन में एक लक्ष्य का होना भी बेहद जरूरी है। शादी के अलावा उसके जीवन में दोस्त, रिश्तेदार, उसके शौक, उसकी पसंद नापसंद भी महत्वपूर्ण होते हैं। हां, ऐसा कह सकते हैं कि शादी भी महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन अन्य रिश्ते भी जिसे वह बचपन से जी भी आ रहे हैं वे ज्यादा महत्व रखते हैं।
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दोनों को बराबर काम करना चाहिए
आजकल दोनों इस बात को समझते हैं कि दोनों के काम करने से भी आर्थिक व सामाजिक स्थिति सुधर जाएगी। लेकिन कभी-कभी ऐसे भी हालात हो जाते हैं कि हमें लगता है कि हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन सामने वाले को कम लगता है। ऐसे में घरेलू कार्यों का बराबर बंटवारा कई बार व्यवहारिक नहीं होता है। इसका कारण थकान, तनाव, काम का प्रेशर, रिश्ते और ऑफिस की जिम्मेदारी आदि भी होता है। ऐसे में अगर जरूरत ना हो और सिर्फ एक इंसान ही काम करें तब भी जीवन को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। अगर लड़की काम कर रही है तो लड़का भी काम करें ऐसा जरूरी नहीं। वे घर की जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल सकता है। और आज की युवा पीढ़ी भी इस बात को समझ रही है।
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