Fake News On COVID-19: गोमूत्र, गर्म पानी और लहसुन से कोरोना ठीक करने वाली बातें झूठी है, आप भी न फैलाएं अफवाह

Coronavirus: यहां हम आपको सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही कोरोना वायरस से जुड़ी उन 10 खबरों के बारे में बता रहे हैं जो पूरी तरह से भ्रामक हैं।
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Fake News On COVID-19: गोमूत्र, गर्म पानी और लहसुन से कोरोना ठीक करने वाली बातें झूठी है, आप भी न फैलाएं अफवाह

हम भारतीयों को मूर्ख बनाना बहुत आसान है! हम बेहद भावुक और संवेदनशील हैं, इसीलिए हम आसानी से बिना कुछ जांच पड़ताल किए किसी भी बात पर विश्वास कर लेते हैं, खासकर अविकसित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में ये ज्‍यादा देखने को मिलता है। कोरोनो वायरस, जो अब भारत में भी धीरे-धीरे पांव पसार रही है, उसने हम सभी को डरा दिया है। फिलहाल कोरोनो वायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या करीब 700 हो गई है। जबकि मरने वालों की संख्‍या मिनिस्‍ट्री ऑफ हेल्‍थ के मुताबिक, 17 है। इसके अलावा 66 लोगों का इलाज किया जा चुका है। 

भारत को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है इसके बावजूद मामले बढ़ रहे हैं। कई एक्‍सपर्ट मानते हैं कि, कोरोना के संक्रमण के बढ़ने का कारण जागरूकता की कमी है, इस घातक वायरस के इर्द-गिर्द तमाम तरह के मिथक और भ्रामक जानकारियां सोशल मीडिया के माध्‍यम से फैलाई जा रही है। जो संक्रमण को फैलने का कारण हो सकता है। कुछ लोग अपने मुनाफे के लिए ऐसा कर रहे हैं। 

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने भी अपने एक हालिया बयान में जनता से अपील की है कि कोरोना वायरस से जुड़े अफवाहों पर ध्‍यान न दें, सिर्फ केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा वैरीफाई की हुई बातों पर भी भरोसा करें।

इस लेख में, हमने ऐसे ही कुछ मिथकों और उनके पीछे की सच्चाई को सूचीबद्ध करने का प्रयास किया है। 

मिथक-1. गोमूत्र पीने से कोरोनावायरस से बचाव होता है। 

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सच्‍चाई: हमारे देश में गाय की लोग पूजा करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके माध्‍यम से प्राप्‍त उत्‍पाद अमृत हैं। आयुर्वेद के अनुसार, गोमूत्र और गोबर को पारंपरिक उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। जहां तक कोरोनो वायरस के इलाज की बात है तो यह बिल्‍कुल गलत है। नई दिल्‍ली के फोर्टिस एस्‍कॉर्ट हार्ट इंस्‍टीट्यूट के कॉडिर्योलॉजिस्‍ट एवं जनरल फिजिशियन डॉक्‍टर शैलेंद्र भदोरिया कहते हैं, "जब तक इसका सही तरीके से अध्‍ययन नहीं होता तब तक यह कहना ठीक नहीं है कि गोमूत्र कोरोना वायरस को ठीक कर सकता है।  इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि गोमूत्र में शरीर में कोरोनोवायरस को मारने के लिए एंटी-वायरल गुण होते हैं।"

मिथक-2. एंटी-कोरोना वायरस गद्दा। 

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सच्‍चाई: कोरोना वायरस के भारत में आने के तुरंत बाद, यह विज्ञापन हर जगह था। महामारी के समय में, कुछ व्यापारियों ने झूठी खबरें फैलाकर अपनी बिक्री बढ़ाने का एक अवसर के रूप में लिया। 15,000 रुपये में बिकने वाले इस तथाकथित-एंटी-कोरोना वायरस गद्दे ने कई लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया कुछ लोगों ने इसे खरीद भी लिया! निर्माता के खिलाफ शिकायत होने के बाद, विज्ञापन को हटा दिया गया था।

मिथक-3. मांस से कोरोनावायरस होता है। 

सच्‍चाई: चीन के वुहान शहर में मांस बाजार में कोरोना वायरस के प्रकोप के तुरंत बाद, लोगों ने माना कि इसके पीछे मांस खाना ही कारण है। यह बिलकुल झूठ है। शाकाहार एक अच्छा माना जाता है, इससे बीमार पड़ने की संभावना कम रहती है। मगर ऐसा अभी तक स्‍पष्‍ठ नहीं किया जा सका है कि कोरोना वायरस के संक्रमण मांस के कारण हो रहा है। कोरोनो वायरस को रोकने के लिए शाकाहार हो जाना फर्जी खबर है। प्रेस इनफॉर्मेशन ब्‍यूरो इन अफवाहों का खंडन किया है। 

मिथक-5. अल्कोहल-फ्री हैंड सैनिटाइजर सबसे अच्छा है। 

सच्‍चाई: क्या आपने बाजार में गोमूत्र सेनेटाइजर देखा है? इसे 2018 से बेचा जा रहा है लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद इसे बहुत अधिक प्रचारित किया गया। गाय के प्रशंसक मानते हैं कि यह कोरोनो वायरस को मारने में अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र से बेहतर है। विडंबना यह है कि लोग COVID-19 की रोकथाम के लिए इसे खरीद और इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि डब्ल्यूएचओ ने केवल कोरोनो वायरस के जोखिम को कम करने के लिए अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करने पर जोर दिया है। ऐसे में अल्‍कोहल-फ्री सैनिटाइजर वाली पोस्‍ट भ्रामक है।

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मिथक-6. हवा से फैलता है कोरोना वायरस।

सच्‍चाई: नहीं! सामान्य परिस्थितियों में, नोवेल कोरोना वायरस एयरबॉर्न नहीं है। यानी ये हवा से नहीं फैलता। प्रेस इंफॉरमेशन ब्‍यूरो की फैक्‍ट चेक टीम ने सच का पता लगाने के बाद कहा है कि, यह बूंदों और छुआ-छूत के माध्यम से फैलता है। जब लोग दूषित हाथों से अपने मुंह, नाक और आंखों को छूते हैं तब इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस तरह की पोस्‍ट को शेयर करने से बचें। क्‍योंकि यह बिल्‍कुल गलत है। इस अफवाह को स्वास्थ्य संगठन ने भी गलत बताया है। संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया की चीफ डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है, जिससे यह पता चल सके कि यह कोरोना वायरस हवा के जरिए फैलता है।

मिथक-7. गर्मी आने के बाद और गर्म पानी से नहाने से कोरोना वायरस मर जाएगा। 

सच्‍चाई: 'गर्म पानी से नहाने से कोरोना वायरस मर जाता है' ये वायरल मैसेज बिल्‍कुल गलत है। इसके अलावा गर्मी आने के बाद वायरस खत्‍म हो जाने की बात भी भ्रामक है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन से इस बात को गलत बताया है। वहीं केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने भी इसे गलत ठहराया है। अगर आपके पास ऐसे कोई भ्रामक मैसेज आएं तो उनकी जांच पड़ताल जरूर करें। 

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मिथक-8. शरीर पर शराब या कीटाणुनाशक का छिड़काव करने से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है। 

सच्‍चाई: शरीर पर अल्‍कोहल या सैनिटाइजर का लगाने से या कीटाणुनाशक का छिड़काव करने से कोरोना वायरस के संक्रमण को कम नहीं किया जा सकता है। संक्रमण तब फैलता है जब वायरस नाक और मुंह के माध्‍यम से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। अल्‍कोहल बेस्‍ड साबुन और सैनिटाइजर सिर्फ हाथों के वायरस को हाथों से साफ कर सकता है। इससे जब आप अपने मुंह और नाक पर हाथ लगाते हैं, तो संक्रमण नहीं फैलता है।

मिथक-9. कच्चा लहसुन और तिल खाने से कोरोना वायरस से बच सकते हैं।

सच्‍चाई: लहसुन और तिल का सेवन करना फायदेमंद है, मगर ये कोरोना वायरस के संक्रमण से आपको नहीं बचा सकता है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए किया जा रहा ये दावा झूठा है। आप सिर्फ सोशल डिस्‍टेंसिंग, सेल्‍फ आइसोलेशन, मास्‍क और हाथों को साबुन वा पानी से धोकर कोरोना के प्रसार को रोक सकते हैं। 

मिथक 10: इंटरमीडियट की जंतु विज्ञान की किताब में कोरोना वायरस की दवा के बारे में बताया गया है। 

सच्‍चाई: सोशल मीडिया पर आपको भी एक मैसेज और साथ में एक फोटो आई होगी, जिसमें कहा जा रहा है कि "कोरोना वायरस की दवा न जाने कहां कहां ढूंढते रहे लेकिन कोरोना वायरस की दवा इंटर मीडियट की जंतु विज्ञान की किताब में दिया गया है।" जब प्रेस इंफॉरमेशन ब्‍यूरो ने इसे पूरी तरह भ्रामक बताया है। दरअसल, इस बुक में जिस कोरोना वायरस का जिक्र किया जा रहा है वह आज के कोरोना वायरस से बिल्‍कुल अलग है। हालांकि, दोनों एक ही फैमिली के हैं। जबकि, इस समय नोवेल कोरोना वायरस (COVID-19) का संक्रमण फैला हुआ है, जिसकी अभी तक कोई दवा नहीं बनी है।

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