अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीजों को सांस लेने में काफी ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से ग्रसित मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है। साथ ही उन्हें काफी ज्यादा खांसी भी होती है। इस तरह की समस्याओं को कंट्रोल करने के लिए कई डॉक्टर्स अस्थमा के मरीजों को इनहेलर का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इनहेलर के इस्तेमाल से सांस लेने में होने वाली कठिनाई को कम किया जाता है। साथ ही खांसी को भी रोकी जा सकती है। इसलिए कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई लोग इनहेलर के इस्तेमाल से परहेज भी करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह अपनी परेशानी को कम करने के लिए इनहेलर का इस्तेमाल करेंगे, तो उन्हें इसकी लत लग सकती है। इसी तरह के कई ऐसे मिथक हैं, जो लोगों के मन में बैठ जाते हैं। इसलिए कई लोग इनहेलर का इस्तेमाल करने से बचते हैं। आज हम आपको इस लेख में हनहेलर से जुड़े कुछ मिथकों की सच्चाई के बारे में बताएंगे. इस विषय की जानकारी के लिए हमने नोएडा स्थिति सुमित्रा हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर अंकित गुप्ता से बातचीत की. आइए जानते हैं इस विषय के बारे में विस्तार से -
मिथक : अस्थमा की परेशानी ज्यादा बढ़ने पर ही इनहेलर का इस्तेमाल करना चाहिए?
सच्चाई : डॉक्टर का कहना है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। अस्थमा के हल्के-फुल्के अटैक आने पर भी आप इनहेलर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनहेलर दवा लेने का सुरक्षित तरीका है। यह शरीर में काफी कम दवा भेजता है। सामान्य दवा लेने के तरीकों में इसमें करीब 40 फीसदी तक कम दवा पहुंचती है। ऐसे में जरूरी नहीं है कि गंभीर स्थिति में ही इनलेहर लिया जाए।
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मिथक : इनलेहर का इस्तेमाल करने वालों को इसकी लत लग जाती है।
सच्चाई : अस्थमा के कई ऐसे मरीज हैं, जो इस डर से इनहेलर नहीं लेते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वे बार-बार इनलेहर लेंगे, तो उन्हें इसे सारी उम्र लेना पड़ जाएगा। डॉक्टर का कहना है कि ऐसा समझा मरीजों के लिए गलत है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसे कंट्रोल में रखना जरूरी है। इसका कोई जड़ से इलाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस समस्या को कंट्रोल में रखने के लिए इनहेलर को अपने पास रखना जरूरी होता है। इनहेलर की जगह अगर आप कोई दवा भी लेते हैं, तो आपको इसे अपने पास हमेशा रखना होता है। ऐसे में इनहेलर की लत लग जाती है, ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है।
मिथक : इनहेलर से काफी ज्यादा नुकसान होता है।
सच्चाई : कई लोगों का यह मानना होता है कि इनहेलर की दवा लेने से शरीर को कई तरह के साइड-इफेक्ट्स होते हैं। बल्कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। अन्य दवाओं की तुलना में इनलेलर के कम साइड-इफेक्ट होते हैं।
मिथक : इनहेलर में स्टेरायड होता है।
सच्चाई : डॉक्टर का कहना है कि अस्थमा की लगभग सभी दवाओं में काफी कम मात्रा में स्टेरायड का इस्तेमाल किया जाता है। इनहेलर में भी स्टेरायड काफी कम होता है। इसलिए यह बिल्कुल भी नुकसादेह नहीं होता है।
मिथक : प्रेग्नेंसी में इनहेलर नहीं लेना चाहिए।
सच्चाई : डॉक्टर का कहना है कि अगर कोई अस्थमा मरीज प्रेग्नेंट है, तो इस स्थिति में उन्हें इनहेलर की जरूरत है। इसके साथ ही इनहेलर के जरिए काफी कम मात्रा में दवाई शरीर में जाती है। ऐसे में भ्रूण को दवा से नुकसान पहुंचने का खतरा न के बराबर होता है। वहीं, ध्यान रखें कि अगर गर्भवती महिला को अस्थमा अटैक जा जाए, तो इससे शिशु को नुकसान पहुंचने का खतरा काफी ज्यादा रहता है। इसलिए इस स्थिति से बचने के लिए डॉक्टर से समय-समय पर जांच जरूर कराएं।
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ध्यान रखें कि अगर आपको अस्थमा की शिकायत है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर इनहेलर का इस्तेमाल करें। गंभीर स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। किसी के कहने या सुनने पर इनहेलर का इस्तेमाल करना बंद न करें।