यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन वैसे तो महिलाओं में होने वाली आम समस्या है, पर पुरूष भी इस बीमारी से अछूते नहीं होते है।स्टूल डिस्चार्स के समय जो भी बैक्टीरिया शरीर से बाहर आता है, वह बडी आसानी से यूरिनरी टै्रक की दीवारों से चिपक सकता है और इन्फेक्शन पैदा करने लगता है।अगर सही वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह संक्रमण ब्लैडर में पंहुचकर कैंसर का रूप ले लेते है। एक शोध के मुताबिक किसी भी रूप में तंबाकू का प्रयोग करने वाले पुरूषों में यूरिनरी ब्लैडर के कैंसर होने की संभावना 30 से 40 फीसदी तक रहती है। ऐसे में उन्हें भी इसके लक्षणों के बारे में सावधान रहना चाहिए।
ब्लैडर कैंसर के लक्षण
- पेशाब में खून आना ब्लैडर कैंसर का आम लक्षण है।अगर पेशाब में खून या खून के थक्के आने लगे, तो इसका कारण पेशाब की थैली में कैंसर हो सकता है। यह कैंसर पेशाब की थैली के सेल में होता है। कैंसर के इस घाव से लगातार खून का रिसाव होता है। जब यह खून अधिक मात्रा में पेशाब की थैली में जमा हो जाता है, तो पेशाब आना भी बंद हो जाता है।
- किडनियों के आस-पास कमर के निचले हिस्से में दर्द (कमर में तेज दर्द) और टांगो के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव होना भी ब्लैडर कैंसर का लक्षण होता है। ब्लैडर किडनियों से एक नली के जरिये जुडा होता है। यह लक्षण ज्यादातर किडनियों की बीमारी का संकेत होता है लेकिन इसे हल्के मे नहीं लेना चाहिये और डॉक्टर से मुलाकात करनी चाहिये।
- आपके पेशाब में लाल रंग के धब्बे दिखें या पेशाब करते वक्त अगर उसमें वाइट टिशू या थोड़ी सी मात्रा में वाइट रंग का कुछ डिस्चार्ज हो रहा हो, ब्लैडर कैंसर का लक्षण हो सकता है। बिना पेशाब लगे ही पेशाब की इच्छा होने लगती है साथ ही पेशाब की मात्रा भी बहुत कम होने लग जाती है। इस बीमारी के कारण आपको पेशाब करते वक्त दर्द महसूस हो सकता है।
ब्लैडर कैंसर का उपचार
- अगर कैंसर अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, तो पेशाब के रास्ते दूरबीन डालकर एक खास चिकित्सक यंत्र से कैंसर के हिस्से को काट कर बाहर निकाल दिया जाता है। कई बार जब कैंसर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो मरीज की मूत्र की थैली को ही बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसे में मरीज की आंत का एक हिस्सा निकाल कर उसे यूरिन थैली की जगह लगाया जाता है।
- अगर सही समय पर इसका इलाज का किया जाये तो ये यह कैंसर मेटास्टैटिक स्टेज में पहुंच जाता है। इसमें यह कैंसर फैलता हुआ शरीर के दूसरे अंगों जैसे लीवर, फेफड़े और लिंफोसिस में फैल कर इन अंगों को भी प्रभावित करने लगता है।इसमें मरीज को कीमोथेरेपी, रेडियोलॉजी से इलाज किया जाता है।
ब्लैडर कैंसर से बचने के लिए शरीर में विषाक्त पदार्थों को ना जमा होने दें। भरपूर मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि इससे शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और बैक्टीरिया नहीं फैल पाते। पेशाब को बहुत देर तक रोकने से भी इंफेक्शन का खतरा रहता है।
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