इन राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हैं बच्चों में गलसुआ के मामले, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके

कुछ राज्यों जैसे तेलांगना, हैदराबाद और महाराष्ट्र में मम्प्स या गलसुआ की बीमारी के मामले बच्चों को प्रभावित कर रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।
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इन राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हैं बच्चों में गलसुआ के मामले, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके

गलसुआ जिसे मम्प्स भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जिसके अधिकांश मामले बच्चों में देखे जाते हैं। यह लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है। कुछ राज्यों जैसे तेलांगना, हैदराबाद और महाराष्ट्र में इस बीमारी के मामले बच्चों को प्रभावित कर रहे हैं। यह पेरेंट्स के लिए एक चिंता का विषय बन चुका है। इन राज्यों में इसके मामले देखे जा रहे हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में। 

क्या है गलसुआ या मम्प्स? 

गलसुआ या मम्प्स एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है, जिसमें लार ग्रंथियों पर असर पड़ता है। यह आमतौर पर 2 से 12 साल के बच्चों को होता है, जिन्हें इसकी वैक्सीन नहीं लगी होती है। इसके लक्षण आपको 14 से 25 दिनों के भीतर देखने को मिल सकते हैं। यह इंफेक्शन होने के बाद बच्चे के कान के नीचे मौजूद पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन आ सकती है। ऐसा जरूरी नहीं कि केवल बच्चे ही मम्प्स से प्रभावित होते हैं। कई बार बड़ों में वैक्सीन लगने के बाद भी यह समस्या पैदा हो सकती है। 

मम्प्स या गलसुआ के लक्षण 

  • मम्प्स या गलसुआ के लक्षणों को पहचानना काफी आसान होता है। 
  • मम्प्स होने पर सबसे पहले पैरोटिड ग्रंथियों पर असर पड़ सकता है। ऐसे में इनमें सूजन आ सकती है। 
  • यह इंफेक्शन होने पर तेज बुखार के साथ ही सिर में दर्द का एहसास हो सकता है। 
  • गलसुआ होने पर आपको भूख की कमी का एहसास होने के अलावां शरीर में थकान भी महसूस हो सकती है। 
  • यह समस्या होने पर मांसपेशियों पर भी असर पड़ता है। इससे मांसपेशियों में दर्द होने की समस्या हो सकती है। 

मम्प्स या गलसुआ से बचने के लिए क्या करना चाहिए? 

  • मम्प्स या गलसुआ से बचने के लिए बच्चों को MMR VACCINE लगवाई जानी चाहिए।
  • इससे बचने के लिए हेल्दी फूड्स खाने के साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीना चाहिए।
  • गलसुआ महसूस होने पर आप बर्फ या फिर फ्रोजन मटर से सिकाई भी कर सकते हैं। 
  • इससे बचने के लिए गर्म पानी से गरारे करना भी एक बेहतर विकल्प है। 
  • इससे बचने के लिए फलों का जूस पीने या फिर अम्लीय पदार्थों का सेवन करने से भी बचना चाहिए। 

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