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श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति पर मानसून का क्या प्रभाव पड़ता है? एक्सपर्ट से जानें

गर्मी के बाद मानसून आते ही लोगों को कई तरह की समस्याएं होने लगती है। यह मौसम श्वसन संबंधी समस्या का कारण बन सकता है। आगे जानते हैं मानसून का रेस्पिरेटरी संबंधी संबंधी समस्याओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति पर मानसून का क्या प्रभाव पड़ता है? एक्सपर्ट से जानें


मार्च से जून तक की गर्मी लोगों को खासी परेशानी करती है। लेकिन इसके बाद मानसून जहं लोगों को गर्मी से राहत प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर यह मौसम कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दौरान बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है, जो सर्दी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द और श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकती हैं। तापमान में हुए बदलाव और एलर्जी की वजह से कुछ लोगों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य रोगों के लक्षण गंभीर महसूस हो सकते हैं। ऐसे में आपको अन्य तुरंत डॉक्टरी इलाज की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन, यदि आप सही समय पर सावधानी बरतें तो इस मौसम में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। इस लेख में नारायणा अस्पताल के इंनटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. पंकज वर्मा से जानते हैं कि मानसून में श्वसन संबंधी समस्या पर क्या प्रभाव पड़ता है। 

मानसून में रेस्पिरेटरी समस्याओं पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

अस्थमा और सीओपीडी 

मानसून के मौसम में ह्यूमिडिटी अधिक होती है, जो रेस्पिरेटरी संबंधी समस्याओं के वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। ह्यूमिडिटी की वजह से लोगों में बलगम बनने लगता है और कुछ लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। वहीं, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) वाले लोगों के लक्षण खराब हो सकते हैं। 

फंगस का बढ़ना

मौसम के कारण ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है, जो फंगस का कारण बन सकती है। फंगस में मौजूद बैक्टीरिया हवा के जरिए आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, इससे एलर्जी व श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आप कमरों में वेंटिलेशन बनाएं रखें। 

monsoon effects on respiratory problems

एलर्जी का बढ़ना 

हवा में मौजूद धूल, पराग और फंगस के बैक्टीरिया एलर्जी की वजह बन सकते हैं। ऐसे में एलर्जी की वजह से व्यक्ति के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में बाधा हो सकती है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। साथ ही, यह संक्रमण फेफड़ों और गले को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में बार-बार छींकना, नाक बहना और आंखों से पानी बहने की समस्या हो सकती है। 

अस्थमा का अटैक

मानसून का मौसम अस्थमा के रोगियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ह्यूमिडिटी और पराग के कारण पहले से अस्थमा रोगी को बार-बार अटैक आने की स्थिति बन सकती है। इस मौसम में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से समस्या हो सकती है। 

श्वसन संक्रमण

मानसून का मौसम में सर्दी, फ्लू और ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन संक्रमणों (रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) का जोखिम बढ़ाता है। मौसम में बढ़ी ह्यूमिडिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति इंफेक्शन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। 

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मानसून में बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। ऐसे में पहले से रेस्पिरेटरी संबंधी समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों की समस्या और बढ़ सकती है। इस मौसम में एलर्जी और अन्य समस्याओं से बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान दें। साथ ही, घर में हवा आने-जाने की व्यवस्था करें। इससे ह्यूमिडिटी कम होती है। इसके अलावा, सांस लेने में परेशानी हो रही है तो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  

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